- कृत्रिम फेफड़ों को सातवें दिन उतारा गया

- लखनऊ में प्रदूषण की हालत आपातकाल जैसी

- चुनावों में पर्यावरण होगा अहम मुद्दा

LUCKNOW: लालबाग में नगर निगम के सामने कृत्रिम फेफड़े स्थापित किए गए थे जो पहले 24 घंटे में ही काले हो गए। रोज इनका कालापन बढ़ता गया। बंगलुरु में 18वें दिन, दिल्ली में छठे दिन और लखनऊ में पहले ही दिन से कृत्रिम फेफड़े काले दिखने लगे। यह इसका प्रमाण है कि राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश में प्रदूषण एक अहम सवाल बन चुका है।

लखनऊ में खतरनाक स्तर पर प्रदूषण

सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर के संयोजक डॉ। सूर्यकांत और ताहिरा हसन व एकता शेखर ने शनिवार को बताया कि बिल्कुल सफेद फेफड़ों का 24 घंटों में काला हो जाना वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। सात दिवसीय अभियान के दौरान लोगों के बीच जागरुकता के साथ ही जन प्रतिनिधियों में भी जागरुकता पैदा करने का प्रयास किया गया। इसके बाद मुख्य धारा के सभी राजनितिक दलों की ओर से इस अभियान को समर्थन मिला है और सभी दलों ने 2019 के आम चुनावों में अपने घोषणा पत्र में इस विषय को शामिल करने का आश्वासन दिया है। विद्युत वाहन, सौर ऊर्जा और कचरा निस्तारण जैसे तीन प्राथमिक समाधान अपना कर हम पूरे उत्तर भारत से वायु प्रदूषण को खत्म कर सकते हैं।

यूपी में प्रदूषण से 2.60 लाख मौतें

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में 2 लाख 60 हजार मौतें वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से हो रही हैं। यूनिसेफ के अनुसार बड़ी संख्या में बच्चे उत्तर प्रदेश में मर जाते हैं। केजीएमयू में पूरे प्रदेश से मरीजों का आना बताता है कि वायु प्रदूषण किस स्तर तक बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने आश्वासन दिया है कि प्रदूषण को चुनावी एजेंडे में शामिल करेंगे। उन्होंने बताया कि कृत्रिम फेफड़ों का इस तरह प्रयोग सबसे पहले बंगलुरु में एक संस्था ने किया, जहां इसे काले होने में 18 दिन लगे थे। इसके बाद दिल्ली में काले होने में छह दिन लगे, लेकिन लखनऊ में पहले ही दिन से ये काले दिखने लगे थे।