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PRAYAGRAJ: राजनीति के स्तर को लेकर नेताओं का तो पता नहीं, लेकिन देश की जनता जरूर चिंतित है. यही कारण है कि जब बात देश की सुरक्षा और सेना की आती है तो देश का नागरिक इस पर किसी भी प्रकार की गलत बयानबाजी बर्दाश्त नहीं करता है. मिलेनियल्स स्पीक के दौरान यही बातें सबसे प्रमुख रूप से सामने आई. इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सिटी ऑफिस में डेंटल डाक्टर्स ने अपनी राय रखी. एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दे पर डाक्टर्स ने एक साथ इस मुद्दे पर किसी भी तरह के विवाद से बचने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि जब सेना ने कह दिया कि एयर स्ट्राइक हुई है, तो इसके बाद कुछ भी पूछना या इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना गलत है.

नोटबंदी का फ्यूचर में पॉजिटिव असर

इस दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर डॉक्टर्स ने कहा कि कश्मीर में चल रहा आतंकवाद हो या फिर माओवादियों का मूवमेंट हो. नोटबंदी ने काफी हद तक इस पर कंट्रोल किया है. जहां तक बात पब्लिक के परेशान होने की है तो सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हुई है, जिनके घर में उस दौरान शादियां थीं. ऐसे लोगों को जरूर मुसीबत का सामना करना पड़ा. अगर मिडिल क्लास की बात की जाए तो उन पर कुछ खास असर नहीं पड़ा. हालांकि एक नई बात सामने आयी कि बैंक भी घपलेबाजी कर सकते हैं. जहां तक बात इससे फायदे की है तो नोटबंदी के बाद टैक्सपेयर्स की संख्या में भी काफी हद तक बढ़ोत्तरी हुई है. इसके कारण है बरसों से जौ कैश डंप पड़ा था वह मार्केट में तेजी से फ्लो हुआ है. 60 प्रतिशत तक डिजिटल ट्रांजिक्शन देश में बढ़ा है. आज के समय में अगर पेट्रोल पंप पर भी जाइए तो ज्यादातर लोग डेबिट कार्ड ने पेमेंट करते हैं.

आती है शुरुआती दिक्कत

नोटबंदी से लोगों को सिर्फ परेशानी हुई यह बात पूरी तरह से गलत है. किसी भी नई चीज के इंप्लीमेंट में शुरुआती दिक्कत आती है. इस कदम का दूरगामी असर है, जो आने वाले कुछ साल में दिखाई देगा. नोटबंदी का ही असर है कि आज के समय में गवर्नमेंट की विभिन्न योजनाओं का पैसा सीधे लोगों के खाते में जा रहे हैं. ऐसे में नोटबंदी एक साहसिक कदम था, लेकिन इसको लेकर अभी से कोई जजमेंट बताना गलत है. फ्यूचर में इसका फायदा देश की इकॉनमी पर भी दिखेगा. तब लोगों को समझ आएगा कि नोटबंदी कई मायने में देश के हित में उठाया गया कदम था.

कुछ और सुधार करें तो बढ़ेगा डिजिटल पेमेंट

सरकार भले ही डिजिटल पेमेंट बढ़ाने पर पिछले कुछ साल से मेहनत कर रही है, लेकिन कुछ सुधार हो तो डिजिटल पेमेंट और बढ़ेगा. खासतौर पर 2 हजार से अधिक डेबिट कार्ड ने शापिंग आदि पर जो टैक्स लगता है, उसे पूरी तरह से बंद करना चाहिए. तभी लोगों में भी डिजिटल पेमेंट को लेकर ज्यादा जागरूकता आएगी. इसके साथ ही जिस प्रकार कई कम्पनियां कैशबैक देती हैं, शुरुआत में उसे बढ़ाने की जरूरत है.

भ्रष्टाचार में अभी और काम करना जरूरी

पिछले पांच साल की बात की जाए तो भ्रष्टाचार काफी कम हुआ है. लेकिन अभी इसमें बहुत काम करने की जरूरत है. भ्रष्टाचार के लिए सिर्फ राजनेता ही नहीं, हम सब भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं. पिछले पांच साल में लोगों में घूस लेते समय काफी डर बढ़ा है. लेकिन ऐसी चीजों के ऑनलाइन होने से ऊपर के स्तर पर घूस का रेट जरूर बढ़ा है. जहां ट्रांसपैरेंसी है वहां पर भ्रष्टाचार कम हुआ है. लेकिन अभी सुधार की बहुत संभावनाएं हैं.

रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी जॉब नहीं

बेरोजगारी के मुद्दे पर यंग डॉक्टर्स ने कहा कि लोग गर्वनमेंट जॉब को ही रोजगार मानते है. जबकि प्राइवेट सेक्टर की जॉब भी रोजगार की श्रेणी में आती है. देश की आबादी सवा करोड़ से ज्यादा है, ऐसे में सब को गर्वनमेंट जॉब नहीं मिल सकती है. इसलिए जरूरी है कि लोग जॉब क्रिएटर बनने की सोचें. पिछले कुछ साल में सरकारी व प्राइवेट कंपनियों के जॉब की संख्या भले ही करप्शन के कारण कम हुई हो, लेकिन स्टार्टअप बढ़ा है. सरकार की योजनाओं के अन्तर्गत बड़ी संख्या में चल रहे स्किल डेवलेप प्रोग्राम आदि के कारण लोग खुद रोजगार देने लायक हुए हैं. चीन में 500 से अधिक स्किल डेवलप प्रोग्राम चल रहे हैं. यहां पर करीब 200 प्रोग्राम चल रहे हैं. ऐसे में इस दिशा में सरकार को और अधिक काम करने की जरूरत है.

कड़क मुद्दा

रोजगार का साधन बढ़ना चाहिए. इसके साथ ही राजनेताओं की मानसिकता बदलनी होगी. आज के समय में चुनाव सिर्फ विकास के मुद्दे पर होना चाहिए. दूसरे सभी मुद्दों को जनता को दरकिनार कर देना चाहिए. विशेष रूप से जातिगत राजनीति को अब खत्म करने का समय है. क्योकि आज के समय में जातिगत राजनीति के चक्कर में मेन मुद्दे चुनाव में भटक जाते हैं. हर कोई इसमें उलझकर रह जाता है और नेता अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं.

कॉलिंग

पिछले कुछ साल में उठाए गए कदम देश की आर्थिक स्थिति पर दूरगामी परिणाम देने वाले हैं. ऐसे में सिर्फ राजनीति के लिए हर मुद्दे का विरोध करना बेहद गलत है.

डॉ. विवेक जायसवाल

जातिगत राजनीति के चक्कर में जरूरी बातें और मुद्दे हमेशा चुनाव में गायब हो जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि विकास के मुद्दों पर अधिक फोकस होना चाहिए.

डॉ. संदीप शुक्ला

नोटबंदी के समय अक्सर पेशेंट्स स्वैप मशीन का यूज करने की बात कहते थे. पेशेंट्स की डिमांड पर ही क्लीनिक में दो स्वैप मशीन रखी गई थीं. इसका सीधा अर्थ है कि लोगों में डिजिटल पेमेंट को लेकर पहले के मुकाबले काफी जागरूकता आयी है.

डॉ. मनीष राज

इंप्लॉयमेंट की बात करें तो पिछले कुछ साल में स्वरोजगार तेजी से बढ़ा है. सकरार की स्टार्टअप योजनाओं ने काफी हद तक बेरोजगारी कम करने का प्रयास किया है, लेकिन अभी बेरोजगारी पर बहुत काम करने की जरूरत है.

डॉ. सचिन प्रकाश

एयर स्ट्राइक पर हो रहा विवाद बहुत गलत है. अगर एयर स्ट्राइक नहीं होती तो पाकिस्तान की तरफ से रिएक्ट नहीं होता. यह खुद में इस बात का सबूत हुआ है कि पाकिस्तान को नुकसान हुआ है.

डॉ.राजीव त्रिपाठी

भ्रष्टाचार पहले के मुकाबले काफी कम हुआ है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि ट्रांसपैरेंसी बढ़ी है. यह अलग बात है कि अब छोटे कर्मचारी नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर घुसखोरी हो रही है. जिसका रेट भी पहले के मुकाबले बढ़ गया है.

डॉ.आशुतोष चौधरी

नोटबंदी का असर है कि आज देश में 60 प्रतिशत ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ा है. आज घोटाले की खबरें नहीं आती हैं. जबकि एक समय वह भी था जब आए दिन नए -नए घोटाले की खबरें आती थी.

डॉ. गौरव मिश्रा

नोटबंदी पर अभी कमेंट करना गलत है. नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाने के पहले सरकार ने भी बहुत कुछ सोचा होगा. नोटबंदी का लाभ आने वाले सालों में दिखाई देगा.

डॉ.शैलेन्द्र प्रताप सिंह

आज भी घूस लेने की संस्कृति बनी हुई है. अंतर सिर्फ इतना हुआ है कि पहले लोग खुलेआम घूसखोरी करते थे, अब लोग छिपकर घूसखोरी करते है.

डॉ. प्रवीण त्रिपाठी

आज की राजनीति में नेता जरूरी मुद्दों को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर चर्चा करते है. पब्लिक को भी वह अपने हिसाब के मुद्दों पर चर्चा करने और सोचने के लिए अलग-अलग ढंग से बाध्य करते हैं. जिसका असर यह होता है कि विकास जैसे मुद्दे देखते ही देखते चुनाव से एक झटके में गायब हो जाते हैं.

डॉ. सत्य प्रकाश शुक्ला