-'एरॉयकॉन' के तीसरे दिन रिसर्चेज पर चर्चा

- बताये गए स्वयं ही ब्रेस्ट कैंसर की जांच करने के उपाय

LUCKNOW: पॉल्यूशन और मानसिक तनाव कैंसर के बड़े कारण बन रहे हैं। केजीएमयू के कन्वेंशन सेंटर में एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन आंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की 37वीं एनुअल कांफ्रेंस में यह बात कही गई। यह तथ्य कांफ्रेंस में पेश किए गए रिसर्च पेपर्स के आधार पर कही गई। इसमें बताया गया कि पॉल्यूशन के कारण लंग्स, पैंक्रियाज, आंतों व अन्य कैंसर हो रहे हैं तो तनाव के कारण ब्रेन व ब्रेस्ट कैंसर हो रहे हैं।

हारमोन को करते हैं असंतुलित

न्यूयॉर्क से आए डॉ। मधुर गर्ग ने बताया कि कैंसर पनपने के कारणों में व‌र्ल्ड में किए गए रिसर्चेज में तनाव और पॉल्यूशन को भी दोषी पाया गया है। ये दोनों शरीर के हार्मोन को असंतुलित करते हैं। इसका सीधा असर हमारी बॉडी की सेल्स पर पड़ता है। इससे ये सेल्स अनियंत्रित तरीके से बढ़ते हैं और कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं।

झटकों को न करें इग्नोर

एसजीपीजीआई चंडीगढ़ से आये डॉ। राकेश कपूर ने कहा कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में झटकों के साथ बेहोश होने, भूख कम लगने व वजन कम होने की समस्या हो तो होशियार रहें। ऐसे में ब्लड कैंसर या ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा होता है। समय पर बीमारी की पहचान कर इलाज से बच्चे को बचाया जा सकता है। बीमारी पता चलते ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर से इलाज कराएं।

40 वर्ष पर महिलाएं कराएं मेमोग्राफी

डॉ। मधुर गर्ग के अनुसार महिलाओं में तेजी से ब्रेस्ट व सर्विक्स कैंसर की समस्या बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि पांच में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त है। अगर किसी महिला की फैमिली में किसी को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या रही हो तो उन्हें 40 की उम्र पर एक बार मैमोग्राफी करा लेनी चाहिए। अगर फैमिली हिस्ट्री नहीं रही है तो 50 की उम्र के बाद साल में एक बार जांच जरूर करानी चाहिये।

गंदगी से होता है सर्विक्स कैंसर

एम्स दिल्ली के कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉ। जीके रथ ने बताया कि अब ब्रेस्ट कैंसर की समस्या 25 की उम्र में भी हो रहा है। इसलिए हर एक महिला को स्वयं परीक्षण करने की जरूरत है। हर महिला अपने आप महीने में एक बार अपने ब्रेस्ट की जांच जरूर करे। दोनों पीरियड्स के बीच के दिन में एक बार जांच करना तय करें। अगर कोई भी गांठ जैसी चीज पता चलती है तो तुरंत इलाज कराएं ताकि फ‌र्स्ट व सेकेंड स्टेज में ब्रेस्ट से गांठ को निकालकर कीमो व रेडियोथेरेपी देकर ब्रेस्ट को बचाया जा सके। थर्ड-फोर्थ स्टेज में बीमारी पता चलने पर मरीज का जीवन बचाने के लिए ब्रेस्ट को काटकर हटाना ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्विक्स कैंसर गंदगी और साफ-सफाई न रखने के कारण होता है। 9 से 26 वर्ष की लड़कियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। वैक्सीन लगवाकर इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

नहीं निकालनी पड़ेगी आंख

पीजीआई चंडीगढ़ के डॉ। राकेश कपूर के मुताबिक बच्चों की आंखों में यदि व्हाइट रिफलेक्शन है तो रेटिनोब्लास्टोमा ट्यूमर की ओर आगाह करता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले यह बीमारी होने पर बच्चों की आंख निकालना ही विकल्प था। मगर अब विजुवल प्रिजर्वेशन कर लिया जाता है। उन्होंने बताया कि इसमें कीमा व रेडियोथेरेपी देते हैं। इससे 80 फीसद बीमारी से बचाव संभव है। वहीं 20 फीसद ही दोबारा समस्या पनपने का खतरा रहता है। जिसमें आंख को निकालना ही विकल्प बचता है।

हफ्ते भर में दे रेडिएशन की पूरी डोज

पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉ। नरेंद्र कुमार ने बताया कि मरीज को दो हफ्ते में दी जाने वाले रेडिएशन की डोज को एक हफ्ते में ही दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 12 देशों के डॉक्टर्स के साथ मिलकर की गई रिसर्च में जो रिजल्ट्स ासमने आए हैं उन्हें जनरल आफ क्लीनिकल आंकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। जिसके बाद ही ब्रेन ट्यूमर ग्लायोजास्टोमा को दो हफ्ते में दी जाने वाली रेडिएशन की डोज हफ्ते भर में देना बेहतर है। जिसमें बीमारी ठीक करने की दर अधिक है बुजुर्गो में होने वाले ब्रेन ट्यूमर के मरीज को काफी राहत मिलेगी।

बीमारी की पुष्टि होने पर ही शुरू करें इलाज-फोटो

मोहाली से आए डॉ। नरेंद्र भल्ला ने बताया कि कई बार डॉक्टर ट्यूमर का इलाज बिना बायोलॉजिकल टेस्ट कराए ही शुरू कर देते हैं। दवाएं शुरू कर दी जाती लेकिन फायदा नहीं होता। यही कारण है कि रिजल्ट्स बेहतर नहीं आते। इसलिए पहले रिसेप्टर का आंकलन करें। यह इम्यूनोकेमस्ट्री जांच से पता चलेगा। अच्छे संस्थानों में किसी भी ट्यूमर या कैंसर का इलाज तभी शुरू होता है जब उसकी सभी जांचे हो जाती हैं। जिसके कारण वहां बचाव अच्छा है।