ब्रिक्स बैंक होगा मेन एजेंडा

कॉन्फ्रेंस के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस अवसर को रीजनल क्राइसिस दूर करने, सुरक्षा खतरों से निपटने, शांति और स्थिरता कायम करने के रूप में देखते हैं. उन्होंने संकेत दिया कि ब्रिक्स सम्मेलन में डेवलपमेंट बैंक बनाने और इमर्जेंसी फंड को अमलीजामा पहनाने की कोशिश होगी. उनका कहना था कि वह इस मौके का विकास का खाका खींचने के लिए भी इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे.

ब्रिक्स बैंक को लेकर देशों में है कॉम्पिटिशन

ब्रिक्स विकास बैंक का हेड ऑफिस बनाने को लेकर दिल्ली और चीन के शंघाई में प्रतिस्पर्धा है. ब्रिक्स देशों का शिखर सम्मेलन 15-16 जुलाई को फोर्टालेजा और ब्रजीलिया में होना है. फॉरेन पॉलिसी मोदी सरकार के एजेंडे में ऊपर है. इसका ऐलान सरकार गठन के साथ ही किया जा चुका है. सरकार के एक अहम अधिकारी का कहना है कि अमेरिका जैसा ताकतवर देश पूरे लैटिन अमेरिका को अपना पड़ोसी ही मानता है और उसी नजरिए से व्यवहार भी करता है. दरअसल अपने आसपास के देशों में अहमियत ही इंटरनेशनल लेवल पर भी किसी देश की ताकत बनाता है.

सार्क देशों के लिए भी बदल रहा है नजरिया

सार्क देशों के लिए प्रधानमंत्री के नजरिए ने माहौल बदलना शुरू कर दिया है. ब्रिक्स भी एक अहम प्लेटफॉर्म है. लिहाजा आशा जताई जा रही है प्रधानमंत्री मोदी यहां से भी इंडिया की मजबूती का संकेत देने की कोशिश करेंगे. ब्रिक्स में भारत के साथ साथ ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका शामिल है. इनका कंबाइड एरिया दुनिया का एक चौथाई है और आबादी लगभग 40 फीसदी है.

ये नेता भी होंगे साथ में

सरकार बनने के बाद पहली बार मोदी चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्र प्रमुखों से मिलेंगे. उनके साथ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एके डोभाल, फॉरेन सेक्रेटरी सुजाता सिंह और वित्त सचिव अरविंद मायाराम शामिल हैं. माना जा रहा है कि सम्मेलन के अलावा मोदी साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा और ब्राजील के राष्ट्रपति डिलमा राउजेफ से बातचीत करेंगे.

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