- व‌र्ल्ड पॉपुलेशन डे पर आई नेक्स्ट शुरू कर रहा है प्लांटेशन की मुहिम

- विकास के नाम पर पेड़ों की बेतरतीब कटाई हमें होना होगा सचेत

- राजधानी के विभिन्न इलाकों में किया जाएगा प्लांटेशन

LUCKNOW: शनिवार को व‌र्ल्ड पॉपुलेशन डे है। पॉपुलेशन हर पल बढ़ती ही जा रही है लेकिन पॉपुलेशन को जगह देने के लिए पेड़ों को अंधाधुन तरीके से कलम किया जा रहा है। बढ़ती पॉपुलेशन के कारण विकास के नाम पर पेड़ों की इस बेतरतीब कटाई से हमारे शहर की आबोहवा स्वस्थ्य रहने लायक नहीं बची है। लोगों को यह समझना होगा कि पेड़ का सीधा संबंध हमारी सांसों से जुड़ा हुआ है। आलम यह है कि वर्तमान समय में एक पेड़ पर चार हजार लोगों की जिंदगी का जिम्मा है। इन अनमोल पेड़ों को बचाने के लिए अब आई नेक्स्ट एक मुहिम शुरू करने जा रहा है। इसके तहत शनिवार से राजधानी के विभिन्न इलाकों में प्लांटेशन के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, लोगों को पेड़ों की इम्पोर्टेस के बारे में भी बताया जाएगा।

ग्लोबल वॉर्मिग के जिम्मेदार हम

लखनऊ यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट के हेड वाईके शर्मा ने बताया कि जब तक जीवन है तब तक हम पेड़ों से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं। पेड़ के बिना जीवन नहीं चल सकता है। पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं। खाना कपड़ा देने के साथ ही पेड़ हमें कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। इसलिए सभी को प्लांटेशन के लिए आगे आना चाहिए। वहीं, वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश भर में प्लांटेशन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। डीएफएओ एससी यादव ने बताया कि सिर्फ एक के भरोसे प्लांटेशन संभव नहीं है। ऐसे प्रोग्राम्स में पब्लिक को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। लोगों को पेड़ों को कटने से बचाना ही होगा। एक पेड़ जब तक जिंदा रहता है तब तक वह हमें कई तरह के लाभ देता है। वातावरण को साफ करने से लेकर हमें साफ आक्सीजन तक देता है। ऐसे में सभी को प्लांटेशन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

पेड़ काटा तो होगी सजा

वन विभाग ने पेड़ों को बचाने के लिए कई नियम बना रखे हैं। इसके तहत राजधानी में कोई भी पेड़ बिना वन विभाग की अनुमति के नहीं काटा जा सकता है। भले ही वह प्राइवेट जमीन पर हो या फिर सरकारी। एक पेड़ काटने के लिए दो पेड़ लगाने होंगे अन्यथा इन पेड़ों का शुल्क वन विभाग में जमा करना होगा। अवैध रूप से पेड़ काटने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकती है।

4000 की जिम्मेदारी एक पेड़ पर

वाईके शर्मा के अनुसार पेड़ों के मामले में तो राजधानी की हालत बहुत खराब होती जा रहा है। एक पेड़ एक दिन में चार लोगों को पर्याप्त आक्सीजन दे सकता है। लेकिन, पेड़ों की कमी के चलते स्थिति यह है कि अब एक पेड़ पर 4000 लोगों से अधिक की जिम्मेदारी पड़ रही है। ऐसे में लखनऊ के हर इलाके में प्लांटेशन की जरूरत होती है। लखनऊ में पाल्यूशन लेवल बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण है।

