क्या कहता है नियम

प्रेशर हॉर्न का प्रयोग एमवी एक्ट की धारा 190 (2) द्वारा वर्जित है। इसके बावजूद यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करते हुए प्रेशर हॉर्न का यूज करता है तो उक्त धारा के तहत पहली बार में एक हजार रुपये के चालान व दूसरी बार पकड़े जाने पर दो हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। एसपी ट्रैफिक जीएन खन्ना के मुताबिक प्रेशर हॉर्न सभी के लिए बैन है लेकिन इसमें जिले के बड़े ऑफिसर्स शामिल नहीं हैं। हां, इस नियम की रेंज में आरटीओ, मेयर, सांसद, विधायक समेत थानेदार व सीओज आते हैं। इनको प्रेशर हॉर्न का यूज नहीं करना है।

कितना डेसीबल है जरूरी

ट्रैफिक पुलिस के ऑफिसर्स की मानें तो गाड़ी पर प्रेशर हॉर्न के साउंड की क्षमता 20 से 40 डेसीबल के बीच होनी चाहिए। इसके अधिक डेसीबल वाले हॉर्न नियमों के विरुद्ध होते हैं। किस व्हीकल के लिए कितना डेसीबल साउंड चाहिए आइये बताते हैं :

व्हीकल्स             डेसीबल

स्कूटर                10-20

बाइक                 15-20

कार                    20-30

ट्रक व बस            35-40

छह माह में महज 122 चालान

एसपी ट्रैफिक के मुताबिक प्रेशर हॉर्न लगाना अपराध है लेकिन लोग मानते नहीं हैं और नियमों की अनदेखी करते हैं। इनमें सबसे आगे हैं यहां के वीआईपीज। इनकी गाडिय़ों में प्रेशर हॉर्न लगा देखकर जब इन्हें रोका जाता है तो जनाब उलझ जाते हैं। बावजूद इसके नवंबर 2012 से लेकर 15 अप्रैल 2013 तक 122 गाडिय़ों से प्रेशर हॉर्न उतरवाये गए हैं और उनके चालान भी काटे गए हैं।

i next ने जगाया तो याद आया

प्रेशर हॉर्न के खिलाफ एक्शन को लेकर सुस्त पड़े पुलिस महकमे की नींद देर शाम अचानक से तब टूटी जब आई नेक्स्ट ने इसके लिए ऑफिसर्स से बात की। प्रेशर हॉर्न के खिलाफ कार्रवाई की बात पर ऑफिसर्स इतने फास्ट हुए कि बुधवार की देर शाम जिले के पुलिस कप्तान ने पहले अपनी गाड़ी पर लगे प्रेशर हॉर्न को उतारा फिर अपने मातहतों थानेदारों, डीएसपीज और सीओज को उनके वाहनों से प्रेशर हॉर्न हटाकर स्पेशल कैंपेन चलाने का आदेश दे डाला। इसके अलावा प्रेशर हॉर्न बेचने वालों के खिलाफ भी फस्र्ट टाइम लिखित वार्निंग देने के बाद सेकेंड टाइम में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

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इंसान का कान 30 से 50 डेसीबल तक का साउंड बर्दाश्त कर सकता है। अगर इससे अधिक डेसीबल का साउंड होता है तो कान के पर्दे के फटने का डर होता है। इतना ही नहीं अचानक से बजा प्रेशर हॉर्न कई बार हार्ट अटैक की वजह भी बनता है। फिर तेज आवाज सिर्फ कानों पर नहीं बल्कि दिल व दिमाग पर भी काफी बुरा असर डालती है। इसकी वजह से लोग कार्डियो, न्यूरो समेत कई अन्य क्रिटिकल डिजीज की चपेट में आ सकते हैं।

डॉ। अजय कुमार, ईएनटी स्पेशलिस्ट