- घातक साबित हो रही लगातार बढ़ती जनसंख्या

- ईको सिस्टम डिस्टर्ब होने से शुद्ध हवा-पानी मिलना हुआ मुश्किल

VARANASI

बढ़ती जनसंख्या आम आदमी के लिए घातक साबित होती जा रही है। पब्लिक की भोजन, पानी, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत तमाम मूलभूत जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन उस अनुपात में सुविधाएं उपलब्ध कराना कठिन साबित हो रहा है। इसका नतीजा सामाजिक असंतुलन के रूप में सामने आ रहा है। यही नहीं, अंधाधुंध दोहन से भूजल स्तर भी घट रहा है। नदियां सूख रही हैं। एयर व वाटर पॉल्यूशन बढ़ रहा है। ईको सिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) डिस्टर्ब हो गया है। इसका नतीजा असमय बदलता मौसम, जहरीली हवा और पानी की कमी के रूप में सामने आ रहा है।

कैरिंग कैपिसिटी कम

विशेषज्ञों के मुताबिक धरती की कैरिंग कैपिसिटी (भार उठाने की क्षमता) निर्धारित है, लेकिन लगातार पॉपुलेशन बढ़ने से उसपर दबाव बढ़ रहा है। यही नहीं, पेड़, नदी, आदि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से ईको सिस्टम चरमरा गया है। इससे आम आदमी को शुद्ध हवा-पानी नहीं मिल रही है। जिला अर्थ एवं संख्या विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिस हिसाब से शहर की जनसंख्या बढ़ी। उस हिसाब से बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई हैं।

विशेषज्ञ बोले

जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए व्यापक जागरूकता की दरकार है। सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर चल रहे कार्यक्रमों को और प्रभावी तरीके से लागू किया जाये। साथ ही ईको सिस्टम को निर्बाध गति से चलने देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों को हर हाल में बचाने की जरूरत है।

प्रो। बीडी त्रिपाठी, पर्यावरणविद्

बढ़ती जनसंख्या से सामाजिक असंतुलन बढ़ता जा रहा है। शिक्षक की अपेक्षा छात्र का अनुपात बढ़ रहा है। हर साल नए शिक्षण संस्थान खुलने के बावजूद हर बच्चे को शिक्षा देना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। प्रॉपर एजुकेशन देने के लिए जनसंख्या नियंत्रण को ठोस कदम उठाने होंगे।

प्रो। रमाशंकर त्रिपाठी, समाजशास्त्री

स्वास्थ्य विभाग की ओर से पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए फैमिली प्लानिंग व अवेयरनेस प्रोग्राम चलता रहता है। पहले की अपेक्षा इस मामले में लोग काफी हद तक जागरूक भी हुए हैं। इससे पब्लिक को पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं।

डॉ। मनीषा सिंह, सचिव आईएमए

जनसंख्या से जुड़े आंकड़े इकट्ठा कर शासन को भेजा जाता है। फिर प्रति व्यक्ति आय और सुविधाएं बढ़ाने को लेकर सम्बंधित विभागों को सूचित किया जाता है। ताकि सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में ढिलाई न बरती जाये।

रामनारायण, डीएसटीओ

जनसंख्या बढ़ने से नुकसान

- बुनियादी सुविधाओं की कमी

- सामाजिक असंतुलन बढ़ा

- प्रति व्यक्ति आय कम

- प्राकृतिक संसाधनों की कमी

- जनसंख्या घनत्व में इजाफा

हाईलाइटर

- 2.85 फीसदी की दर से बढ़ रही शहर की पॉपुलेशन

- 3 लाख से ज्यादा बढ़ गई पॉपुलेशन सात साल में

- 16 फीसदी बढ़ गया जनसंख्या घनत्व सात साल में

- 1000 पुरुषों पर 932 महिलाएं सिटी में

एक नजर में

- 159.57 वर्ग किलोमीटर सिटी का एरिया

- 189000 से ज्यादा भवन हैं शहर में

- करीब 1925220 आबादी है शहर की

- 2.52 लाख फ्लोटिंग पॉपुलेशन सिटी की