-अक्टूबर से अब तक 25 से 30 परसेंट बढ़ा कागज का दाम, अगले कुछ दिनों में और बढ़ाने की तैयारी

ALLAHABAD: कागज की खपत कम करने के लिए सरकार पेपरलेस की बात करती है, लेकिन खपत इतनी जल्दी कम नहीं होने वाली है। कारण कि सरकारी से लेकर प्राइवेट ऑफिस के साथ ही एजुकेशन और बिजनेस में अभी बड़े पैमाने पर कागज का इस्तेमाल हो रहा है। इस बीच पिछले कुछ महीनों से लगातार कागज का दाम बढ़ता चला जा रहा है। 11 महीने में कागज का दाम 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कागज के दाम में ये बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है, इसकी जानकारी दुकानदारों व होलसेलर्स को भी नहीं हो पा रही है। इससे कस्टमर्स ही नहीं दुकानदार भी परेशान हैं।

किताबों का रेट भी बढ़ा

अक्टूबर 2017 तक जिस कॉपी का रेट 25 रुपये था, आज वह 35 रुपये में मिल रही है। क्योंकि कागज का रेट 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कागज का रेट बढ़ने का असर अब किताबों पर भी दिखने लगा है। पब्लिशर्स ने किताबों का भी रेट बढ़ा दिया है।

हर तरह के कागज का रेट बढ़ा

सरकार कहती है शिक्षा सस्ती होनी चाहिए। बच्चों की कॉपी और किताब के रेट 30 से 40 प्रतिशत बढ़ेंगे तो शिक्षा सस्ती कैसे होगी। अक्टूबर 2017 में जिस कागज की कीमत 58 से 60 रुपये किलो थी, आज वह 82 से 85 रुपये में बिक रहा है। कॉपीयर पेपर का रेट 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। 1300 रुपये में दस पैकेट मिलने वाला जेके कॉपियर इस समय 1850 रुपये में मिल रहा है। लो क्वालिटी वाला कॉपियर भी 1700 रुपये में मिल रहा है।

5 से 10 प्रतिशत और होगी बढ़ोत्तरी

25 से 30 प्रतिशत तक रेट बढ़ने के बाद कागज का दाम 5 से 10 प्रतिशत और बढ़ने जा रहा है। होलसेलर द्वारा दुकानदारों को यह जानकारी दी जा रही है। रेट क्यों बढ़ रहा है, इसका कारण क्या है? व्यापारियों को कोई जानकारी नही है। जबकि रॉ मैटेरियल का रेट नहीं बढ़ा, लेकिन कागज का रेट 25-30 परसेंट बढ़ गया है।

वर्जन- फोटो

किसी भी सामान का रेट बढ़ाने के पीछे कुछ कारण होता है। कागज का रेट धीरे-धीरे आखिर क्यों बढ़ता चला जा रहा है, इसका कोई ठोस कारण सामने नहीं आ रहा है।

कैलाश बिहारी अग्रवाल

कागज व्यापारी

संगम नगरी इलाहाबाद में कागज की खपत बहुत ज्यादा है। क्योंकि ये शिक्षा का ही नहीं बल्कि सरकारी कार्यालयों का भी केंद्र है। अब ऐसे में कागज का दाम बढ़ने से लोगों की जेब ढीली हो रही है।

अरुण अग्रवाल

कागज के थोक व्यापारी

रॉ मैटेरियल का दाम तो सस्ता हो गया है। कागज की रद्दी सस्ती है। पल्प का रेट भी बहुत महंगा नहीं हुआ है। फिर रेट 25 से 30 परसेंट कैसे बढ़ जा रहा है। ऐसी बढ़ोत्तरी पर सरकार ध्यान दे। मनमानी रोकी जाए।

संतोष पनामा