- छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र की जयंती पर मुलायम ने कार्यकर्ताओं को पुचकारा भी और फटकारा भी

- चर्चा के केंद्र में रहे अमर सिंह

LUCKNOW: तैयारी काफी दिन से चल रही थी। पूरा शहर छोटे लोहिया के पोस्टरों से पटा हुआ था। सुबह से पहले तक चर्चा भी यही थी, लेकिन सुबह क्0 बजकर ब्8 मिनट पर मंच पर जैसे ही अमर सिंह पहुंचे हर कोई अमर सिंह को ही देखने को ललायित हो उठा। कोई उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहा था और कोई उनके विरोध में।

हमारे लोगों ने ही चुनाव में डालिये हथियार

उद्घाटन के बाद बोलते हुए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जनेश्वर मिश्र को छोटा लोहिया यूं ही नहीं कहा जाता था। वह अपना दर्द कभी किसी से बयान नहीं करते थे। एक कुर्ते में ही उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर दी। उनकी तमाम ऐसी यादें हैं जिनको स्मरण किया जाना चाहिए। मुलायम सिंह चुनाव हारने के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर थे। मुलायम ने हार के लिए पार्टी के संगठन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जनेश्वर मिश्र के तीन मंत्र थे। इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति और साहस। किसी भी आंदोलन को कामयाब बनाने के लिए इन तीनों ही चीजों की जरूरत पड़ती है। मुलायम ने कहा कि हमारे लोगों ने ही चुनाव में हथियार डाल दिये जिससे पार्टी का यह हाल हुआ। अपने ख्भ् मिनट की स्पीच में मुलायम ने कार्यकर्ताओं को पुचकारा भी और फटकारा भी।

जनेश्वर मिश्र की मौत पर मुलायम ने उठाया सवाल

मुलायम सिंह ने आज एक और खुलासा किया। उन्होंने कहा कि जिस दिन जनेश्वर मिश्र की मौत हुई उससे एक दिन पहले मैंने उनको फोन किया था। उनकी आवाज स्लो आ रही थी। वजह पूछी तो उन्होंने गले में तेज दर्द की बात की। उन्होंने डाक्टर को दिखाने की सलाह दी। डॉक्टर घर आया और उन्हें ठीक बताकर चला गया। और अगले दिन सुबह उनकी डेथ हो गयी। मुलायम ने अखिलेश की तरफ इशारा करते हुए कहा कि तुमको पता करना चाहिए कि वह डॉक्टर कौन था और आज कहां है। मुलायम ने जनेश्वर मिश्र के संघर्ष की कई घटनाओं का जिक्र किया।

इस मौके पर सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि इसे व‌र्ल्ड क्लास का पार्क बनाया जा रहा है। बड़े लोहिया का पार्क छोटा है। जबकि छोटे लोहिया का पार्क उससे काफी बड़ा है। लोहिया पार्क 80 एकड़ में है जबकि छोटे लोहिया का पार्क फ्7म् एकड़ में फैला हुआ है। अखिलेश यादव अपनी सरकार की उन योजनाओं को गिनाना नहीं भूले जिस पर काम चल रहा है।

नारद के रोल में नजर आये नारद राय

छोटे लोहिया यानी जनेश्वर मिश्र की जन्मभूमि बलिया थी। लिहाजा कार्यक्रम के संचालन का जिम्मा भी बलिया के ही विधायक और मंत्री नारद राय के हाथ में था। नारद राय कभी मुलायम सिंह के कान में कुछ कहते और उनकी सुनते कभी शिवपाल सिंह के कान में जाकर कुछ गुन गुना आते। कभी सीएम अखिलेश के सामने अपना कान खड़ा कर झुक जाते।

सीएम को छोड़नी पड़ी कुर्सी

प्रोग्राम शुरू ही होने वाला था। सीएम आ चुके थे नेताजी का इंतेजार हो रहा था। नेता जी मुलायम सिंह की कुर्सी अखिलेश के बगल में लगायी गयी थी। लेकिन जब नेता जी पहुंचे तो उन्होंने उस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। बगल में बैठे विधान सभा अध्यक्ष को अपने लिये लगायी गयी कुर्सी पर बिठाया और खुद विधान सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गये। अखिलेश यादव उठे और मुलायम के कान में कुछ कहा। उसके बाद शुरू हुआ कुर्सियों के फेर बदल का सिलसिला। बाद में मुलायम सिंह के एक साइड अहमद हसन और दूसरे साइड माता प्रसाद पाण्डेय को बिठाया गया। अखिलेश यादव विधान सभा अध्यक्ष के बगल में बैठ गये।

विधायक जी यह विधान सभा नहीं है

मंच के बिल्कुल सामने ही विधायकों और अन्य वीआईपीज के बैठने का इंतेजाम किया गया था। लेकिन मीडिया कर्मियों के जमावड़े और कुछ बाहर से पहुंचे लोगों की वजह से विधायकों ने ही शोर मचाना शुरू कर दिया। इसी दौरान पास में ही बैठे एक सज्जन बेसाख्ता बोल पड़े कि विधायक जी यह पार्टी का प्रोग्राम है विधान सभा नहीं जो आप इतना शोरगुल कर रहे हैं।

सहगल को संभालना पड़ा मोर्चा

मंच के ठीक सामने इकट्ठा हुई भीड़ को हटाने के लिए प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल को खुद मोर्चा लेना पड़ा। वह पण्डाल में आये और फिर एक एक कर सभी मीडिया कर्मियों को फिल्टर किया और फिर कैमरा मैन को वहीं जमीन में ही बिठा दिया। इसके बाद जाकर लोग शांत हुए।

कई पुराने समाजवादी भी पहुंचे

मंच पर कई समाजवादी नेता भी पहुंचे। इसमें सबसे बुजुर्ग नेता और फैजाबाद से विधायक रह चुके अनंत राम जायसवाल और भगवती सिंह भी शामिल थे। इसके अलावा हिंदी संस्थान के चेयरमैन उदय प्रताप सिंह और कई नेता शामिल रहे।