RANCHI : जब ग्रिड ही कम हों तो शहर वासियों को पावर कट से कैसे निजात मिलेगी, भले ही जरूरत के हिसाब से बिजली आपूर्ति क्यों न हो रही हो। दरअसल घरों तक बिजली आपूर्ति में सबसे बड़ा रोड़ा ग्रिड बना हुआ है। रांची शहर को अभी हटिया-एक, हटिया-दो, नामकुम कांके ग्रिड से बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा छह और ग्रिड हैं। इनमें लोहरदगा, कामडारा, गुमला, तमाड़, सिमडेगा ग्रिड शामिल है। इन ग्रिड से पूरे रांची सर्किल में बिजली आपूर्ति की जाती है। लेकिन, ये ग्रिड यहां की क्षमताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, जिस वजह से ही फुल लोड बिजली मिलने के बाद भी पावर कट और लोड शेडिंग की समस्या बनी हुई है।

बनाए जा रहे हैं नए ग्रिड

झारखंड में बिजली उत्पादन के बाद अब बिजली संचरण के क्षेत्र में भी निजी कंपनियां निवेश करेंगी। ये कंपनियां ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण करेंगी। झारखंड बिजली संचरण निगम लिमिटेड द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के तहत ग्रिड सब स्टेशन और संचरण लाइन बनाया जाएगा।

कंपनी करेगी इन्वेस्टमेंट

बिजली संचरण कंपनी के एमडी निरंजन कुमार ने बताया कि निजी कंपनियां ग्रिड निर्माण और ट्रांसमिशन लाइन बिछाने में पूंजी निवेश करेंगी। ग्रिड सब स्टेशन और संचरण लाइन से जो भी कंपनियां बिजली लेगी, उन्हें नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ के अनुसार भुगतान करना होगा। इससे कंपनियों के साथ-साथ संचरण कंपनी को भी आर्थिक लाभ होगा। दूसरी ओर उपभोक्ताओं को भी अबाधित बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी।

रांची को चाहिए 10 और ग्रिड

रांची सर्किल में अभी नौ ग्रिड हैं, जबकि दस और ग्रिड की जरूरत है। सिल्ली, अनगड़ा और बुढ़मू में नए ग्रिड बनाए जा रहे हैं, जबकि सात और ग्रिड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इन ग्रिड को बन जाने के बाद बिजली सप्लाई में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं होगी।

24 घंटे हो सकेगी पावर सप्लाई

ट्रांसमिशन के एमडी निरंजन कुमार ने बताया कि बिजली आपूर्ति के लिए जितने ग्रिड की जरूरत है वो अभी उपलब्ध नहीं है। लेकिन नए ग्रिड लगाने को लेकर योजना तैयार कर ली गई है। ढाई से तीन साल में पूरे राज्य में ट्रांसमिशन लाइन का जाल बिछाया जाएगा। इसके बाद पावर कट और लोड शेडिंग की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। फिलहाल फुल लोड बिजली मिलने के बाद भी ट्रांसमिशन नेटवर्क नहीं होने से बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है।

चाहिए 118 ग्रिड, पर हैं मात्र 38

झारखंड में जिस हिसाब से बिजली की डिमांड बढ़ी है, उस हिसाब से यहां न तो ग्रिड हैं और न ही ट्रांसमिशन लाइन। फिलहाल इस राज्य को 118 ग्रिड की जरूरत है, लेकिन मात्र 38 ग्रिड के जरिए ही बिजली आपर्ति की जा रही है। इस वजह से सेंट्रल पूल से मिलने वाली पूरी बिजली का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। घरों तक ये बिजली नहीं पहुंच रही है। इस वजह से ही पावर कट और लोड शेडिंग की समस्या बनी हुई है।