प्रद्युम्न मर्डर केस के वकील ने दी जानकारी

प्रद्युम्न मर्डर केस में उसके परिजनों की ओर से पैरवी कर रहे वकील सुशील टेकरीवाल ने जानकारी दी कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने प्रद्युम्न हत्या के 16 वर्ष के नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दे दी है। इस जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले का प्रद्युम्न के पिता वरूण ठाकुर ने स्वागत किया है। उनका कहना था कि हम जानते हैं कि न्याय के लिए हमें लंबा सफर तय करना होगा और हम अंत तक अपने बच्चे को न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे।

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मनोवैज्ञानिक की एक्सपर्ट सलाह पर फैसला

प्रद्युम्न के परिजनों की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट टेकरीवाल ने कहा कि बोर्ड ने नाबालिग पर यह फैसला लेने से पहले एक्सपर्ट राय के लिए एक कमेटी बनाई थी जिसमें रोहतक पीजीआई के मनोवैज्ञानिक थे। कमेटी ने अपनी राय सील बंद लिफाफे में बोर्ड को सौंपी थी। कमेटी ने नाबालिग के व्यवहार, उसके सामाजिक आचरण और मनो भाव को ध्यान में रखते हुए अपनी राय बनाई थी।

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रेप के एक मामले में पहली बार नाबालिक को बालिग की तरह माना गया आरोपी

दिल्ली में रेप के एक मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 17 साल के एक आरोपी को बालिग की तरह सामान्य कोर्ट में मुकदमा चलाने की इजाजत दी थी। बोर्ड के अध्यक्ष अरूल वर्मा ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिग ने यह अपराध प्लान तरीके से काफी शातिराना अंदाज में किया है। उसने पहले बच्ची को स्कूल से बाइक पर ले गया। फिर कार में बैठाया फिर शराब खरीदा और एक फ्लैट में ले गया। यह सब पहले से नियोजित था और उसने सोच-समझ कर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। यह फैसला 17 अगस्त, 2016 को आया था।

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