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PATNA : बिहार में सबसे बड़ा मेडिसनल प्लांट बनने जा रहा है। इसमें हर विद्या में उपयोग होने वाली औषधीय पौधों को लगाया जाएगा। इसके बनने से न केवल पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को लाभ मिलेगा, बल्कि आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी से इलाज कराने वाले मरीजों को भी काफी राहत मिलेगी।

पटना के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एंव अस्पताल प्रबंधन ने मेडिसनल प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। इसको लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसको संबंधित विभाग के पास भेज दिया गया है। प्लांट कहां बनाया जाए, यह अभी तय नहीं हो पाया। अनुमति मिलने के बाद जगह तय किया जाएगा। कॉलेज के प्राचार्य प्रो। दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि अभी कॉलेज के पास छोटा मेडिसनल प्लांट है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में औषधी पौधे नहीं है। बड़े स्तर पर मेडिसन प्लांट के लगने से स्टूडेंट्स और मरीजों को भी फायदा होगा।

इन पौधों पर दिया जाएगा विशेष ध्यान

मेडिसनल प्लांट में भ्0 से अधिक पौधे विलुप्त होने की कगार पर है। इसमें जीवक, रिभक, मेदा, महामेदा, हंसपदी, ज्योतिषमती, अश्वगंधा, स्वगंधा सहित अन्य पौधे शामिल है। वहीं, नए मेडिसनल प्लांट में इन पौधों को भी लगाने की कोशिश की जा रही है, ताकि विलुप्त न हो पाए।

लगेंगे ब्00 से अधिक मेडिसनल प्लांट

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज प्रबंधन के पास एक मेडिसनल प्लांट है। उसमें पर्याप्त मात्रा में पौधे नहीं है। नए मेडिसनल प्लांट में ब्00 से अधिक मेडिसनल प्लांट लगाया जाएगा। इसमें आयुर्वेद के साथ यूनानी, एलोपैथ सहित होम्योपैथी में उपयोग होने वाले औषधी पौधे लगाए जाएंगे।

स्टूडेंटस को होगा फायदा

आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को प्लांट विजिट करना रहता है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन मेडिसनल प्लांट लगाते हैं। लेकिन व्यवस्था नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स मेडिसनल प्लांट विजिट करने से वंछित रह जाते हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर मेडिसनल प्लांट लग जाता है तो स्टूडेंट्स प्लांट का विजिट कर औषधियों के बारे में जान सकेंगे।

बिहार में एक भी बड़ा मेडिसनल प्लांट नहीं है। इसलिए सबसे बड़ा मेडिसनल प्लांट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें ब्00 से अधिक मेडिसनल पौधे लगाए जाएंगे। इसमें विलुप्त हो रहे पौधों को विशेष तौर पर लगाया जाएगा और उसका खास तौर पर ध्यान रखा जाएगा। इससे न केवल मरीजों को फायदा होगा, बल्कि पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को लाभ होगा।

- प्रो। दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज, पटना