नीड 1500 की, डिपेंडेंसी 500 पर

बरेलियंस को बिजली नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह कर्मचारियों की कमी बताई जा रही है। कई साल से जेई, लाइनमैन जैसी पोस्ट खाली पड़ी हैं। इससे सप्लाई में आने वाली अड़चन को दूर करने में कई बार तीन से चार दिन तक का टाइम लग जाता है। कर्मचारी संघ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि डिपार्टमेंट को अभी 1500 कर्मचारियों की और जरूरत है। फिलहाल डिपार्टमेंट में 500 संविदा और परमानेंट कर्मचारी वर्क कर रहे हैं।

पर VIP इलाके में बल्ले-बल्ले

इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ने बिजली सप्लाई को लेकर सिटी को कैटेगरी में बांट रखा है। बिजली के चार्ज में डिफरेंस नहीं है लेकिन सप्लाई में अच्छा-खासा है। इतनी प्रॉब्लम के बाद भी वीआईपी कैटेगरी में आने वाले कैंट, एडीएम कंपाउंड, सर्किट हाउस, कलेक्ट्रेट, एयरपोर्ट और आईवीआरआई एरिया में 24 घंटे बिजली सप्लाई की जा रही है। जबकि सुभाषनगर, कोहाड़ापीर, पुराने शहर के रेजिडेंट्स 7-8 घंटे बिजली के लिए भी तरस रहे हैं।

डिस्ट्रिब्यूशन में मीटर ही नहीं

डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर में इलेक्ट्रिक मीटर की कमी भी बिजली न मिलने की बड़ी वजह बनती जा रही है। सूत्रों की मानें तो डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर में पिछले तीन मंथ से इलेक्ट्रिक मीटर नहीं है, जिसकी वजह से जो लोग नए कनेक्शन लेना चाह रहे हैं, उनको कनेक्शन ही नहीं मिल पा रहा है। इस कारण लगातार इल्लीगल तरीके से बिजली यूज की जा रही है, ऐसे में ट्रांसमिशन लाइन्स पर लगातार लोड बढ़ता जा रहा है।

और इन जिलों पर इनायत

बरेली की अपेक्षा बदायूं, रामपुर, पीलीभीत और शाहजहांपुर में अधिक बिजली की सप्लाई हो रही है। इस वजह पॉलिटिकल पार्टीज का प्रेशर माना जा रहा है। ये बात इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के अधिकारी भी दबी जुबान मानते हंै।

दावे तो बड़े हैं। बरेली अर्बन में पॉवर कॉर्पोरेशन की ओर से 20 घंटे बिजली सप्लाई करने के निर्देश हैं। इसके लिए करीब 245 मेगावॉट ट्रांसमिशन की सप्लाई भी की जाती है, जो इनफ है। मगर रेजिडेंट्स को पर डे 20 घंटे के बजाय 7-8 घंटे बिजली भी बड़ी मुश्किल से मिल रही है। इलेक्ट्रिक मीटर से छेड़छाड़, कटिया लगाकर बिजली चोरी डिपार्टमेंट के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है।  

अगस्त में बढ़ी है डिमांड

अगस्त में बिजली की डिमांड बढ़ी है। बरेली अर्बन में 1,50,000 कंज्यूमर्स पर फिलहाल 245 मेगावॉट बिजली की सप्लाई की जाती है। लेकिन 1,50,000 कंज्यूमर को भरपूर बिजली मिल सके इसके लिए 20 मेगावॉट बिजली की और आवश्यकता है। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि यूपी में इस समय 3,000 मेगावॉट बिजली की सप्लाई हो रही है, जबकि जरूरत 7,500 मेगावॉट की है।