RANCHI: रिम्स में पावरकट की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार को भी हास्पिटल में तीन घंटे बिजली गुल रही है। जिससे फ‌र्स्ट हाफ में एक भी मरीज का एक्सरे नहीं हो पाया। वहीं सेंट्रल पैथोलॉजी में भी इंडोर पेशेंट्स के सैंपल धरे रह गए। हास्पिटल में करोड़ों रुपए खर्च से लगाया गया रूफ टॉप सोलर प्लांट भी हास्पिटल का लोड नहीं ले पा रहा है। ऐसे में कभी इमरजेंसी में अंधेरा रहता है तो कभी मरीजों की पर्ची ही नहीं कट पाती है। इसका खामियाजा मरीजों को ही भुगतना पड़ रहा है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन पावर कट की समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। बताते चलें कि एक्सरे डिपार्टमेंट में हर दिन ख्भ्0-फ्00 मरीज आते हैं।

वेटिंग दो दर्जन पार

फ‌र्स्ट हाफ में एक्सरे कराने वाले अधिकतर मरीजों को लौटा दिया गया। वहीं काफी देर तक लाइट का इंतजार करने के बाद कई मरीज लौट गए। ऐसे में जब लाइट आई तो अचानक से मरीजों की बाढ़ आ गई। इस चक्कर में मरीजों की रिपोर्ट तैयार करने में स्टाफ्स के पसीने छूट गए। और कुछ लोगों की रिपोर्ट भी नहीं मिल सकी। जबकि सेंट्रल लैब में भी दो दर्जन सैंपल लाइट के इंतजार में रखे थे। इस वजह से उनकी भी रिपोर्ट देर शाम तक नहीं मिल पाई।

क्या कहते हैं मरीज।

सुबह साढ़े आठ बजे से ही यहां पर खड़े हैं। तीन घंटा से अधिक समय बीत चुका है। लाइट नहीं होने के कारण नंबर भी नहीं लगाया गया। अब तीन घंटे बाद लाइट आई तो नंबर लगाने के लिए आए हैं। एक्सरे कब होगा और रिपोर्ट कब मिलेगी यह तो कहना मुश्किल है। इतने बड़े हास्पिटल में लाइट की व्यवस्था नहीं है, तो फिर व्यवस्था कैसे सुधरेगी।

गणेश प्रसाद

जैसे ही काउंटर खुला पर्ची कटाकर भागते हुए आए। लेकिन यहां आने पर मालूम हुआ कि सुबह से ही लाइट नहीं है। अब एक्सरे कराकर फिर डॉक्टर को दिखाना है। अब तो एक्सरे के चक्कर में रांची में ही रुकना पड़ेगा। हास्पिटल में इतने मरीज आते हैं तो कम से कम जेनरेटर की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए। अगर ऐसे ही इंतजार करते रहेंगे, तो मरीज की हालत और खराब हो जाएगी।

अशोक मुंडा

सुबह से ही नंबर लगाने के लिए खड़ी हूं। लाइट नहीं होने के कारण नंबर भी नहीं लग रहा है। साहब बोले कि लाइट कब आएगी यह पता ही नहीं है। अब लाइट आ गई तो भीड़ भी काफी हो गई है। ऐसे में एक्सरे कराने में देर हो जाएगा। रिपोर्ट कब मिलेगी पता नहीं। डॉक्टर साहब से भी रिपोर्ट नहीं दिखा सकूंगी।

अंशुइया देवी

हास्पिटल में इतनी दूर से लोग इलाज कराने आते हैं। कम से कम मशीन चलाने के लिए जेनरेटर तो होना ही चाहिए। टेस्ट नहीं होने से मरीज का इलाज शुरू होने में भी लेट होगा। ऐसे में तो मरीज की हालत और खराब हो जाएगी। साहब लोगों को हमारी परेशानी से मतलब थोड़े है। उनके चैंबर में तो लाइट एसी चालू रहता है।

बिरसा मुंडा

वर्जन

क्ख् बजे तक लाइट कटने की सूचना थी। इसलिए जेनरेटर चलाने को कहा गया था। कुछ जगहों पर लाइट नहीं रहने के कारण काम प्रभावित हुआ है। लेकिन हम उसे ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं। अभी तो कई जगहों से जेनरेटर का कनेक्शन भी हटा दिया गया है, ताकि सोलर का कनेक्शन दिया जाए। लेकिन गड़बड़ी कहां से हो रही है, इसे देखा जाएगा।

-डॉ.आरके श्रीवास्तव, प्रभारी डायरेक्टर, रिम्स