-कपड़े और जूट के थैले हैं प्लास्टिक के बेहतर विकल्प

- ईको फ्रेंडली होने से पर्यावरण को नहीं पहुंचता नुकसान

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VARANASI

हर तरह से नुकसानदेह पॉलीथिन का यूज नहीं करने में ही भलाई है। पॉलीथीन का बेहतर विकल्प कागज, कपड़े और जूट के बैग हो सकते हैं। ये पूरी तरह ईको फ्रेंडली हैं। इनके इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। प्रदेश सरकार की ओर से पॉलीथिन को बैन किये जाने पर कपड़े के थैलों का उपयोग और व्यवसाय दोनों बढ़ जाएगा। मार्केट में अब जगह-जगह आसानी से अवेलेबल भी हो गए हैं। लेकिन इनकी कीमतें थोड़ी ज्यादा हैं। पर्यावरण एक्सपर्ट का मानना है कि पॉलीथिन का प्रोडक्शन बंद किये बिना समस्या से निजात नहीं मिलेगी। साथ ही यूजर्स को भी इसके नुकसान के बारे में अवेयर करना चाहिए। वहीं सोमवार से नगर निगम, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की टीमों ने संयुक्त अभियान शुरू कर दिया।

कई जगह हो रहा उपयोग

पॉलीथिन का धड़ल्ले से चाय, दूध, समोसे-कचौड़ी की चटनी, सब्जी, खाद्य पदार्थ, किराना स्टोर्स में होता रहा है। हालांकि शहर के तमाम डिपार्टमेंटल स्टोर्स में पॉली बैग की जगह कपड़े के थैले दिए जाते हैं। यह पहल सराहनीय है। साथ ही कुछ नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सामान लेने कपड़े, जूट, नायलॉन के थैले लेकर निकल रहे हैं।

ऐसे करें प्लास्टिक से तौबा

- कपड़े, कागज व जूट के बैग यूज करें

- ये आसानी से मार्केट में अवेलेबल हो जाते हैं

- अपने साथ कैरी बैग के तौर पर इन्हें ही रखें

- फोल्डिंग क्लॉथ बैग्स भी यूज कर सकते हैं, जो पर्स या पॉकेट में आसानी से पोर्ट किए जा सकते हैं

- कोई दुकानदार आपको पॉली बैग में सामान देता भी है, तो उसे लेने से मना करें

एक नज़र

- करीब 25 लाख का है थैलों का डेली कारोबार शहर में

- 20 हजार से अधिक अब तक संगठनों ने बांटे कपड़े व जूट के थैले

- 50 मॉईक्रॉन से पतली पॉलीथिन हुई प्रतिबंधित

- 2 से 3 गुना थैलों का व्यवसाय बढ़ने की उम्मीद

अब भी अगर नहीं चेते तो फिर आने वाला कल और भी भयावह होगा। हर किसी को अवेयर होना पड़ेगा। प्लास्टिक के थैले की जगह कपड़े का थैला ही यूज करें। फुटकर बिक्री करने वाले दुकानदारों को भी इसके लिए जागरूक होना चाहिए।

प्रो। बीडी त्रिपाठी, पर्यावरणविद्

देर से ही सही लेकिन सरकार ने ठोस पहल तो किया। मार्केट में अब कपड़े के थैले दिखने लगे हैं कुछ जगहों जैसे सब्जी मंडी या किराना दुकानों पर पॉलीथिन दिख रही है। जिला प्रशासन अभियान चलाकर इसे पूरी तरह से बैन कराएं।

एकता शेखर, मुख्य अभियानकर्ता

द क्लाइमेट एजेंडा