1973 में शुरू हुआ था स्टेशन

40 ट्रेनों का आवागमन होता है रोज

20 हजार यात्रियों का आना-जाना होता है

-81 साल पुराना है प्रयाग स्टेशन, हो रहा कायाकल्प

-जिले का नाम बदलने के बाद केंद्र सरकार से स्टेशनों का नाम बदलने का किया जाएगा आग्रह

ALLAHABAD: जिले का नाम प्रयागराज किए जाने के बाद केंद्र सरकार से रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का आग्रह किया जा रहा है। लेकिन प्रयाग एक ऐसा स्टेशन है जिसका नाम बदलने की जरूरत नही होगी। यह प्रदेश सरकार के लिए भी हर्ष का विषय हो सकता है। कुंभ को देखते हुए इस स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। जल्द ही यह नए कलेवर में भी नजर आएगा।

इसलिए पड़ा था 'प्रयाग' नाम

1937 में शुरू हुए प्रयाग स्टेशन का नाम प्रयाग क्यों पड़ा? जबकि तब अंग्रेजों का राज था और जिले को इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। जानकार बताते हैं कि उत्तर रेलवे की ओर से उस समय दो स्टेशन बनाए गए थे जिनका नाम प्रयाग और प्रयागघाट था। दोनों के बीच की दूरी 2.5 किमी थी। अधिकतर यात्री संगम में स्नान करने इन्हीं दोनों स्टेशनों पर आते थे। प्रयागघाट तक गंगा का फैलाव हुआ करता था। यही कारण था कि इस स्टेशन का नाम प्रयाग रखा गया। यह नाम कुंभ के पौराणिक और सांस्कृतिक आस्था को परिलक्षित करता था।

81 साल में हो गए बड़े बदलाव

बताते हैं कि उस समय स्टेशन में केवल दो लाइन हुआ करती थी और ट्रेनें फैजाबाद तक चला करती थीं। 2014 से इस स्टेशनों से एक दर्जन ट्रेनें शुरू हो गई। इनमें तीन एक्सप्रेस और नौ पैसेंजर शामिल हैं। वर्तमान में 40 ट्रेनों का आवागमन प्रयाग स्टेशन से होता है और 15 से 20 हजार पैसेंजर रोजाना विभिन्न ट्रेनों से होकर गुजरते हैं। 500 से 600 यात्री अकेले बुंदेलखंड एक्सप्रेस से होकर निकलते हैं।

दोनों स्टेशनों का बदलेगा स्वरूप

प्रयाग और प्रयागघाट दोनों स्टेशनों से यात्री पैदल संगम पहुंच जाते थे। ऐसे में इनका कुंभ के आयोजन में महत्वपूर्ण पहचान होती थी। इलाहाबाद जंक्शन बनने के बाद दोनों की पहचान हल्की फीकी हो गई। लेकिन प्रयाग स्टेशन फिर से अपने कलेवर को वापस जाने जा रहा है। कुंभ से पहले यहां एक एफओबी बनने के साथ प्लेटफार्मो का कायाकल्प हो रहा है। स्टेशन के मेन गेट को मंदिर का लुक दिया जा रहा है। इसी तरह प्रयाग घाट स्टेशन को भी टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

आजादी से पहले संगम आने वाले तीर्थ यात्री यहां उतरते थे। इसलिए इस स्टेशन का नाम प्रयाग रखा गया। अब यहां कई बदलाव हो रहे हैं। रोजाना यहां से 20 हजार यात्रियों का आना-जाना होता है।

-अनूप श्रीवास्तव, एसएम, प्रयाग स्टेशन

तब से अब तक काफी बदलाव हो गए। वर्तमान में 40 ट्रेनें रोजाना यहां से होकर गुजरती हैं। उस समय यात्री इस स्टेशन को प्रयाग नाम से पुकारते थे और आज यह नाम सार्थक हो गया।

-संतोष कुमार सिंह, एसएस, प्रयाग स्टेशन