बिना चार्ज लिए ही लौट गए थे

एबीएम कॉलेज में डॉ सनत मंडल बिना चार्ज लिए ही लौट गए थे। इंफॉर्मेशन के मुताबिक अगर वे दोबारा चार्ज लेने आते हैैं तो उनका फिर विरोध होगा। ऐसे में यूनिवर्सिटी का क्या रुख होगा, इसपर कोई भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहा। डॉ उषा शुक्ला के ग्र्रेजुएट कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के बाद से एबीएम कॉलेज में प्रिंसिपल का पद रिक्त है। अगर डॉ मंडल चार्ज नहीं लेते हैैं, तो फिर किसे एबीएम का प्रिंसिपल बनाया जाएगा यह एक सवाल है।

तो कॉन्वोकेशन के बाद होगा फैसला
कॉलेजेज में चल रहे इस तरह के हंगामे को लेकर यूनिवर्सिटी की ओर से भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। वीसी सलिल राय कहते हैैं कि वे कॉन्वोकेशन में बिजी हैैं और अभी इस तरह के मामलों में इन्वॉल्व नहीं होना चाहते। वे कहते हैैं कि उन्हें इस तरह के मामले की कोई जानकारी नहीं है। इस मामले को कॉन्वोकेशन के बाद देखेंगे।

क्यों हो रहा है यह सब?
मामला चाहे ग्र्रेजुएट कॉलेज का हो या एबीएम कॉलेज का। यह तो महज एग्जांपल है। अगर यही हाल रहा तो यूनिवर्सिटी के हर आदेश का विरोध होगा और स्टूडेंट लीडर्स अपनी मर्जी के हिसाब से प्रिंसिपल तय करवाने लगेंगे। इसका कारण बताया जा रहा है कि कॉलेज में एडमिशन व दूसरे कार्यों से इन सो कॉल्ड स्टूडेंट लीडर्स को काफी बेनिफिट होता है। अगर उनके विरोध पर किसी दूसरे को प्रिंसिपल बनाया जाता है, तो वह व्यक्ति इनके गुड फेथ में रहेगा और ये उसके जरिए अपना काम निकाल सकेंगे।

टांग अड़ा रहे हैं student leaders
सिटी के कॉलेजेज में इन दिनों स्टूडेंट्स व स्टूडेंट लीडर्स की खूब चल रही है। चाहे वह बी-एड एडमिशन में हो, एग्जामिनेशन फॉर्म भरने का मामला हो या कुछ और। हर मामले में वे टांग अड़ा रहे हैं। अब तो हद हो गई है और स्टूडेंट लीडर्स अपनी मर्जी के मुताबिक प्रिंसिपल की भी डिमांड करने लगे हैं। यही कारण है यूनिवर्सिटी द्वारा किसी कॉलेज में किसी को प्रिंसिपल का चार्ज देने के साथ ही उसका विरोध हो जा रहा है। ताजा मामला गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज का है। कोल्हान यूनिवर्सिटी द्वारा डॉ सनत मंडल को कॉलेज का प्रिंसिपल इंचार्ज बनाया गया है। इसका भी स्टूडेंट लीडर्स द्वारा विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि डा। सनत मंडल केयू में मैथ्स के एचओडी हैं। उन्हें एबीएम कालेज के प्राचार्य की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि एबीएम में गणित का डिपार्टमेंट ही नहीं है। इससे पूर्व भी ग्रेजुएट कालेज की प्रिंसिपल इंचार्ज डा। कनकलता को वहां से हटाकर एबीएम कालेज भेजे जाने का नोटिफिकेशन हुआ था। हालांकि कनकलता ने वहां जाने की बजाय ग्र्रेजुएट कॉलेज में ही रहने की इच्छा जतायी। बता दें कि डा। कनकलता जूलोजी की एसोसिएट प्रोफेसर हैं और इस विषय की पढ़ाई एबीएम कॉलेज में नहीं होती। हालांकि नोटिफिकेशन में डॉ कनकलता को हिंदी का एसोसिएट प्रोफेसर बताते हुए एबीएम कालेज का चार्ज दिया गया था।


प्रिंसिपल को क्लास तो लेना नहीं है। ऐसे में इसका विरोध किया जा रहा है तो यह पूरी तरह से गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए।
-केसी डे, रजिस्ट्रार, कोल्हान यूनिवर्सिटी

अगर स्टूडेंट्स यह तय करने लगे कि किसे प्रिंसिपल होना चाहिए किसे नहीं तो एजुकेशन का फ्यूचर क्या होगा? कुछ लोग स्वार्थवश इस तरह का काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चहिए।
-परविंदर सिंह, फॉर्मर स्टेट प्रेसिडेंट, एनएसयूआई


यह ठीक है कि प्रिंसिपल को क्लास नहीं लेना है.  इस बात का विरोध किया जा रहा है कि आखिर इतनी जल्दी-जल्दी प्रिंसिपल को इधर से उधर क्यों किया जा रहा है। इस तरह के मामले को रोकने विरोध जता रहे हैं।
-दीपक पांडेय, प्रेसिडेंट, जमशेदपुर छात्र संघ

Report by : abhijit.pandey@inext.co.in

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