राजधानी में ऐसे लोग भी जो प्लांटेशन में सहयोग कर रहे हैं। अनूप मिश्रा अपूर्व बताते हैं कि राजधानी के विभिन्न इलाकों में प्लांटेशन कर चुके हैं। लोग इन्हें पर्यावरण के प्रहरी के रूप में जानते हैं। अनूप ने बताया कि व‌र्ल्ड लेवल पर पेड़ों को बचाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। राजधानी में तो स्कूल लेवल पर अब यह ट्रेनिंग प्रोग्राम चलना चाहिए कि एक स्टूडेंट एक महीने में एक पेड़ जरूर लगाए। वहीं, पर्यावरणविद मनीष तिवारी ने अपना जीवन ही पेड़ों को दे दिया। उनके पास सिर्फ एक ही काम है कि वह दिन भर घूम-घूम कर पेड़ों को लगाते हैं। अब लोग इन्हें पेड़ वाले बाबा के नाम से जानते हैं। किसी के फोन करने पर यह उस इलाके में पेड़ लगाने पहुंच जाते हैं। बस शर्त यह होती है कि पेड़ जहां लगाया जा रहा है वहां इसकी देखरेख होती रहे। समय से पानी मिलता रहे और कहीं कोई जानवर इसे नुकसान ना पहुंचा सके। ऐसे ही पीजीआई के निकट डॉ। पीके गुप्ता भी लोगों को राखी बांधने की प्रेरणा दे रहे हैं ताकि लोग उनकी रक्षा करें। वह अक्सर राखी बांधो कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और लोगों से पेड़ों को राखी बंधवाते हैं।

एक पेड़ कटने से 42 लाख का नुकसान

- झाडि़यों की बजाय लगायें छायादार पेड़

एक पेड़ कटने से 42 लाख का नुकसान होता है। यह कहना है सीडीआरआई के फॉर्मर डिप्टी डायरेक्टर डॉ। प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का। उनके अनुसार एक पेड़ अपनी औसतन 50 वर्ष की लाइफ में 42 लाख रुपये का फायदा कराता है। इससे हमें इमारती लकड़ी, फल-फूल, ऑक्सीजन मिलता है। पक्षियों को बसेरा मिलता है। वह हमें प्रदूषण से बचाता है और अन्य बहुत से फायदे देता है। जबकि हम उसे लगाकर भूलते जा हैं। वे कहते हैं कि जीने का श्रोत ऑक्सीजन ही है जो पेड़ से मिलती है। यह हमें ग्लोबल वॉर्मिग से भी बचाता है। क्योंकि, ग्लोबल वार्मिग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाई ऑक्साइड को यह लेकर हमें ऑक्सीजन देती है। इस प्रकार यह तेजी से वातावरण की गर्मी को कम करते हैं और हमें जीवन देते हैं।

प्रदूषण से भी बचाते हैं पेड़

डॉ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के अुनसार ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जिनके मोटे और बड़े पत्ते हों। जैसे बरगद, पीपल, महुआ, आम, पाकड़, अशोक आदि। बड़े और मोटे पत्ते वाले पेड़ों से ऑक्सीजन ज्यादा निकलती है और वह न्वाइज पाल्यूशन को भी कम करते हैं। इन पौधों की पत्तियां रफ होती हैं जिसके कारण पाल्यूशन बढ़ाने वाला वातारण में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर के कण इन पत्तियों पर चिपक जाते हैं और बाद में बारिश के साथ जमीन में चले जाते हैं। जिससे इंसान इन कंणों को इनहेल करने से बच जाता है। शायद इसीलिए पहले सिर्फ यही पेड़ हाईवे के किनारे लगाए जाते थे।

