पोप के बयान का विरोध
जर्मनी की शारीरिक दंड विरोधी समूह ने ईसाई धर्मगुरू पोप फ्रांसिस के उस बयान का विरोध किया है जिसमें पोप फ्रांसिस ने बच्चों को दिए जाने वाले दंड का समर्थन किया है. पोप ने कहा था कि बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए उन्हें दंड देने में किसी तरह की बुराई नहीं है. हालांकि यह जरूरी है कि बच्चों की गरिमा आहत ना हो. इसके साथ ही पोप फ्रांसिस ने एक पिता की प्रशंसा की थी जिसने अपने बच्चे को शारीरिक दंड देने के बारे में बताया था.

गरिमामई नहीं होती मार

इस पिता ने बताया था कि उसने कभी अपने बच्चे के चेहरे पर नहीं मारा जिससे वह अपमानित महसूस ना के. पोप फ्रांसिस ने इस व्यक्ति की कहानी को खूबसूरत बताते हुए कहा, 'वह गरिमा का ध्यान रखता है. उसे बच्चों को दंड देना होता है लेकिन वह यह काम उचित ढंग से करता है और आगे बढ जाता है.' पोप के इस बयान पर जर्मनीज फैमिलीज मिनिस्टरी की प्रवक्ता वेरेना हर्ब ने कल संवाददाताओं से कहा, 'गरिमामय मार नाम की कोई चीज नहीं हो सकती.' उन्होंने कहा, 'इस बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा पूरी तरह अस्वीकार्य है.' इसके साथ ही समूह के पीटर नेवेल ने कहा, 'इस मानवाधिकार के बारे में सर्वसम्मति है कि बच्चों को भी समान अधिकार है कि उनकी गरिमा बनाए रखी जाए और उन्हें कानून के तहत समान सुरक्षा मिले.'

पोप के बयान से आहत

पोप के बयान से आहत होकर 'ग्लोबल इनिशिएटिव टू एंड ऑल कॉरपोरल पनिशमेंट ऑफ चिल्ड्रन' ने कहा जब सभी अन्य धर्मगुरू बच्चों को दी जाने वाली किसी प्रकार की सजा का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में पोप द्वारा ऐसा बयान देना आहत करता है. उल्लेखनीय है कि जर्मनी उन देशों में शामिल है जहां बच्चों को शारीरिक दंड देना अवैध है.

Hindi News from World News Desk

International News inextlive from World News Desk