-रिजर्वेशन सेंटर में लगे पीओएस बने शो पीस

-टाइम व नियम के चक्कर में टिकट बनाने से कतरा रहे पैसेंजर्स

-पीओएस से बने टिकट का कैंसिलेशन बना मुसीबत

-रेलवे जनरल टिकट काउंटर पर सुविधा देने से हटा पीछे

<-रिजर्वेशन सेंटर में लगे पीओएस बने शो पीस

-टाइम व नियम के चक्कर में टिकट बनाने से कतरा रहे पैसेंजर्स

-पीओएस से बने टिकट का कैंसिलेशन बना मुसीबत

-रेलवे जनरल टिकट काउंटर पर सुविधा देने से हटा पीछे

VARANASI

VARANASI

रिजर्वेशन काउंटर में कैशलेस सिस्टम लागू करने के लिए रेल मंत्रालय ने विभिन्न बैंक के साथ मिलकर प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन तो लगा दिया। लेकिन कई टेक्निकल खामियों के चलते रेलवे कर्मचारी इसके यूज से झिझक रहे हैं। इसके चलते एक तरफ जहां जनरल टिकट काउंटर्स पर पीओएस लगाने की योजना पर ब्रेक लग गया है, वहीं रिजर्वेशन सेंटर से पीओएस गायब भी हो गयी हैं।

कैशलेस से कम समय लेता है कैश

रेल टिकट लेने वाले पैसेंजर्स जल्दीबाजी में रहते हैं। जितना समय एक कैशलेस टिकट बेचने में लग रहा है, उतने में कैश लेकर करीब छह से सात टिकट बिक जाते हैं। पीओएस मशीन से टिकट बनाने में पैसेंजर्स को तीन मिनट का अधिक समय लगता है। इन कारणों से यात्रियों ने पीओएस सिस्टम से टिकट लेना बंद कर दिया। वहीं कम अमाउंट के टिकट को पैसेंजर कैश देकर ही लेना पसंद करते हैं। बता दें कि नोटबंदी के बाद कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए रिजर्वेशन सेंटर के काउंटर पर धड़ाधड़ प्वॉइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन लगा दी गई। लेकिन रेलवे में कैशलेस टिकट खरीदने वालों की संख्या बहुत कम है। कारण कि यहां लो लेवल से हाई लेवल तक के पैसेंजर्स रेल टिकट लेने पहुंचते हैं।

रिफंड को काटना पड़ता है चक्कर

पीओएस पर बने टिकट के रिफंड को लेकर अभी तक स्पष्ट निर्देश नहीं है। इसके चलते रेलकर्मी पीओएस को लेकर भ्रम में हैं। आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर ई टिकट बनाने पर चार्ट बनने के बाद वेटिंग टिकट खुद ही कैंसिल हो जाते हैं, जबकि पीओएस में चार्ट बनने के बाद भी पैसा वापस नहीं आता। टिकट कैंसिल करवाने के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है। जबकि नियम है कि अगले दिन टिकट का निरस्तीकरण नहीं हो सकता है।

वर्जन---

पीओएस काउंटर पर लगे हैं, लेकिन पैसेंजर्स को कैशलेश टिकट लेने में इंट्रेस्ट नहीं है। कैंसिलेशन पर रिफंड में लेट को कम करने का प्रयास हो रहा है।

अशोक कुमार, पीआरओ

एनईआर, वाराणसी डिवीजन

-------------------

चार टिकट डेली

पूर्वाचल के बड़े स्टेशन में शुमार वाराणसी कैंट स्टेशन स्थित रिजर्वेशन सेंटर में कहने को तो कैशलेश टिकट मिलने का इंतजाम है, लेकिन वह दिखावा भर है। आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद दनादन कैंट स्टेशन पर भी पीओएस मशीन लगा दी गयी। काउंटर नंबर 90भ्, 90म्, 909 सहित विदेशियों के लिए बने काउंटर नंबर 9क्म् पर कैशलेश मशीन लगायी गयी है। लेकिन स्थिति यह है कि एक शिफ्ट में औसतन दो से ज्यादा टिकट नहीं बन पा रहा है। कुल मिलाकर डेली चार लोग ही कैशलेश टिकट बनवाने पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसी दिन कोई भी नहीं पहुंच रहा है। इसी तरह की स्थिति मंडुआडीह स्टेशन पर भी है। यहां रिजर्वेशन काउंटर में तीन पीओएस लगाया गया है। जिससे टिकट लेने में पैसेंजर्स को इंट्रेस्ट नहीं है।

नहीं लगता एक्स्ट्रा चार्ज

रिजर्वेशन कांउटर पर लगे पीओएस से टिकट लेने में कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगता है। सीआरएस विजय शंकर मिश्र ने बताया कि काउंटर से कैशलेश टिकट बनवाने पर जितने का टिकट होता है उतना ही चार्ज लिया जाता है। पैसेंजर्स को पीओएस से टिकट बनवाने पर कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होता। यह टिकट पर प्रिंट फेयर संबंधित पैसेंजर के क्रेडिट या डेबिट कार्ड से स्वाइप करते ही कट जाता है।

-----------------

कैशलेश टिकट लेने का ऑप्शन बेहतर है। लेकिन इसमें समय बहुत लगता है। यदि टाइम कम लगे तो इसे प्रिफर किया जा सकता है।

सृष्टि, सारनाथ

टिकट बनवाने में तो कैश देने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है। पर कैंसिलेशन का रिफंड पाने में नाकों चने चबाना पड़ता है।

महेश सिंह, बीएचयू

आज सभी लोग कैश हैंडलिंग से बचते हैं। पर पीओएस जैसे प्रॉसेस में फंसना नहीं चाहता। यह बहुत जटिल सिस्टम है।

सतीश पांडेय, अर्दली बाजार

जब ऐसे सिस्टम से लोग टिकट नहीं ले रहे हैं तो इसे बंद करने में ही भलाई है। या कोई नया सिस्टम एडॉप्ट करना चाहिए।

चंद्रकांत सिंह, हूकुलगंज