- केजीएमयू के सीटीवीएस विभाग का मामला

- एचओडी ने लगाया हर मरीज से 14 हजार वसूली पर रोक

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में मरीजों की जेब पर डाका डालने वाले घोटाले कम होने का नाम नहीं ले रहे। जांच के दौरान अब पता चला है कि मरीजों से ऐसी मशीनों का भी चार्ज वसूला गया जिनका कोई यूज नहीं किया गया। अब मामला खुलने पर हर मरीज से इस मशीन के नाम पर होने वाली 14 हजार रूपए की वसूली पर रोक लगा दी गई है।

अब लगा वसूली पर रोक

मामला जब पकड़ में आया तो विभाग के हेड ने अब मरीजों से ऑक्टोपस नाम की इस मशीन के नाम पर वसूले जाने वाले 14 हजार रुपये लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अब जांच कमिटी सालों से ऐसे हो रहे घोटाले में मरीजों की पूरी डिटेल खांगाल रही है। लेकिन सवाल अब बड़ा यह है कि जिन मरीजों से इस उपकरण के नाम पर वषरें से लूट होती रही है उसकी जिम्मेदारी और जिम्मेदार को क्या सजा मिलने वाली है।

ऐसे मामला पकड़ में आया

वीसी की ओर से गठित ऑडिट कमिटी ने सीटीवीएस में होने वाली सभी प्रकार की सर्जरी की जांच की तो पता चला कि ऑक्टोपस मशीन से 80 से 90 मरीजों की सर्जरी हो सकती है। लेकिन विभाग में हर कोरोनरी आर्टरी बाइपास (सीबीजी) के मरीज से मशीन की कीमत का एक 6वां हिस्सा यानी 14 हजार रुपयों की वसूली की जा रही थी। जबकि इस मशीन की कीमत कब की अदा हो चुकी थी और उसका भार मरीज पर आना भी नहीं चाहिए।

यह है ऑक्टोपस का काम

डॉक्टर्स के अनुसार सीबीजी के दौरान मरीज को हार्ट फेल होने का खतरा रहता है। इको जांच से पता चल जाता है कि कौन से हिस्से में तकलीफ है वहां पर ऑक्टोपस मशीन को प्रयोग करते हैं जो कि हार्ट बीट को नार्मल कर देता है और शेष हिस्सा सामान्य की तरह धड़कता रहता है। इससे डॉक्टर आसानी से हार्ट की सर्जीर कर लेते हैं।

बड़ी संख्या में हुई सर्जरी

सूत्रों के मुताबिक जांच में निकल कर आया है कि 2012 से 2014 केबीच ज्यादा मरीजों से चार्ज वसूला गया। बहुत से मरीज ऐसे भी मिले जिन पर मशीन का प्रयोग ही नहीं किया गया। फिर उनसे 14 हजार रूपए जमा करा लिए गए। ऑडिट कमेटी के पास पेशेंट की पूरी लिस्ट है। यह घोटाला बहुत बड़ा हो सकता है जिसके लिए जांच कमेटी आरोपी डॉक्टरों से इस रकम को वसूली की भी रिकमेंडेशन कर सकता है।