- शहर से बाहर शिफ्ट होने को प्रशासन ने गुरुवार को कटवाए थे कनेक्शन

- एनजीटी में जवाब दाखिल करने से पहले की कार्यवाही, हाईकोर्ट का भी डर

मथुरा: यमुना प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट की अवमानना और एनजीटी की लताड़ से बचने के लिए जिला प्रशासन अब कागजी शेर दौड़ा रहा है। एनजीटी में जवाब दाखिल करने से पहले प्रशासन ने गुरुवार को वाइब्रेटरों के बिजली कनेक्शन विच्छेदित तो कराए। लेकिन, जैसे ही उसे हाईकोर्ट की अवमानना और मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना का एहसास कराया गया, दो घंटे के अंदर ही सभी के कनेक्शन बहाल कर दिए गए।

गुरुवार विद्युत वितरण निगम ने मथुरा वाइब्रेटर व्यवसायी एसोसिएशन की 24 सदस्य इकाइयों के अलावा 23 अन्य इकाइयों के बिजली कनेक्शन विच्छेदित कर दिए थे। कार्यवाही होते ही एसोसिएशन के सचिव हरीश गर्ग एवं अन्य पदाधिकारी कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता प्रदीप माथुर को लेकर गुरुवार को मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर के यहां पहुंच गए और उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराया। बताया कि वाइब्रेटर इकाइयां इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शहर में इसलिए संचालित हो रही हैं कि जिला प्रशासन अभी तक शहर बाहर भूमि उपलब्ध नहीं करा पाया है। इसके अलावा मुख्य सचिव आलोक रंजन का भी इकाइयों का उत्पीड़न न करने संबंधी आदेश है। मंडलायुक्त द्वारा जिलाधिकारी से वस्तु स्थिति पूछने के दो घंटे के अंदर ही सभी इकाइयों के कनेक्शन बहाल कर दिए गए और इस आदेश का पालन भी हुआ था।

18 साल में नहीं मिली भूमि::: यमुना कार्ययोजना की सुनवाई के दौरान सन 98-99 में तत्कालीन डीएम संजीव मित्तल ने शपथ पत्र दाखिल किया था कि वह पंजीकृत इकाइयों को शहर बाहर सुरक्षित भूमि उपलब्ध कराएंगे। दरअसल उससे पहले इंडस्ट्रीयल एरिया में जयगुरुदेव आश्रम के पास भूमि दी गयी थी, जिस पर उस समय एसोसिएशन ने असुरक्षित भूमि बता कर आपत्ति जता दी थी। इसके बाद बिरला मंदिर के पास राधापुरम में भूमि दी गयी और इकाइयों ने प्लाट ले भी लिए, लेकिन विप्रा ने इस जगह को आवासीय बताकर उनके आवेदन रद कर दिए। तब से प्रशासन किसी जगह की व्यवस्था नहीं कर सका है।

कहां होंगे शिफ्ट

कार्ययोजना के नोडल अधिकारी एवं एडीएम वित्त राजेंद्र कुमार ने इकाइयों को शहर बाहर जाने के लिए हाइवे पर गोकुल रेस्टोरेंट के पास शिवाजी नगर में भूमि देने का आश्वासन दिया है। उक्त भूमि भी आवासीय है। एसोसिएशन द्वारा आवासीय क्षेत्र में ही शि¨फ्टग पर आपत्ति जताने पर भरोसा दिया गया है कि उक्त भूमि को औद्योगिक क्षेत्र श्रेणी में करा दिया जाएगा। एसोसिएशन से सहमति लेने की कोशिश की जा रही है। उक्त मामले में गुरुवार को सपा महानगर के अध्यक्ष डा। अशोक अग्रवाल ने भी मंडलायुक्त से मुलाकात कर इकाइयों का उत्पीड़न रोके जाने की मांग की।

एनजीटी में रि-लोकेशन मुद्दा नहीं

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में अगली सुनवाई 25 मई को होनी है। जिलाधिकारी और मुख्य सचिव को इससे पहले जवाब दाखिल करना है। याची गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने एनजीटी में याचिका दायर की है जिसमें यमुना प्रदूषण के लिए औद्योगिक व आवासीय कचरे को जिम्मेदार बताया गया है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की यमुना कार्ययोजना की रिट का हवाला देते हुए कहा था कि एक याचिका दो जगह नहीं चल सकती। इस पर एनजीटी ने कहा है कि वह वाइब्रेटर इकाइयों की रि-लोकेशन की जगह केवल प्रदूषण पर सुनवाई करेगी।