प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के मुताबिक इस कदम से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी और व्यवस्था में ज़्यादा जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी.

वक्तव्य के अनुसार इस घोषणा के बाद जो मामले मंत्री समूहों और अधिकार प्राप्त मंत्री समूहों के पास लंबित थे, उन पर मंत्रालयों और विभागों के स्तर पर फ़ैसले लिए जा सकेंगे

कार्यालय के अनुसर अगर किसी मंत्रालय को फ़ैसला लेने में परेशानी होती है तो प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय फ़ैसला लेने में सहायता करेगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में इसे मंत्रालयों और विभागों को अधिकार देने के क्षेत्र में ‘बड़ा कदम’ बताया गया.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ज़्यादातर अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष थे.

इन समूहों की रचना भ्रष्टाचार, पानी पर झगड़े, प्रशासनिक सुधार और गैस और टेलीकॉम के दाम जैसे मुद्दों पर फ़ैसले लेने के लिए की गई थी.

इन समूहों की सिफ़ारिशों को कैबिनेट के समक्ष आखिरी फ़ैसले के लिए रखा जाता था.

अभी तक नौ ईजीओएम और 21 जीओएम थे.

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