अक्टूबर-13 से सैलरी न मिलने पर संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य ने दी चेतावनी

डीआईओएस के आर्डर के बावजूद मुख्य लेखाधिकारी नहीं कर रहे सैलरी रिलीज

BAREILLY:

शहर के इकलौते संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य पिछले साल से बिना वेतन काम कर रहे हैं। इसके चलते आयी तंगहाली से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की चेतावनी दी है। शहर में स्थित श्री बृजमोहन लाल स्मारक आयुर्वेदिक संस्कृत विद्यालय में ये एक मात्र शिक्षक हैं। अपनी वेतन के लिए महीनों से विभागीय अधिकारियों के चक्कर लगा लगाकर तंग आ चुके हैं।

हाईकोर्ट ऑर्डर की कर रहे अवमानना

प्रधानाचार्य को पिछले साल नंवबर से जनवरी तक का वेतन नही दिया गया है। साथ ही फरवरी के वेतन के लिए मांग पत्र भी अधिकारी एक्सेप्ट नही कर रहे हैं। सिंतबर-क्फ् से लेकर अब तक यानि क्म् महीने में इस शिक्षक को मात्र पांच महीने का वेतन मिल पाया है। असल में स्टेट गवर्नमेंट ने अक्टूबर-ख्0क्फ् में एक शासनादेश निकाल कर ऐसे संस्कृत विद्यालयों का वेतन अनुदान बंद कर दिया, जिनमें छात्र संख्या मानक से कम थी। इसके बाद ख्ख् मई ख्0क्ब् को हाईकोर्ट ने इस शासनादेश वेतन अनुदान बहाल करा दिया। इस आर्डर के बाद जून से लेकर अक्टूबर तक प्रधानाचार्य को वेतन नहीं मिला। जबकि निलंबन के समय का वेतन एरियर होने से नही मिल सका है। इस तरह वित्त एवं लेखाधिकारी अनिल कुमार वेतन रिलीज करने में मनमानी करते हुए हाईकोर्ट के आर्डर की अवमानना कर रहे हैं।

डीएम ने भी नहीं सुनी गुहार

प्रधानाचार्य ने ख्0 फरवरी को डीएम गौरव दयाल के सामने भी अपनी परेशानी रखी, तब मिले आश्वासन पर कोई कार्यवाही होते नही दिखी तो शिक्षक ने ख्म् फरवरी को एक रिमाइंडर लेटर भेजा है। इस मामले में वित्त अधिकारी मानक से कम छात्र होने की बात कह वेतन रोके हैं। जबकि डीआईओएस ने स्कूल में 9 फरवरी को इंस्पेक्शन कर मानक के अनुसार छात्रों की संख्या जांची, जिसमें ब्म् छात्र संख्या पायी गई। मानक में उत्तर मध्यमा वाले संस्कृत विद्यालय में प्रति शिक्षक मिनिमम ब्0 शिक्षक होने चाहिए। डीआईओएस आशुतोष भारद्वाज से बात की गई तो इनका कहना है मेरे निरीक्षण से वित्त एवं लेखाधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। अब ये मामला डीएम के सामने है इसलिए इसमें मैं कुछ नही कहना चाहता।

मैने डीएम से भी गुहार लगा चुका हूं, यदि वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक शिक्षा मेरा वेतन रिलीज नही करेंगे, तो मेरे पास परिवार सहित आत्महत्या करने का ही विकल्प रह जाएगा। वेतन न मिलने से मैं पूरी तरह से कर्ज में डूब चुका हूं।

- डा। शिव अवतार मिश्र, बृजमोहन लाल स्मारक आयुर्वेदिक संस्कृत विद्यालय