-बीमारियों को दावत दे रहा शहर में अनकंट्रोल्ड पॉल्यूशन

BAREILLY: भले ही बरेली को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल गया है। लेकिन यहां जल, थल और वायु यहां सब दूषित है। नगर निगम, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के जिम्मेदार अफसर हाथों पर हाथ धरे बैठे हैं। साधारण जेनरेटर और प्रेशर हॉर्न एक ओर जहां ध्वनि पॉल्यूशन बढ़ा रहे हैं, तो दूसरी ओर बिना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के गिर रहा पानी नदियों के जल को जहरीला बना रहा है। वहीं शहर में कंडम वाहन से निकलता धुआं दम घोंट रहा है।

नदियों में जा रहा गंदा पानी

नगर निगम रामगंगा के जल को दूषित करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। कुल 187 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन हैं। इसमें 46 किलोमीटर ट्रंक व 12 किलोमीटर की मेन ट्रंक लाइन हैं, जो तीन भागों में बंटी हुई है। पहली ट्रंक लाइन सर्राफा मार्केट, गंगापुर मूर्ति नर्सिग होम, सूद धर्म कांटा, बानखाना, केलाबाग, नैनीताल रोड होते हुए सिटी स्टेशन के पास मेन ट्रंक में मिल जाती है। दूसरी ट्रंक लाइन बारादरी, शहामतगंज, अयूब खां चौराहा, सिटी स्टेशन तक जाती है। तीसरी ट्रंक लाइन विकास भवन, गंगाचरण हॉस्पिटल, चौकी चौराहा, पोस्टमार्टम हाउस होते हुए सिटी स्टेशन पर मेन ट्रंक में मिल जाती है। शहर में बने 8 बड़ा नाला और 116 छोटे नाला के माध्यम ये शहर का 80 परसेंट गंदा पानी देवरनियां नदी और किला नदी में जाता है। जबकि 20 परसेंट गंदा पानी नकटिया नदी में जाता है। इन सहायक नदियों से होते हुए सीवर का पानी आगे जाकर रामगंगा में मिल रही है।

नदी के पानी का स्टैंडर्ड

3.5 एमजी प्रति लीटर के आसपास डिजॉल्ड ऑक्सीजन (डीओ) है रामगंगा में, जबकि 4-5 एमजी प्रति लीटर से कम नहीं होना चाहिए।

5-7 एमजी प्रति लीटर के आसपास बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) रामगंगा में है। जबकि, 3 एमजी प्रति लीटर होना चाहिए।

एयर पॉल्यूशन भी कम नहीं

मियाद खत्म हो चुके वाहनों के शहर में चलने से पॉल्यूशन लेवल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। चार पहिया वाहन में कार्बन मोनो आक्साइड 4.5 परसेंट माइक्रोग्राम प्रति क्यूब होना चाहिए, लेकिन पुराने वाहन इससे कहीं अधिक पॉल्यूशन उगल रहे हैं। वर्तमान समय में रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) 300 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब के करीब है। जबकि, स्टैंडर्ड मानक 100 है। धुएं के माध्यम से निकलने वाली हानिकारिक गैस सांस फूलने जैसी प्रॉब्लम्स को जन्म दे रही हैं।

वाहनों की संख्या

27 हजार कॉमर्शियल वाहन।

06 लाख प्राइवेट वाहन।

23 पॉल्यूशन जांच सेंटर जिले में हैं।

03 व 6 महीने तक का सर्टिफिकेट यूरो थ्री वाहनों को जारी होता है।

01 वर्ष का सर्टिफिकेट यूरो फोर या इससे ऊपर तक के वाहनों को जारी होता है।

शोर इन सिटी

वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न से शहर में ध्वनि पॉल्यूशन काफी बढ़ा है। डॉक्टर्स का मानना है कि यदि व्यक्ति देर तक शोर-शराबा फेस करते हैं तो उसका आई क्यू लेवल प्रभावित होता है। शून्य से बीस डेसीबल ध्वनि सामान्य होती है। एक व्यक्ति 40-60 डेसीबल ध्वनि फेस करने की क्षमता रखता है। इससे अधिक डेसीबल शोर में रहने पर सडेन लॉस की शिकायत शुरू हो जाती है। इसके अलावा टिनाइटस, ब्लड प्रेशर, विहैबियर चेंजेज सहित अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है।

नॉइज पॉल्यूशन का लेवल

एरिया - डेसीबल

कॉमर्शियल - 65

रेजिडेंशियल - 55

साइलेंट - 50

इंडस्ट्रियल - 75

- नोट - 80 से 90 डेसीबल तक शहर में ध्वनि पॉल्यूशन हैं।

क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अधिकारी से बातचीत

सवाल: शहर में बढ़ते पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए क्या कर रहे हैं।

जवाब: पॉल्यूशन की प्रॉपर जांच हो रही है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।

सवाल: फिर, इतना पॉल्यूशन बढ़ने की वजह?

जवाब: कहीं न कहीं पब्लिक को भी पर्यावरण संरक्षण में मदद करनी होगी। तभी कुछ हो सकता है।

सवाल: पब्लिक को अवेयर करने का काम भी तो आपका ही है।

जवाब: इसके लिए प्रोग्राम चलाया जाता है।

शहर में पॉल्यूशन बहुत है। सबसे अधिक वाहन पॉल्यूशन फैला रहे हैं। लोगों ने प्रेशर हॉर्न लगा रखे हैं। इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

-मोहम्मद हसन

जगह-जगह कूड़ा पड़ता रहता है। इसे सफाई कर्मचारी उठाते ही नहीं है। नगर निगम को साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत हैं।

-समीर

सभी को अवेयर होने की जरूरत हैं। हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा तभी कुछ हो सकता है।

-सानू काजमी