- सरकार की सारी कवायद फेल, पूरा कुनबा है कुपोषण का शिकार

- मामले को दबाने में जुटा महकमा, मेडिकल रिकार्ड गायब

<- सरकार की सारी कवायद फेल, पूरा कुनबा है कुपोषण का शिकार

- मामले को दबाने में जुटा महकमा, मेडिकल रिकार्ड गायब

KUNDA(10 Nov, JNN):

KUNDA(10 Nov, JNN): कुपोषण को लकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चल रहा है। स्वयं राष्ट्रपति भी इस पर चिंता जता चुके हैं। इसके बावजूद स्थितियां सुधरती नहीं दिख रही हैं। सरकार की सारी कवायद फेल होती दिख रही है। कुंडा में इसका ताजा एग्जाम्पल देखने को मिला है। यहां कुपोषण की शिकार गर्भवती महिला को प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही से जान गंवानी पड़ गई है।

आर्थिक तंगी का शिकार

कुंडा तहसील के बाबागंज ब्लॉक में उतरार गांव निवासी हरिश्चंद्र की बीमारी के चलते ख्0क्क् में मौत हो गई थी। उसके दो बेटे और चार बेटियां थीं। पूरा कुनबा आर्थिक तंगी का शिकार है। छोटी बेटी मीना (क्9) की शादी एक साल पहले लालगंज कोतवाली के सरैया गांव निवासी किंचू के साथ हुई थी। वह आठ माह से गर्भवती थी। ससुराल वालों की स्थिति भी ठीक न होने के कारण मीना की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही थी। इसके चलते वह मायके आ गई। लेकिन यहां भी उसकी देखभाल न हो सकी और मंगलवार को उसकी मौत हो गई।

महज फ्भ् किलो था वजन

परिवार वालों का कहना है कि कुपोषण के चलते गर्भवती होने के बावजूद मीना का वजन महज फ्भ् किलो ही था। जबकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि एक माह पूर्व हुई जांच में उसका वजन ब्0 किलो था। उसे तीन टीके भी लगे थे।

मामले को दबाने की कोशिश

मीना की मौत के बाद जहां परिवार में कोहराम मच गया, वहीं स्वास्थ्य विभाग इस मामले को दबाने की कोशिश में जुट गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मीना की जांच से संबंधित सारे मेडिकल रिकार्ड गायब कराने की बात सामने आ रही है। बेरुखी का आलम ये कि उसकी मौत की खबर मिलने के बाद भी एएनएम और आशा कार्यकत्रियां उसके घर नहीं पहुंचीं।

- कुपोषण से किसी गर्भवती महिला की मौत के जानकारी नहीं है। मामला संज्ञान में लाया गया है। इसकी जांच कराई जाएगी।

एके श्रीवास्तव, एसडीएम कुंडा