05 दिसंबर के बाद से माघ मेले में भूमि आवंटन के लिए आने लगेंगे साधु-संत 05 पाण्टून पुल में से एक का भी निर्माण कार्य अभी तक नहीं हो सका पूरा 80 फीसदी माघ मेला इस बार बसाया जाएगा झूंसी की ओर पुल निर्माण की सुस्त गति देख भूमि आवंटन के लिए आने वाले संत कर सकते हैं हंगामा एक महीने से भी कम बचा है समय, महाबीर पाण्टून पुल पर नहीं लगी रेलिंग allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: संगम की रेती पर आस्था की नगरी बसाने का काम काफी सुस्त है। दो जनवरी को माघ मेला के पहले प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा से कल्पवास शुरू हो जाएगा। फिर भी अभी तक एक भी पाण्टून पुल का काम पूरा नहीं हो सका है। पांच दिसंबर के बाद से भूमि आवंटन कराने के लिए मेला क्षेत्र में साधु-संन्यासियों का आगमन भी शुरू हो जाएगा। यही हालात रहे तो यहां आने वाले संतों का गुस्सा फूटना तय है। शासन ने सबसे पहले 30 नवंबर तक महावीर पाण्टून पुल के निर्माण को पूरा करने का समय दिया था। लापरवाही का आलम यह है कि पीपा व चर्कर्ड प्लेट बिछाने के बाद आधा किमी लम्बे इस पुल पर सुरक्षा को देखते हुए रेलिंग नहीं बनाई गई। चार पर अभी लगा रहे हैं पीपा इस बार मेला 1800 बीघा जमीन पर बसाए जाने की योजना बनाई गई है। यहां पिछले वर्ष की भांति महाबीर, त्रिवेणी, काली, गंगोत्री-शिवाला व ओल्ड जीटी रोड पाण्टून पुल बनाने का काम चल रहा है। महाबीर पाण्टून पुल को छोड़ दें तो अन्य चारों पर अभी तक पीपा लगाने का काम पूरा नहीं हो सका। मेला अमीन चंद्रिका त्रिपाठी ने बताया कि इस बार 80 फीसदी मेला झूंसी की ओर बसाया जाना है। इसलिए त्रिवेणी व काली पाण्टून पुल एक किमी लम्बा बनाया जा रहा है। यही वजह है कि इन दोनों पुलों के निर्माण में वक्त लग रहा है। निर्माणाधीन पांच पाण्टून पुल पुल नाम लंबाई महाबीर पाण्टून आधा किमी त्रिवेणी पाण्टून एक किमी काली पाण्टून एक किमी गंगोत्री-शिवाला पाण्टून एक किमी ओल्ड जीटी पाण्टून 700 मीटर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश किए गए हैं कि वे पुलों का निर्माण शीघ्र पूरा करें। क्योंकि भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसके लिए तीन-चार दिन में साधु-संन्यासियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। राजीव कुमार राय, मेलाधिकारी