-सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटेरिंग कमेटी तैयार कर रही दून की सर्वे रिपोर्ट

-शुरुआती सर्वे में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तथ्य आए सामने

-3.2 प्रतिशत आबादी हर वर्ष बढ़ रही देहरादून की

-हर वर्ष 55-60 हजार नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन,

नदियों के किनारे बढ रही आबादी,विस्थापन की जरूरत

Dehradun@inext.co.in

DEHRADUN: देहरादून शहर में प्रतिवर्ष 3.2 प्रतिशत की दर से आबादी बढ़ रही है। हर वर्ष 55-60 हजार नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है। रिस्पना व बिंदाल नदी के किनारे ढाई लाख से अधिक आबादी निवास कर रही है। तेजी से बढ़ते आबादी और वाहनों की खतरनाक स्थिति के बीच सुकूनभरी बात यह है कि कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे शहर के आसपास रिजर्व फोरेस्ट कवर एरिया 43 वर्ष पहले जैसी स्थिति में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा तैयार की जा रही एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं। दून के आसपास वर्तमान में फोरेस्ट कवर एरिया वर्ष 1976 के बराबर आकर स्थिर हो गया है। हालांकि पिछले वर्षो में इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले।

पूर्व पीसीसीएफ के नेतृत्व में तैयार हो रही सर्वे रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी 'कैरिंग कैपिसिटी ऑफ देहरादून' नाम से लैंड यूज,लैंड कवर और हाइड्रोलोजिकल स्टडी पर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है। जिसमें दून में तेजी से बढ़ती आबादी का आंकाड़ा चौकानें वाला है। इस कमेटी में रिटायर आईएफएस ऑफिसर व उत्तराखंड के पूर्व पीसीसीएफ डा। आरबीएस रावत चीफ कंसल्टेंट हैं। उनके साथ रिटायर आईएफएस डीसी खंडूडी भी जुड़े हैं। कमेटी यह सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है कि दून वैली में वे कौन से फैक्टर्स हैं, जिनसे यहां कि आबोहवा को आने वाले समय में खतरा हो सकता है। अध्ययन जारी है। रिपोर्ट को तैयार होने में अभी दो-तीन माह लगेंगे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे केंन्द्र सरकार से अनुमोदन लेकर पब्लिश किया जाएगा।

इन विषयों पर हो रहा अध्ययन

सुप्रीम कोर्ट मॉनिटेरिंग कमेटी(एससीएमसी)के तहत दून के पर्यावरण को पहुंचने वाले नुकसान पर तैयार हो रही सर्वे रिपोर्ट के शुरुआती दौर में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट उस हर पहलु का अध्ययन कर रही है, जिसमें पर्यावरण, वन, अर्बनाइजेशन, पानी , बिजली, पॉल्यूशन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवेज, बायोमेडिकल वेस्ट, ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री, पापूलेशन व माइनिंग शामिल हैं। अध्ययन से यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारक कौनसे हैं। इन सब विषयों की डिटेल और इनसे पड़ने वाले कुप्रभावों के लिए सरकारी विभागों के अलावा सैटलाइट इमेजेज, डिजास्टर मैनेजमेंट की रिपोर्ट, दून में मौजूद सेंट्रल इंस्टीट्यूशंस से भी मदद ली जा रही है। सर्वे रिपोर्ट तैयार होने के बाद पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहे तत्वों का हल निकालने के लिए सरकार के स्तर पर काम होगा।

आबादी-वाहनों का आंकड़ा चौंकाने वाला

शुरुआती अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के बाद दून में प्रतिवर्ष करीब 3.2 प्रतिशत की दर से आबादी बढ़ रही है। साथ ही वाहनों की संख्या भी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षो में हर वर्ष 55-60 हजार नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जो बढ़ता ही जा रहा है। इनके जरिए प्रदूषण का जहरीला धुआं सांसों में घुल रहा है।

