पथरचट्टी, पजावा, कटरा व सिविल लाइंस में चल रही रामलीलाओं में प्रभु श्रीराम जन्म के प्रंसग का मंचन

ALLAHABAD: शहर की तीन रामलीला कमेटियों की रामलीला का श्रीगणेश गुरुवार को हो गया। श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी, श्री कटरा रामलीला कमेटी, पजावा रामलीला कमेटी व श्री श्री बाल रामलीला समिति सिविल लाइंस के मंचन स्थल पर प्रभु श्रीराम सहित चारों भाईयों के जन्म के प्रसंग का उल्लास दिखाई दिया। कलाकारों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले अभिनय से अयोध्या सहित पूरे अवध में दिवाली जैसा माहौल दिखा, नर-नारी खुशी से झूम उठे, शोहर गाए गए। यह दृश्य मंचन स्थल के सामने बैठे हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध करता रहा तो जय श्रीराम-जय श्रीराम का जयकारा लगाया।

राम ने किया ताड़का का वध

राम वाटिका परिसर के मंचन स्थल पर पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ। नरेन्द्र कुमार सिंह गौर व कमेटी अध्यक्ष सुधीर कुमार गुप्ता और महामंत्री गोपाल बाबू जायसवाल ने रामायण की आरती उतारी। इसके बाद राम जन्म, चारों भाईयों द्वारा गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण, विश्वामित्र का अभ्यारण वन में राम को मांगना, राम-लक्ष्मण द्वारा ताड़का व सुबाहु का वध जैसे प्रसंग का मंचन हुआ।

हुआ अहिल्या का उद्धार

कथा रामराज्य की का शुभारंभ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि, एसएसपी आनंद कुलकर्णी, कार्यकारी अध्यक्ष पं। मुकेश पाठक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। लाइट एंड साउंड के जरिए कलाकारों ने श्री रामजन्म, शिक्षा दीक्षा, विश्वामित्र आगमन, अहिल्या उद्धार व ताड़का वध का मंचन किया गया।

राम-लक्ष्मण की निकली सवारी

पजावा रामलीला कमेटी की ओर से मंचन से पहले शाहगंज स्थित राम मंदिर से प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व पवनसुत की श्रृंगार की सवारी सजधज के साथ निकाली गई। जो शाहगंज, घंटाघर, लाल डिग्गी, कोतवाली व रानीमंडी होते हुए अतरसुईया स्थित रामलीला मैदान पर पहुंची। जहां लाइट एंड साउंड माध्यम से सीता के राम के अ‌र्न्तगत राम जन्म से लेकर अहिल्या उद्धार की लीला का मंचन किया गया।

निषादराज से मिले प्रभु राम

कमेटी की ओर से राम वनगमन व निषाद मिलन जैसे प्रसंग का मंचन किया गया। प्रभु श्रीराम की सवारी श्रृंगार भवन से उठकर बक्शी त्रिमुहानी पर पहुंची। जो बक्शी बांध से होते हुए बाघम्बरी गद्दी तक गई। जहां महंत नरेन्द्र गिरि ने भगवान की आरती उतारी। उसके बाद सवारी अलोपीबाग पंजाबी कालोनी स्थित इमली के पेड़ के नीचे पहुंची और इमली चखने की लीला सम्पन्न हुई।