RANCHI : सोमवार को बिजली ने कुछ ऐसा झटका दिया कि रिम्स के इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकों को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ा। 'अंधेरे' में मरीजों को इंजेक्शन लगा तो स्लाइन चढ़ाने के लिए मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ा। बिजली गुल रहने से 45 मिनट तक इमरजेंसी वार्ड में अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही। यहां ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ के साथ इलाज कराने आए मरीजों को पावर कट की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा।

नहीं सुनी किसी ने गुहार

इमरजेंसी में बत्ती गुल होने की तत्काल सूचना हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और बिजली विभाग को दी गई, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। वार्ड में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में चिकित्सकों ने मोबाइल की लाइट में ही उनका इलाज करना शुरू कर दिया। साथ ही, ऐसे ही सिचुएशन में मरीजों को इंजेक्शन लगाने के साथ स्लाइन भी चढ़ाया गया। अगर ऐसे में मरीज के साथ कुछ अनहोनी हो जाती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता?

किस काम का सोलर पावर प्लांट?

रिम्स में पावर कट की वजह से मरीजों के इलाज में किसी तरह की दिक्कत नहीं आए। इसके लिए यहां 400 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट लगाया गया है। इसपर करीब 5.40 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ढाई माह पहले ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसका इनॉगरेशन किया था। इसके बाद उम्मीद जगी थी कि बिजली गुल होने पर यहां पावर कट की स्थिति में भी मरीजों का इलाज नहीं रुकेगा, पर यह व्यवस्था भी हवा-हवाई साबित हो रही है।