नहीं पड़ेगी एसी की जरुरत

वृक्ष अपने पत्ते और छाल पर हवा में मौजूद प्रदूषक गैसों (नाइट्रोजन आक्साइड, अमोनिया, सल्फ र डाइऑक्साइड) को अवशोषित कर लेते हैं। ओजोन लेयर को पार कर आने वाली पराबैंगीन किरणों को भी वह अवशोषित कर लेते हैं। साइंटिस्ट्स के अनुसार हर एक परिवार के घर के आसपास तीन पेड़ लगाए जाए तो एयरकंडीशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। पेड़ 50 प्रतिशत तक गर्मी में कमी ला देंगे। हमारे घरों में ठंडा करने के लिए एसी और फ्रिज की जरूतर होती है। ऐसे में इसके लिए ऊर्जा की जरूरत तो होती है साथ ही इनसे कार्बनडाइ आक्साइड भी निकल रही है। ऐसे में पेड़ की मौजूदगी एक ओर ऊर्जा की मांग कम करेगी तो दूसरी ओर इन उपकरणों के ना चलने से कार्बनडाइ ऑक्साइड नहीं निकलेगी।

पेड़ों से फायदे ही फायदे

पेड़ को बचाने के लिए बहुत पानी भी नहीं चाहिए। ज्यादातर नए लगे पेड़ों को एक हफ्तें में 15 गैलन पानी की जरूरत होती है। उसके बाद यह पेड़ बारिश के पानी को रोकते हैं। इतना ही नहीं पेड़ नेचुरल वॉटर प्यूरीफायर का काम करते हैं। बारिश के पानी को भी पेड़ बहने से रोकते हैं। त्वचा कैंसर क सबसे बड़ा कारण अल्ट्रा वायलेट किरणे होती है। ऐसे में जो लोग खुले आसमान के नीचे वक्त बिताने वालों के साथ इसका सबसे अधिक खतरा बच्चों को रहता है। ऐसे में स्कूल और खेल मैदानों पर मौजूद पेड़ 50 प्रतिशत इस खतरें का कम कर देते हैं। वे यूवी किरणों को अवशोषित कर लेते हैं। पेड़ सिर्फ इंसानों के लिए भोजन नहीं प्रदान करते हैं। बल्कि पशु पक्षियों को भी पेड़ भोजन देते हैं।

पेड़ से होने वाले फायदे

- पेड़ सूर्य के प्रकाश को रोक कर हवा में तापमान को करते हैं।

- पेड़ों की पत्तियों में मौजूद पानी लगातार भाप बनकर उड़ता रहता है, जो ऊपर जाकर ठंडा हो जाता है। यह भी सूर्य की गर्मी को कम करता है।

- पेड़ प्राकृतिक एयर कंडीशन का काम करते हैं। जिन घरों के आस-पास पेड़ मौजूद होते हैं, वहां पर खुले इलाकों की तुलना में गर्मी कम होती है और ठंडक बनी रहती है।

- एक पेड़ 40 प्रतिशत तक शोर को अवशोषित करता है। इससे उस इलाके में शोर कम होता है।

- पेड़ की गिरी हुई पत्तियां धरती का तापमान और मिट्टी की नमी के नुकसान को कम करती हैं। खस्ताहाल पत्ते मिट्टी सूक्ष्म जीव को बढ़ावा देने और पेड़ के विकास के लिए पोषक तत्वों प्रदान करते हैं।

- पेड़ हवा से कार्बन डाईऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड के रूप में संभावित हानिकारक गैसों को अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

- एक बड़ा पेड़ चार लोगों के लिए एक दिन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकते हैं।

- गाडि़यों से निकलने वाले धुंए को भी पेड़ एब्जॉर्ब कर लेते हैं। 10 हजार गाडि़यों के धुंए को 100 परिपक्व पेड़ आसानी से एबजॉर्व कर सकते हैं।

- ध्वनि तरंगों को पेड़-पत्ते और शाखाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। 45 फुट ऊंचे पेड़ की एक बेल्ट से 50 प्रतिशत राजमार्ग के शोर को कम किया जा सकता है। लंबे समय तक शोर वाले इलाकों में रहने वाले लोगों में हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल के स्तर, चिड़चिड़ापन की शिकायत के अलावा व्यवहार में आक्रामकता होती है।