JAMSHEDPUR: जमशेदपुर में एनएच-33 की दुर्दशा के लिए काफी हद तक नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) भी जिम्मेदार है। पारडीह कालीमंदिर से बालीगुमा तक एनएच-33 के चौड़ीकरण के लिए जब भूमि का अधिग्रहण ही नहीं हुआ है तो इसका निर्माण कैसे होगा। एनएचएआइ के अधिग्रहण के लिए निर्धारित मुआवजे की 52.58 करोड़ रुपये की रकम जिला प्रशासन को नहीं देने की वजह से मानगो में एनएच 33 के दोनों तरफ भूमि का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। जबकि, जिला प्रशासन ने तकरीबन 45 रैयतों का मुआवजा निर्धारित करने के बाद 2013 में ही ये रकम एनएचएआइ से मांगी थी जो अब तक एनएचएआइ ने नहीं जारी की है।

लटकी हुई है प्रक्रिया

पारडीह कालीमंदिर से बालीगुमा तक एनएच 33 के चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अब तक लटकी हुई है। यहां एनएच 33 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहण हुआ ही नहीं तो काम कैसे शुरू होगा। रांची से महुलिया तक एनएच 33 के चौड़ीकरण के लिए कुल 23 गांवों में जमीन का अधिग्रहण करना था। इनमें से एनएचएआइ ने 22 गांवों में जमीन के अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया है। लेकिन, जमशेदपुर में पारडीह से बालीगुमा तक एनएच 33 के किनारे जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। यहां मानगो के वार्ड नंबर आठ, नौ और 10 में जमीन अधिग्रहण होना था। इसके लिए जिला भू अर्जन विभाग ने बाकायदा प्रक्रिया शुरू की थी। राजस्व अमीनों ने मापी के बाद 45 रैयतों की जमीन के अधिग्रहण की सूची तैयार की थी। इन रैयतों को देने के लिए 52 करोड़ 58 लाख रुपये के मुआवजे की गणना हुई थी। जिला प्रशासन ने एनएचएआइ से इस रकम की मांग की थी। लेकिन, एनएचएआइ ने ये रकम जिला प्रशासन को नहीं दी। इस वजह से ये रकम रैयतों को नहीं बांटने की वजह से जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका। नियमानुसार रैयतों को 80 फीसद रकम वितरित करने के बाद ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है। जमशेदपुर में पारडीह कालीमंदिर से बालीगुमा तक एनएच के किनारे जमीन का अधिग्रहण नहीं होना एनएचएआइ की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है।

2015 में पूरा होना था काम

रांची से महुलिया खंड में एनएच 33 के चौड़ीकरण का का ठेका मधुकॉन कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। 1485.33 करोड़ रुपये की लागत से ये काम होना था। मधुकॉन ने काम शुरू किया 15 दिसंबर 2012 को काम शुरू किया। ये काम चार जून 2015 को खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन, एनएचएआइ की लापरवाही की वजह से 163 किलोमीटर में से महज 62 किलोमीटर तक चौड़ीकरण का काम हो सका है।