- सोना कितना सोणा है

- सोने की खरीद में हॉल मार्क ज्वैलरी को ही करें प्रिफर

- प्योरिटी के साथ ही रिसेल वैल्यू की भी नहीं रहेगी टेंशन

- सस्ती ज्वैलरी की खरीद में कदम कदम पर मिलता है झटका

<- सोना कितना सोणा है

- सोने की खरीद में हॉल मार्क ज्वैलरी को ही करें प्रिफर

- प्योरिटी के साथ ही रिसेल वैल्यू की भी नहीं रहेगी टेंशन

- सस्ती ज्वैलरी की खरीद में कदम कदम पर मिलता है झटका

piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: महिलाएं अक्सर नई ज्वैलरी के लिए पुरानी ज्वैलरी अदला-बदली की इच्छा ज्वैलर्स से जता देती हैं। ऐसा आपने भी किया होगा तो यह तो पता ही होगा कि अगर आपकी ज्वैलरी में हॉल मार्क नहीं है तो ज्वैलर्स इसके औने पौने दाम लगाते हैं। कई तरीके के नुक्स निकाल कर आपको रेट में झटका दे देते हैं। वहीं बिना हॉल मार्क की नई ज्वैलरी खरीद के वक्त वे इसके सस्ता होने, या फिर प्योर गोल्ड होने सहित कई तरीके का गुणगान करके आपको चूना लगा देते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि बिना हॉल मार्क की ज्वैलरी की कोई गारंटी नहीं होती। इसलिए बेहतर होगा कि इस अक्षय तृतीया आप हॉल मार्क वाली ज्वैलरी ही प्रिफर करें। क्योंकि इसकी प्योरिटी की गारंटी के साथ फिक्स्ड रिसेल वैल्यू का भी भरोसा आपको मिलेगा।

सिटी में कम दुकानें ही हैं रजिस्टर्ड

हॉल मार्क वाली ज्वैलरी आपको उसी ज्वैलरी शो रूम में मिलेगी, जो रजिस्टर्ड शो रूम होगा। लेकिन अपने शहर में आपको ऐसे कम ही ज्वैलरी शो रूम हैं, जहां हॉल मार्क युक्त ज्वैलरी अवेलेबल है। इसके पीछे कारण यह है कि ज्वैलरी में हॉल मार्क लगाकर इसे गारंटीड बनाने की सुविधा अभी अपने शहर में नहीं है। ज्वैलरी व्यापारियों को इसके लिए लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जाना पड़ता है।

अब मशीन से होती है पहचान

ज्वैलरी शॉप कीपर के लिए असली और नकली सोना पहचान करना आसान नहीं है। मीरगंज के ज्वैलरी कारोबारियों का कहना है कि वह सिर्फ अनुभव के आधार पर यह बताते हैं कि सोना कितना शुद्ध है। बहुत जरूरत पड़ी तो सोने को पत्थर पर थोड़ा सा घिसकर क्वालिटी का पता लगाते हैं। लेकिन बिग क्वांटिटी के मामले में मशीन से जांच करनी पड़ती है। इसके लिए शहर की कई ब्रांडेड कंपनियों के पास उपलब्ध मशीन की मदद लेते हैं। चौक में भी एक दो लोगों के पास ये मशीन है। सभी व्यापारी इस मशीन को अफोर्ड नहीं कर सकते क्योंकि यह बहुत कीमती होती है।

क्या है हॉल मार्क

- ज्वैलरी के अंदरूनी भाग में बना एक निशान जो बताता है कि सरकार ने ज्वैलरी की प्योरिटी की गारंटी ली है

- ज्वैलरी के साथ गोल्ड क्वाइन पर भी दर्ज होता है हॉल मार्क

- हालांकि हॉल मार्क भी कई तरह का होता है

- कई ब्रांडेड कंपनियां भी अपना हॉल मार्क लगाकर देती हैं शुद्धता की गारंटी

- आप किसी कंपनी के हॉल मार्क वाली ब्रांडेड ज्वैलरी खरीदते हैं तो भी नहीं होंगे ठगी के शिकार

ऐसे करें कैरेट की पहचान

- मार्केट में क्8, ख्ख् व ख्ब् कैरेट गोल्ड की होती है खरीद फरोख्त

- ख्ब् कैरेट में सिर्फ गोल्ड क्वाइन ही मिलता है

- कई कंपनियों के हॉल मार्क के साथ मिलता है गोल्ड क्वाइन

- हॉल मार्क के साथ ब्9 लिखा है तो इसका मतलब ख्ब् कैरेट के साथ 99 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी

- इसी तरह फ्9 व 99.भ् के नाम से भी हॉल मार्क लगे क्वाइन भी ख्ब् कैरेट लेकिन मार्क ब्9 की अपेक्षा थोड़े कम शुद्ध होते हैं

- ख्ख् कैरेट गोल्ड में हॉल मार्क में 9क्म् लिखा मिलेगा, ज्वैलरी 9क्.म्0 प्रतिशत तक शुद्ध होगी

थोड़ी सी महंगी होती है हॉल मार्क ज्वैलरी

हॉल मार्क ज्वैलरी थोड़ी महंगी होती है। सिविल लाइंस और चौक के रिनाउंड ज्वैलरी व्यापारी बताते हैं कि हॉल मार्क ज्वैलरी व लोकल मेड ज्वैलरी की तुलना करें तो दस ग्राम ज्वैलरी में करीब पांच हजार का फर्क आता है। जैसे सोमवार को सोने का रेट ख्भ्800 रुपए था। अब आप कोई भी ब्रांडेड या हॉल मार्क लगी ज्वैलरी खरीदते हैं तो इसकी कीमत प्रति क्0 फ्0800 रुपए होगी। इसी वैरिएशन पर आपको ज्वैलरी भी मिलेगी। लेकिन आप नॉन ब्रांडेड या बिना हॉल मार्क की ज्वैलरी खरीदेंगे तो ख्भ्800 गोल्ड और ज्वैलरी खरीद में फर्क पड़ जाएगा। ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज के नाम पर क्भ्00 रुपए और बढ़ जाएगा और दस ग्राम ज्वैलरी के लिए आपको ख्7फ्00 रुपए अदा करना होगा।

परचेजिंग में ये भी रखें ध्यान

- गोल्ड या ज्वैलरी को कैरेट मीटर से चेक जरूर कराएं

- हॉलमार्क चिंह देकर ही गोल्ड परचेज करें

- क्वाइन खरीद रहे हैं तो वापसी के बारे में जरूर क्वैरी करें

-रसीद पर टिन नंबर चेक करें तभी रसीद लें