वह अपने क्रिएटिव वर्क को लेकर खासे सजग हैं और सीमाओं को लांघती एडवरटाइजिंग के सख्त खिलाफ भी. उनका सीधा फंडा है कि एड के जरिए लोगों को हंसाना चाहिए. एडवरटाइजिंग पर बात करते वक्त प्रहलाद हंसते हैं, मुस्कुराते हैं और फिर कहते हैं लाइफ में हंसना सबसे बड़ा पुण्य है और किसी को रुलाना पाप है.

लोगों को हंसाना चाहिए

कक्कड कहते हैं कि मजाक-मजाक में दुनिया बदल जाती है. एड के जरिए तो लोगों को हंसाना चाहिए और क्रिएटिविटी के साथ प्रोडक्ट को व्यूअर्स के सामने रखना चाहिए.  उनका मानना है कि एड के माध्यम से किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए.

प्रहलाद बताते हैं कि जगह के अनुसार लोगों की मान्यताएं भी बदल जाती है. इस तरह किसी एड को नार्थ इंडिया  में एक्सेप्ट किया जाता है तो साउथ इंडिया में इसका नेगेटिव इंपैक्ट भी पड़ सकता है. प्रहलाद कक्कड़ का कहना है कि वह अपनी एड की दुनिया में मस्त हैं तथा लोगों की भावनाओं और सोच के अनुरूप एड क्रिएट कर रहे हैं. विज्ञापनों के पीछे उनकी सोच जनहित व भावनाओं के सम्मान की अधिक है, पैसे की काफी कम है.

New trend in fashion

बेहद स्टाइलिश लाइफ जीने वाले कक्कड फैशन की दुनिया को भी बेहद करीब से ऑब्जर्व करते आए हैं. उनकी मानें तो वक्त के साथ फैशन भी बदला है. नार्थ इंडिया की टियर टू और थ्री सिटीज में यह कहीं ज्यादा विजिबल है. एड वर्ल्ड पर भी इसका इंपैक्ट साफ देखा जा सकता है. जहां ऐसी सिटीज के ऑडिएंश से कनेक्ट का ख्याल रखकर एड बनाए जा रहे हैं.