-हर बार गर्मियों में पैदा हो जाता है बिजली संकट
-पावर कट से जूझती है सिटी में जिंदगी
आगरा। बिना बिजली के दिन में चैन नहीं और रात को नींद नहीं। आगराइट्स पिछले साल गर्मियों में लखनऊ लेवल से हुई कटौती की वजह से इस दुश्वारी को झेल चुके हैं। गर्मियों में बिना बिजली के रात में अनिद्रा। जिसके कारण लोगों में चिड़चिड़ापन, काम में मन न लगना, यहां तक कि कुछ साधारण पेशेंट्स में डिप्रेशन जैसे लक्षण भी दिखाई देने लगे थे। हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की आफत। जेनरेटर के सहारे उद्योगों का संचालन के कटु अनुभव को झेल चुके आगरा के लोग गर्मियां शुरू होते ही परेशान होने लगते हैं। बिजली गुल होने पर जेनरेटर धड़धड़ाए तो आगरा शहर को पॉल्यूशन की मार भी झेलनी पड़ी।
नींद में पड़ता है खलल
बिजली संकट के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत रात में बिजली सप्लाई ब्रेक होने से होती है। दिनभर काम-काज के बाद हारे थके लोग जब खाना खा कर सोने के लिए जाते हैं और थोड़ी देर के बाद ही बिजली कट जाए तो नींद में खलल पड़ता है। वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ। जेके कालरा के अनुसार रात में नींद पूरी नहीं होने का सीधा असर शरीर और मस्तिष्क पर पड़ता है। नींद पूरी नहीं होने से शरीर थकान महसूस करता है और स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है।
उद्योग संचालन होता है प्रभावित
चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक्स प्रेसीडेंट और कारोबारी मनीष अग्रवाल के अनुसार प्रॉपर बिजली की सप्लाई नहीं मिलने से उद्योग-धंधे भी प्रभावित होते हैं। हालांकि तमाम बड़े कारखानों ने बड़े-बड़े जेनरेटर सेट लगवा रखे हैं लेकिन, फिर भी छोटे-मोटे लगभग पांच हजार कारखाने बिना बिजली के संचालित नहीं हो पाते हैं। इसकी वजह से पिछली साल गर्मियों के दिनों में लगभग पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित हो चुका है।
मरीजों की होती है हालत खराब
अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीज भी परेशान होते हैं। बिना बिजली के त्राहि माम, त्राहि माम की स्थिति पिछली साल गर्मियों के दिनों में पैदा हो चुकी है। अगर इस साल भी यही स्थिति रहती है तो एक बार फिर मरीजों के सामने खासी दुश्वारी पैदा होगी। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में 700 बिस्तर का हॉस्पिटल है। इसके अलावा जिला अस्पताल में भी भर्ती कर मरीजों का इलाज होता है। बिना बिजली के मरीजों के इलाज को खासी मुश्किल होती है। गंभीर मरीजों के जीवन को तो गंभीर संकट तक खड़ा हो जाता है।
ऊपर से होती रही बिजली कटौती
टोरंट पावर के पीआरओ भूपेंद्र सिंह का कहना है कि प्रदेश स्तर पर बिजली की कमी की वजह से ही बीते साल गर्मियों में बिजली कटौती की गई थी। इस साल क्या स्थिति रहेगी, इसका पता आने वाले दिनों में ही चल पाएगा। बकौल भूपेंद्र बीते साल की गर्मियों में बिजली उत्पादन प्रभावित रहने की वजह से आगरा को ब्लैक आउट की स्थिति झेलनी पड़ी थी। अगर इस साल भी प्रदेश स्तर पर बिजली संकट हुआ तो आगरा भी इसके असर से अछूता नहीं रहेगा। ऊपर से जितनी बिजली टोरंट को मिलती है, उसी आधार पर कंपनी शहर को सप्लाई प्रोवाइड करा पाती है।
हर दिन एक घंटा
पावर कॉरपरोशन के ट्रांसमिशन डिपार्टमेंट के एक्सईएन मनीष चौहान के अनुसार पिछली साल गर्मियों के दिनों में कमोबेश हर दिन एक घंटे की ट्रांसमिशन की ओर से बिजली काटी गई। मई और जून में ज्यादा गर्मी होने की वजह से बिजली की यही हालत रही। जुलाई माह में बिजली और मौसम दोनों की ही स्थिति थोड़ी ठीक हुई तो यह कटौती घटकर लगभग आधा घंटा प्रतिदिन पर आ गई थी।
पॉल्यूशन एक नजर में
बोदला (रिहायशी एरिया) वर्ष 2014
मंथ आरएसपीएम एसपीएम
मई 162.13 470
जून 161.11 398.22
जुलाई 148.90 282.80
नुनिहाई (औद्योगिक एरिया) वर्ष 2014
मंथ आरएसपीएम एसपीएम
मई 194.33 545
जून 249.70 475.95
जुलाई 167.80 373.10
वर्ष 2015
बोदला (रिहायशी एरिया) वर्ष 2015
मंथ आरएसपीएम एसपीएम
जनवरी 201.4 249.8
फरवरी 210.1 438.2
नुनिहाई (औद्योगिक एरिया) वर्ष 2014
मंथ आरएसपीएम एसपीएम
जनवरी 214.1 274.8
फरवरी 237.7 449.3
मानक
ड्यूरेशन आरसएसपी
चौबीस घंटे में 100
एक साल में 60