- ऑटो संचालकों का आरोप, पुलिस का नहीं मिल रहा समर्थन

- एसएसपी ने जल्द मीटिंग बुलाकर योजना दोबारा शुरू करने का दिया भरोसा

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2348 ऑटो हैं पूरे शहर में

150 ऑटो हैं आईएसबीटी में संम्बद्ध

40 रुपए तक था ऑटो का न्यूनतम प्रीपेड किराया

25 परसेंट बढ़ जाता था नाइट चार्ज

Priyank.mohan@inext.co.in

DEHRADUN

शहर में जनता की सुविधा के लिए पुलिस और परिवहन विभाग ने प्रीपेड ऑटो सर्विस शुरू तो कर दी, लेकिन कुछ ही महीनों में यह व्यव्स्था ठप हो गई। वर्तमान में स्थिति यह है कि न शहर के आईएसबीटी और रेलवे स्टेशन पर बनाए गए प्रीपेड बूथ धूल फांक रहे हैं। इस मामले पर ऑटो संचालक पुलिस का सहयोग न मिलने की बात कर रहे हैं। वहीं एसएसपी डॉ। सदानंद दाते ने जल्द इस मामले में बैठक बुलाने की बात कही है।

क्भ्0 ऑटो थे सूचीबद्ध

दरअसल शहर के आईएसबीटी परिसर के बाहर दून पुलिस ने 9 अप्रैल से प्रीपेड बूथ की शुरुआत की थी। इस बूथ से क्भ्0 ऑटो को सूचिबद्ध किया गया था। प्रत्येक यात्री के किराए से क् से क्भ् रुपए संचालन का खर्च काटा जाना तय हुआ था। उस पैसे से ऑटो यूनियन की मदद से संचालन करने के लिये कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई थी। लेकिन, वर्तमान में आईएसबीटी और रेलवे स्टेशन पर बनाए गए प्रीपेड ऑटो बूथ शोपीस बने हुए हैं। दून ऑटो चालक यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि पुलिस द्वारा वर्तमान में कोई भी सपोर्ट उन्हें नहीं मिल रहा है। इस वजह से आईएसबीटी के सभी क्भ्0 ऑटो चालाकों ने प्रीपेड योजना से अपने हाथ पीछे खींच ि1लए हैं।

इसलिए शुरू की थी योजना

दून में योजना को शुरू करने का मकसद ऑटो चालकों की मनमानी पर रोक लगाना था। पुलिस के पास यह शिकायतें आती थीं कि ऑटो चालक जान-बूझ कर अपने ऑटो को स्टेशन या आईएसबीटी से बाहर खड़ा करते हैं, रात को यात्री ले जाने में आनाकानी करते हैं, यात्री को गंतव्य तक पहुंचाने के बाद भी ज्यादा पैसे की मांग करते हैं। एसएसपी डॉ। सदानंद दाते ने बताया कि कुछ तकनीकी दिक्कतों से आजकल योजना सही से काम नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि जल्द मीटिंग बुलाकर दोबारा प्रीपेड ऑटो योजना शुरू कर दी जाएगी। ज्यादा पैसे मांगने और रात में यात्री को नहीं ले जाने वाले ऑटो चालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिये आईएसबीटी व स्टेशन पर अलग से पुलिस की नियुक्ति होगी।

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हमारी मांगों के अनुरूप पुलिस द्वारा समर्थन नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि प्रीपेड ऑटो योजना सही तरीके से काम नहीं कर पा रही है। इस बाबत हम कई बार पुलिस से भी मिल चुके हैं।

पंकज अरोड़ा, अध्यक्ष ऑटो चालक यूनियन।

ऐसा नहीं है कि प्रीपेड ऑटो संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। लेकिन, अगर कुछ दिक्कतें सामने आ रही हैं तो दोबारा एक मीटिंग बुलाई जाएगी और व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश की जाएगी।

डॉ। सदानंद दाते, एसएसपी देहरादून।

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प्रीपेड ऑटो स्कीम बेहतर थी, लेकिन अब यह स्कीम ठप है। न तो इसमें प्रशासन ही कोई दिलचस्पी ले रहा है न ही ऑटो चालक।

हर योजना की तरह यह योजना भी शुरू होते ही दम तोड़ चुकी है। योजनाएं बना ली जाती हैं, शुरू कर दी जाती हैं और इससे पहले योजना पर पूरा होमवर्क नहीं किया जाता।

प्रीपेड योजना अच्छी पहल थी जिसके बाद से ऑटो चालकों की मनमानी पर रोक लग गई थी, लेकिन अब फिर वही हाल है, ऑटो चालक मनमाना किराया लेने लगे हैं।

रात को अगर आप कहीं जाने के लिए ऑटो लेते हैं तो ऑटो चालक मनमाना किराया वसूलते हैं, रात को कोई भी ऑटो चालक तय दरों पर चलने को तैयार नहीं होता।