RANCHI : दुर्गा पूजा के दौरान ठेले- खोमचे पर कुछ भी खाना आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वजह साफ है। पूजा मेले को लेकर स सड़कों व पंडालों के आसपास ठेला लगाने वालों ने खाने-पीने के सामानों में मिलावट का पूरा इंतजाम है। चाहे चाइनीज आइटम्स हों या मिठाईयां अथवा चाट-समोसा अथवा जलेबी। हर आइटम में मिलावट की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इनके नमूनों की जांच के लिए प्रशासन की ओर से अबतक कोई पहल नहीं की गई है। न तो सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं और नही दुकानों में मिलने वाले मिलावटी सामानों को लेकर किसी तरह की कोई छापेमारी की जा रही है। हालांकि, सदर एसडीएम गरिमा सिंह ने कहा कि खाने-पीने के सामानों की क्वालिटी की जांच के लिए टीम बनाई जा रही है।

ठेलेवालों की चकाचक

दुर्गापूजा हो चाहे कोई और त्योहार। ठेले पर चाट-समोसा के साथ चाइनीज फूड आइटम्स बेचने वालों की बहार आ जाती है। इस नवरात्र भी पंडालों, सड़कों व गली-मुहल्लों में हर दस कदम पर लगने वाले ऐसी दुकानों में खाने-पीने को लेकर भीड़ उमड़ने लगी है। ऐसे में ज्यादा मुनाफा की लालच में ये खाने-पीने के सामानों में मिलावट करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी ऐसे फूड आइटम्स को खाने की सोच रहे हैं तो अभी से ही सावधान हो जाएं।

सरसो तेल हो सकता 'जहरीला'

मेलों में सबसे ज्यादा डिमांड छानकर बनाए जाने वाला फूड प्रोडक्ट्स की होती है। ऐसे में ठेलों व खोमचे में बनने वाले फूड आइटम्स के लिए जो सरसो तेल इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी क्वालिटी काफी घटिया होती है। नकली तेल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। खासकर चावल की भूसी से निकलने वाले तेल में पीला रंग मिला इसे सरसों का बना दिया जाता है। इसके अलावा पामोलीन ऑयल को भी केमिकल से पतला कर सरसों का तेल बताकर बेचा जा रहा है। इस तेल की कीमत बाजार में 50 रुपए लीटर तक होती है, लेकिन सरसों के नाम पर यही तेल 70 से 80 रुपए तक बेचा जा रहा है।

घातक है सिंथेटिक मावा

मिठाई में सिंथैटिक मावे का खेल किसी से छिपा नहीं है। इस मावे से रसगुल्ले, व बर्फी आदि तमाम मिठाई तैयार होती हैं। लेकिन, अब महंगी काजू कतली में भी मिलावट का खेल होने लगा है। सात सौ रुपए किलो की कीमत में बिकने वाली काजू कतली में भी काजू की जगह मूंगफ ली की गिरी मिलावट देखी जा सकती है। मिठाई बनाने वालों के अनुसार कुछ लोग काजू की जगह मूंगफ ली की गिरी पीसकर उसमें काजू का एसेंस लगाते हैं और चीनी की चाशनी में इस मिश्रण को मिलाकर काजू कतली तैयार कर बेचते हैं जिसकी लागत 150 रुपए के आसपास बैठती है।

हर माह लेनी है 10 फूड सैंपल

फूड सेफ्टी एक्ट के तहत खाद्य पदाथरें की जांच के लिए हर माह कम से कम 10 सैंपल लेकर रांची स्थित स्टेट फूड लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजना है। लेकिन, इसे सालों से फॉलो नहीं किया जा रहा है। झारखंड में इस बाबत फूड सेफ्टी इंसपेक्टर के ज्यादातर पद लंबे अर्से से खाली हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारियों को फूड सेफ्टी ऑफिसर का एडिशनल चार्ज देने का आदेश दिया है, फिर भी फूड सैंपल की जांच सही तरीके से नहीं हो पा रही है।