रोजाना 400 मीट्रिक टन कूड़े के ढेर

सर्वे की प्राइमरी फाइंडिंग्स में प्रदूषण के दूसरे कारणों में निर्माण कार्य सबसे प्रमुख वजह बताई गई हैं। जिनमें भवन निर्माण, सड़क, नाली, पुल शामिल हैं। जिनकी वजह से वातावरण में पीएम 10 (पार्टिकुलेट मैटरर)प्रति घन मीटर के हिसाब से बढ़ रहा है। पर्यावरण को पहुंचने वाले नुकसान की वजह कूड़ा-कचरा व सीवरेज भी बताई गई है। देहरादून में रोजाना 400 मीट्रिक टन कूड़े का उत्पादन होता है। हालांकि इनमें 100 मीट्रिक टन रिसाइकल होने वाला कूड़ा भी शामिल है।

नदियों के किनारे बस गई 2.5 लाख आबादी

कभी दून की लाइफ लाइन कही जाने वाली बिंदाल व रिस्पना नदी के किनारे करीब ढ़ाई लाख आबादी निवास कर रही है। इन दोनों नदियों के आसपास शहर में 128 स्थानों पर तो नदी के कैचमेंट एरिया में ही आबादी बसी है। जिसका सीधा असर नदियों के नेचुरल फ्लो पर पड़ा है। सर्वे रिपोर्ट में नदियों किनारे बसी आबादी के विस्थापन का सुझाव शामिल किया जा रहा है।

शुभ संकेत जंगलों के हालात सुधरे 1976 जैसा फॉरेस्ट एरिया

दून शहर में लगातार बन रहे मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स व भवनों का निर्माण कार्य भले ही तेजी से चल रहा हो, लेकिन आज भी दून में 62.3 प्रतिशत फॉरेस्ट एरिया स्थिर ा है। कमेटी के चीफ कंसंल्टेट डा। आरबीएस रावत बताते हैं कि अध्ययन रिपोर्ट में फॉरेस्ट कवर एरिया 1976 की स्थिति में पाया गया है। यह शुभ संकेत कहे जा सकते हैं। बड़ा एरिया रिजर्व फोरेस्ट का है।

 

-हर साल दून में हो रहा है 55-60 हजार वाहनों को रजिस्ट्रेशन।

-वाहनों में दुपहिया, तिपहिया व चार पहिया वाहन शामिल।

-भवन, रोड, नाली निर्माण के कारण प्रदूषण का बढ़ रहा है स्तर।

-दून में रोजाना पैदा हो रहा है 400 मेट्रिक टन कूड़ा।

 

::सीसीडी सर्वे में ये प्वाइंट शामिल

-जियोलोजी, सॉइल व क्लाइमेट।

-पापुलेशन।

-टूरिस्ट पॉपुलेशन।

-इंफ्रास्ट्रक्चरल फैसिलिटी।

-एकोमोडेशन फॉर टूरिस्ट।

-हेल्थ फैसिटलिटीज।

-पावर सप्लाई।

-ट्रैफिक एंड पार्किंग।

-सीवेज।

-वाटर सप्लाई।

-वेस्ट मैनेजमेंट।

-मास्टर प्लान।

-लैंड यूज।

-ट्रांसपोर्टेशन।

-माइग्रेशन।

 

यही कमेटी हिल क्वीन की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। वर्ष 2011 में कमेटी ने 'कैरिंग कैपिसिटी ऑफ मसूरी' नाम से सर्वे रिपोर्ट तैयार की। वह रिपोटर् 1998 में किए गए सर्वे की अपडेटेड थी, जिसके बाद मूसरी की पहाड़ी पर खनन समेत अवैध निर्माण पर रोक लगी।

 

-कैरिंग कैपिसिअी ऑफ देहरादून की रिपोर्ट तैयार हो रही है। अभी इसमें करीब तीन माह से अधिक का वक्त लगेगा। सर्वे रिपोर्ट में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले हर पहलु इसमें शामिल होंगे।

डा। आरबीएस रावत, पूर्व पीसीसीएफ व चीफ कंसेल्टेंट कैरिंग कैपिसिटी ऑफ देहरादून.

 

-एनवायरनमेंट इश्यूज मॉनिटेरिंग पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जा रही है। आबादी और वाहनों की बढ़ती संख्या चिंता जनक है। कमेटी पहले भी मसूरी पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई थी। पर्यावरण प्रदूषित करने वाले कारकों का प्रभाव पड़ रहा है।

एमसी घिल्डियाल, सेक्रेटरी, एससीएमसी