-अस्पतालों में लगातार बढ़ रहे मरीज
-विकास कार्यो के चलते धूल के गुब्बारों से जूझ रहे शहरवासी

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AGRA: शहर में चल रहे विकास कार्यो एवं अंधड़ के चलते अस्पतालों में दमा, अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. छोटे बच्चों और बुजुर्गो को यह खासा अपना शिकार बना रहा है. सड़कों से उठ रही धूल के गुब्बार लोगों में अस्थमा और सीओपीडी जैसी घातक बीमारियां बांट रही है. इससे लोगों के फेफड़े कमजोर हो रहे है. एसएन मेडिकल कॉलेज में अस्थमा के अभी हाल ही में करीब दस फीसदी मरीज बढ़ गए है.

अस्थमा से भी खतरनाक है सीओपीडी
अस्थमा के साथ ही सीओपीडी बीमारी फेफड़ो को तेजी से नुकसान पहुंचाती है. यह फेफड़ों से संबधित बीमारी है. अस्थमा आनुवांशिक भी हो सकता है और सांस की बीमारी हो सकती है. जबकि सीओपीडी की मूल वजह धूल, धुंआ और मिट्टी है. धूल एवं मिट्टी के कण धीरे धीरे सांस नली में जमा हो जाते है और इन कणों से सुरक्षा करने वाली सुरक्षा परत टूट जाती है. जिसकी वजह से कुछ समय बाद यह कण फेफड़े तक डायरेक्ट पहुंचने लगते है. चौकाने वाली बात यह है कि आने वाले मरीजों में अधिकांश लोग युवा है.

विकासकार्यो एवं मौसम में बदलाव के चलते उड़ रहे धूलकण
शहर में हर ओर विकास कार्य चल रहे. सिकंदरा सब्जी मंडी स्थित फ्लाई ओवर तो कोठी मीना बाजार में चल रही खुदाई के चलते धूल के गुब्बार शहरवासियों को अपनी चपेट में ले रहे है. आंधी आने पर हर धूल के गुब्बार और विशाल रूप ले लेते है. ऐसे में यह महीन धूल के कण कान, आंख और नाक को प्रभावित कर रही है. धूल के कण नाक से होते हुए फेफड़ो को नुकसान पहुंचा रहे है.

इस तरह करे बचाव

-तेज आंधी और हवा चलने पर उससे बचने का प्रयास करे

-अधिक गर्म और अधिक ठंडे वातावरण में अचानक से न निकले

-घर से निकलते समय मास्क का प्रयोग करे

-नाक से सांस ले. मुंह को ढ़ककर रखे

-आंखों को धूल से बचाने के लिए चश्में का प्रयोग करे

 

मौसम के बदलाव के साथ दमा और अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. धूल भरी आंधी सभी के लिए नुकसान देह है. इसमें लापरवाही न बरतें. घर से निकलते वक्त मुहं को ढ़ककर निकले. खांसी आने पर या सांस लेने में परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाए.

डॉ. प्रवेग गोयल, कार्डियोलॉजिस्ट