स्टाइलिश पालने की बढ़ी डिमांड
जन्माष्टमी पर अपने कान्हा के लिए लोगों में पालने-झूले की डिमांड सबसे ज्यादा है। मार्केट में वुडेन और मेटल दोनों मैटिरियल में स्टाइलिश पालने अवेलेबल हैं। वुडेन पालने-झूले  की कीमत जहां 60 से 80 रुपए तक हैं। वहीं मेटल के सिल्वर कोटेड पालने 350 से 400 रुपए में बिक रहे हैं। वुडेन के मुकाबले मेटल वाले पालने ट्रेंडी होने के साथ ही और ड्यूरेबल भी हैं, इसलिए इसकी डिमांड ज्यादा है।

Designer कपड़ों संग मोरपंख
बाल-गोपाल को सजाने-संवारने के लिए मार्केट में डिजाइनर कपड़े भी मौजूद हैं। चटख रंग वाले इन डिजाइनर कपड़ों के साथ ही मैचिंग ज्वैलरी की भी बेहद डिमांड है। ज्वैलरी में लोगों की पहली पसंद मुकुट और माला है। वहीं कपड़े व ज्वैलरी की खरीदारी के साथ लोग मोरपंख लेना नहीं भूल रहे हैं.शॉपकीपर सुनील ने बताया कि कृष्ण की फोटो और मूर्ति के साथ लोग मोरपंख भी जरूर ले रहे हैं। वहीं कई खरीदार कान्हा के लिए बांसुरी की भी डिमांड कर रहे हैं।

कान्हा के statue की demand
जन्माष्टमी के मौके पर गिफ्ट स्टोर्स भी राधा-कृष्ण के चार्म से अछूते नहीं हैं। सिटी के गिफ्ट स्टोर्स में कान्हा के स्टेच्यू, एंटीक्स और फोटो फ्रेम्स की सेल 15 परसेंट तक बढ़ गई है। जन्माष्टमी पर पिछले कुछ सालों से अपनों को कान्हा की स्टेच्यू देने का चलन बढ़ा है। इसमें माखन चुराते लड्डूगोपाल सबकी पहली   पसंद हैं। इन गिफ्ट स्टोर्स पर 60 रुपए से लेकर 1,650 रुपए तक के गिफ्ट्स अवेलेबल हैं।

मंदिरों में तैयारियां तेज
जन्माष्टमी में एक दिन का ही समय बचा है। ऐसे में सिटी के कृष्ण मंदिरों में सजावट की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। कई मंदिरों के बाहर डेकोरेशन का काम पूरा भी हो चुका है। वहीं राजेंद्र नगर का बांके बिहारी मंदिर जन्माष्टमी के मौके पर ट्यूजडे से अपना 23वां वार्षिकोत्सव जन्माष्टमी-राधाकृष्ण फेस्टिवल मनाएगा। इसमें ट्यूजडे को शाम 5 बजे मंदिर से एक शोभायात्रा  निकली जाएगी। इस यात्रा का मेन अट्रैक्शन सुंदर झांकियां रहेंगी। वहीं वेडनसडे को शाम 7 बजे से मंदिर में कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें बच्चों की बनाई झांकी, बालगोपाल नृत्य और राधा-कृष्ण के स्वरूपों को दिखाया
जाएगा।

17 साल बाद दुर्लभ योग

यह जन्माष्टमी कृष्णभक्तों के लिए कई मायनों में बेहद खास होने वाली है। इस जन्माष्टमी पर 17 साल के बाद रोहिणी नक्षत्र का विशेष दुर्लभ योग बन रहा है। यह वही नक्षत्र है जिसमें भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। इससे पहले 1986 को ऐसा विशेष योग बना था। पं। प्रदीप कुमार चौबे बताते हैं कि यह सुयोग हर जन्माष्टमी को नहीं पड़ता है। ऐसे में इसका महत्व बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि वेडनसडे रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र का योग लगते ही जन्माष्टमी शुरू हो जाएगी। कृष्ण भक्त वेडनसडे यानि सप्तमी को व्रत रख रात 12 बजे बाल गोपाल को पंचामृत से स्नान करा पूजन कर प्रसाद लें और फिर फलाहार के साथ व्रत पूरा करें। पूजन के समय ओम श्री कृष्ण शरणम गच्छामी या ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना बेहतर रहेगा।