गुरुवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा, "ये मामला अदालत में है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी मे हैं। जो मामला अदालत में विचाराधीन हो हम उस पर टिप्पणी नहीं कर सकते."

हालांकि भारत और अमरीका के व्यावसायियों और उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वित्तमंत्रालय का प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र सूचना के अधिकार क़ानून की वजह से सार्वजनिक हो गया है, जो सरकार की ओर से भ्रष्टाचार ख़त्म करने और सरकार को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कई क़दमों में से एक है।

प्रबण मुखर्जी इस समय न्यूयॉर्क में हैं। वे 'इंडो-यूएस इन्वेस्टर्स फ़ोरम' की बैठक में भाग लेने पहुँचे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, वित्तमंत्री ने कहा कि इस पत्र का इस तरह से उपयोग करना चाहिए या नहीं यह एक अलग मामला है।

वित्त मंत्रालय का पत्र

वित्त मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि अगर पी चिदंबरम ने ज़ोर दिया होता, तो 2-जी स्पैक्ट्रम को सस्ते दामों पर पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर बेचा नहीं गया होता, बल्कि उसकी बोली लगाई गई होती। प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए इस पत्र को वित्त मंत्री ने मंज़ूरी दी थी।

वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया यह पत्र जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है। ये इस साल मार्च का है। पी चिदंबरम वर्ष 2008 में वित्त मंत्री थे, जो 2-जी स्पैक्ट्रम का आबंटन किया गया था।

वित्त मंत्रालय के पत्र में ये भी कहा गया है कि पी चिदंबरम उस समय दूरसंचार मंत्री रहे ए राजा को किनारे करते हुए प्रक्रिया में पारदर्शिता ला सकते थे।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पी चिदंबरम के ख़िलाफ़ जाँच करने की मांग करते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है, जिस पर सुनवाई चल रही है।

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