अनुबंध में नहीं था प्रसूति अवकाश का प्रावधान

पता चला है कि शिलांग में प्रेस्बिटेरियन चर्च द्वारा संचालित डाक्टर एच गॉर्डन रॉबर्टस हॉस्पिटल में बतौर डेंटल ऑफीसर काम कर रही डाक्टर रेचल आरए रॉपसंग को नौ महीने के प्रसूति अवकाश की मांग करने पर कथित रूप से नौकरी से निकाल दिया गया है। इतना ही नहीं सूत्रों से पता चला है कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंड को दिए गए छुट्टी के आवेदन के बाद उसे नौकरी से निकालने के अलावा एडवांस में मिली तनख्वाह भी लौटाने को कहा गया। रेचल को मिले पत्र में कहा गया है कि आपके नौकरी के अनुबंध में ऐसा कोई प्रावधन नहीं है इसलिए एक जून से आपकी नौकरी अपने आप ही समाप्त हो गयी है और 15 जून को जो तनख्वाह आपने ली है वो आपको वापस करनी होगी।

रेचल पिछले पांच साल से इस अस्पताल में काम कर रही थीं और इसी साल अप्रेल में उसके अनुबंध का नवीनीकरण हुआ था। अस्पताल का इस मामले में कहना है कि ये नौकरी से निकाले जाने का मामला नहीं है बल्कि खुद नौकरी छोड़ने जैसा है क्योंकि कोई भी संस्थान एक साल के अनुबंध वाले जॉब में नौ महीने की छ़ट्टी नहीं दे सकता है।

इस तरह नौकरी से निकालने पर कोर्ट में किया जा सकता है चैलेंज

हालाकि कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह नौकरी से निकाले जाने का कानूनी आधार कमजोर है और उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि इनसे मौलिक अधिकारों का हनन होता है। ऐसे किसी भी नियम को कोई संस्थान अपने अनुबंध की शर्तों में शामिल नहीं कर सकता जिसका ताल्लुक व्यक्त्ति के मौलिक अधिकार से हो। जैसे शादी करने का अधिकार और संतान को जनम देने का अधिकार।

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