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PATNA : किताब घोटाले की आंच अभी तक ठंडी भी नहीं पड़ी है कि बिना टेंडर के करोड़ों रुपए का जॉब वर्क किसी खास प्रिंटर्स को देकर करोड़ों रुपए का घोटाला करने का मामला सामने आ गया है। और यह काम किया है बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड ने। जॉब वर्क सर्व शिक्षा अभियान के तहत किया जाना है जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा पैसा दिया गया है। मामला मूल्यांकन पंजी और प्रगति पत्रक के मुद्रण का है। पूर्व में भी निगम का एक बड़े घोटाले को लेकर चर्चा में रहा जिसकी जांच विजिलेंस कर रही है। बिहार ऑफसेट प्रिंटर्स एसोसिएशन ने निगम के इस घोटाले को सीएम तक पहुंचाकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।

ऐसे किया गया खेल

मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल बड़ा बजट दिया जाता है ताकि बिहार में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो सके। इसके तहत राज्य पाठय पुस्तक प्रकाशन लिमिटेड द्वारा पुस्तकों का प्रकाशन कर बच्चों में नि:शुल्क वितरण के साथ शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के अलावा कई काम किए जाते हैं। इसी क्रम में वर्ष ख्0क्म् में प्रगति पत्रक और मूल्यांकन पंजी का मुद्रण भी कराया जाना था।

बिहार राज्य पाठय पुस्तक प्रकाशन लिमिटेड ने इसके लिए 9 करोड़ का बजट बिना किसी ओपेन टेंडर के ख्0 चहेते मुद्रकों को बांट दिया। खास यह है कि इस खेल में गत वर्ष की अपेक्षा अधिक दर पर कार्य दे दिया गया है। जानकारों का कहना है कि यदि ओपेन टेंडर से काम कराया गया होता तो 7 करोड़ में ही काम पूरा हो सकता था। इसके लिए ख्0क्ब् में दिए गए कागज के दर एवं ख्0क्म् में जॉब के लिए आमंत्रित निविदा में किताबों के आवरण की छपाई का रेट का इस्तेमाल किया गया है। जबकि ख्0क्भ्-क्म् में इस प्रगति पत्रक का कार्य कम दर पर किया गया है जिसे जान बूझकर छोड़ दिया गया है। जिसके चलते लगभग लगभग ढाई करोड़ रुपए का अपव्यय स्पष्ट नजर आ रहा है।

क्या कहता है नियम

बिहार वित्तीय नियमावली के नियम के अनुसार ख्भ् लाख रुपए से अधिक के कार्य के लिए निविदा कराना आवश्यक है। पारदर्शिता के लिए टेंडर प्रकिया की व्यवस्था है। इस नियम के विपरीत काम होता है तो कहीं न कहीं से बड़ा खेल होने की आशंका होती है। मुद्रण को लेकर नियम है कि पहले रजिस्टर्ड मुद्रकों के लिए निविदा आमंत्रित की जाती है फिर कम से कम दर पर मुद्रण का काम कराया जाता है।

निगम के काम की चल रही जांच

निगम द्वारा पिछले वर्षो में कराए गए काम में बड़े पैमाने पर मनमानी उजागर हुई है जिसकी जांच निगरानी कर रहा है। अब वर्ष ख्0क्म्-क्7 में भी बड़े पैमाने पर धांधली की गई है।

सीएम तक पहुंचा मामला

बिहार ऑफसेट प्रिंटर्स एसोसिएशन ने इस मामले को सीएम तक पहुंचाया है। कार्यकारी अध्यक्ष रामेश्वर नाथ राय ने सीएम को भेजे पत्र में कहा है कि जिस दर और प्रक्रिया के तहत प्रगति पत्रक मूल्यांकन पंजी का मुद्रण कराया जा रहा है वह बिहार वित्तीय नियमावली के खिलाफ है। बिना निविदा के मनचाहे मुद्रकों को काम दिया जाना सरकारी धन के बंदरबांट का मामला है। नियम कानून को दर किनार कर किए गए खेल की निष्पक्ष जांच के साथ दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

न्यूनतम दर से अधिक पर दे दिया काम

वर्ष ख्0क्भ् में मूल्यांकन पंजी और रिपोर्ट कार्ड के लिए निगम द्वारा निविदा मांगी गई थी, इसमें दो मुद्रकों ने न्यूनतम दर ख्.भ्ख् रुपए से ख्.भ्ब् रुपए दिया था। इसके बावजूद निगम ने बिना टेंडर के ही काम फ्.फ्भ् रुपए की दर से जारी कर दिया। ये न्यूनतम दर से अधिक है।

शिक्षा विभाग में इतनी बड़ी मनमानी गंभीर मामला है। सरकार अभी तक इस मामले में शांत क्यों है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

- रामेश्वर प्रसाद चौरसिया, पूर्व विधायक

ये काम निगम द्वारा कराया जाता है। इसकी जवाबदेही उन्हीं की है।

- राजीव रंजन प्रसाद, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर सर्व शिक्षा अभियान