दैनिक जागरण आई नेक्स्ट एक्सक्लूसिव

- बीटेक व एमसीए पास किए टीचर्स की ली जाएगी मदद

- सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर को बेहतर करने की कवायद शुरू

KANPUR: सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर व हाईटेक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग अपने ही संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। पढ़ने और पढ़ाने दोनों ही तरीकों में बड़ा परिवर्तन होगा। डिजिटल युग में सभी कुछ ऐप पर आधारित होता जा रहा है, ऐसे में शिक्षा विभाग भी अपने आप को पीछे नहीं रखना चाहता है। इसके लिए विभाग ने कम खर्च कर ज्यादा सुविधाएं प्राप्त करने पर विचार ि1कया है।

बजट की कमी ने दिखाया रास्ता

बीएसए जय सिंह के अनुसार ऐसे कई मोबाइल ऐप की जरूरत सरकारी स्कूलों के लिए बहुत लंबे समय से महसूस की जा रही थी, लेकिन बजट की कमी के चलते अभी तक यह संभव नहीं हो पा रहा था। लिहाजा विभाग को इसकी कमी ने स्कूलों को हाईटेक बनाने का रास्ता दिखाया है।

बीटेक या एमसीए टीचर्स होंगे चिन्हित

उन्होंने बताया कि प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले ऐसे टीचर्स, जो बीसीए, बीटेक या एमसीए करने के बाद बीटीसी या बीएड कर सरकारी स्कूलों में शिक्षक बने हैं। अब ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर उनसे शिक्षा के क्षेत्र में काम आने वाली अलग-अलग ऐप बनाने में मदद ली जाएगी।

विशेषज्ञ देंगे 90 घंटे का प्रशिक्षण

उन्होंने बताया कि ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर उन्हें बैंगलूरू से आए विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे। पूरा प्रशिक्षण 90 घंटे का होगा। बताया लखनऊ में इसकी शुरुआत भी की जा चुकी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ऐसे प्रशिक्षित टीचर्स को जरूरत के अनुसार ऐप बनाने का काम सौंपेगा और टीचर्स उसे बना कर विभाग का काम आसान करेंगे।

ऐप से मिल सकेगी ये सुविधाएं

अधिकारी के अनुसार शुरुआत में ऐसे ऐप बनाने की योजना है, जिससे स्कूल को चलाने में मदद मिल सके, ऐसे ऐप बनाने की योजना है, जिसकी मदद से शिक्षकों की समस्याओं को रखने के लिए उन्हें एक मंच मिल सके। वहीं, मिड डे मील को और बेहतर ढंग से करने के लिए, स्कूल कैलेंडर को नियमित करने, स्कूलों की गतिविधियों को एक जगह दिखाने के लिए भी ऐप बनाने पर विचार किया जा रहा है।

वर्जन

बेसिक शिक्षा विभाग बीटेक या एमसीए करने के बाद सरकारी टीचर बनने वालों को चिन्हित कर उनकी मदद लेकर ऐप तैयार किए जाएंगे। इस ऐप की हेल्प से सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर और हाईटेक बनाने का काम किया जाएगा।

- जय सिंह, बीएसए