जेल से चल रहा जरायम का राज

जरायम की हुकुमत चलाने वाले भले ही जेल में क्यों ना हों, उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वे जेल में भी बोस हैं। जेल में बैठकर ये खूंखार अपराधी बोस की भूमिका भली भांति निभा रहे हैं। अपने गैंग का संचालन कर रहे हैं। पुलिस हो या जेल प्रशासन सभी की नजरों में रहते हैं। फिर भी इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ये जेल में बैठकर किसी की भी सुपारी ले लेते हैं। किसी का भी कत्ल करवा देते हैं। शहर में जब भी बड़ी वारदात होती है तो जेल में लिंक खोजा जाता है और लिंक होते भी हैं।

जेल से चल रहे गैंग

जेल में खूंखार अपराधियों का जमावड़ा हैं। बहुत से बदमाश तो ऐसे हैं जिनके नाम से भी लोग कांपते हैं। ब्रह्मपुरी का प्रवीण शर्मा जो अजय जडेजा गैंग का शार्प शूटर है, जेल में है। गौरव सिरोही, अमित पंवार, बागपत का पवन उर्फ पहाड़ी, चीकू बढ़ला, धर्मेंद्र किरठल, सुशील उर्फ मूंछ, भूपेंद्र सिंह बाफर, बदन सिंह बद्दो, उधम सिंह, योगेश भदौड़ा जैसे सैकड़ों खूंखार जेल में बैठे हुए। इनको जेल से बाहर आने की जरुरत नहीं होती, बल्कि एक इशारा कर देते हैं। जेल में बैठे हुए ये अपने गैंग को सुचारू रूप से चलाते रहते हैं।

बड़ी-बड़ी वारदातें

ठाकुर अमरपाल मर्डर केस हो या फिर डिप्टी जेलर नरेंद्र द्विवेदी हत्याकांड। सभी मर्डर जेल से ही तय हुए थे। इनकी प्लानिंग हुई और फिर वारदात को अंजाम दे दिया गया। यही नहीं रविंद्र भूरा जैसे खूंखार अपराधी का कत्ल भी जेल में बैठे शूरमाओं की शह पर हुआ था। शारदा रोड पर अशोक लॉटरी वाले का मर्डर भी जेल से जुड़ा हुआ था। सरुरपुर इलाके में हुए मर्डर भी जेल में बैठे आकाओं के इशारे पर हुए और लगातार हो रहे हैं।

विशू का मर्डर भी

संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष के भतीजे विशू उर्फ रजत वशिष्ठ का मर्डर भी जेल में बैठे नीरज राठी उर्फ पिंटू राठी के इशारे पर हुआ। जिसको लेकर जेल में बंद अपराधी से पूछताछ की गई। इससे पहले इजलाल केस में एक डिप्टी जेलर को सस्पेंड होना पड़ा है। जो जेल से सेटिंग करके बाहर आ गया। फर्जी तरीके से पेशी के नाम पर ना जाने कहां तक जाता रहा। इससे साफ है कि जेल में जो हो रहा है वह सबकी नजरों में है। बड़ी वारदात के बाद पुलिस सीधे जेल में अपराधियों से संपर्क करती है।

जांच या औपचारिकता

जेल से खेल करके नौ अपराधी फरार हो गए थे, जिनमें से एक विजय पुत्र टोटूराम आज भी फरार है। 2012 में जेल में हुए बवाल के दौरान बंदियों ने भागने का प्रयास किया था। जेल में सिलेंडर तक में आग लगा दी थी। इसके बाद जेल में कई बार छापेमारी हुई। कई बैरक से चम्मच की बनी कट्टनें बरामद हुई थीं। लेकिन जेल में कभी मोबाइल और सिम बरामद नहीं हुए। जबकि जेल से बातचीत होती है। इसलिए आजतक कभी जेल में जैमर भी नहीं लगे।

जेल में मिलती है सुविधाएं

आज जेल बदमाशों के लिए घर जैसी है। जेल में पैसा देते हैं और सुविधाएं लेते हैं। बड़े अपराधियों के लिए तो जेलर भी सुविधाएं देने से पीछे नहीं हटते। सुशील मूंछ, भूपेंद्र सिंह बाफर और बदन सिंह बद्दो जैसे बदमाशों के लिए जेल प्रशासन अच्छी खासी सुविधाएं देते हैं। ये लोग फोन तक भी इस्तेमाल करते हैं। इनके पेशी पर आने की जो स्थिति होती है उससे साफ नजर आता है। वहीं इजलाल जैसा अपराधी पैसा फेंकता है और सुविधाएं लेता है। उसके लिए तो जेल में जनरेटर तक लगा दिया गया था। जेल में जैसा पैसा होता है वैसी सुविधाएं मिलती हैं।

जेल हो या पेशी

बदमाशों को जेल में तो सुविधाएं मिलती ही हैं, वहीं पेशी पर आते समय भी अच्छी खासी सुविधाएं मिलती हैं। पेशी पर लाने और ले जाने वाले सिपाहियों पर बदमाश पैसे फेंकते हैं और सुविधा लेते हैं। कई जगह पुलिस के द्वारा अपराधियों को सुविधाएं देने पर सस्पेंड तक होना पड़ा है। इस सुविधा के चलते अपराधी फायदा उठाकर भागने में भी कामयाब हो जाते हैं। जेल से बाहर आने वाले अपराधियों द्वारा बड़ी वारदातों को भी अंजाम दिया जाता है।

जेल में होती है प्लानिंग

एक बदमाश जब दूसरे बदमाश के संपर्क में आता है तो प्लानिंग शुरू होती है। वह बाहर जाएगा तो उसका काम कराएगा। जेल में मिलने वालों को भी इस प्लानिंग में शामिल किया जाता है। जब भी कोई बड़ा बदमाश जेल से बाहर आता है तो वारदात को अंजाम दिया जाता है। मेरठ जेल में तो आए दिन वारदात के तार जुड़ते रहते हैं। लूट, डकैती, मर्डर, रंगदारी, अपहरण और फिरौती के मामलों में पुलिस जेल में संपर्क साधती है।

'जेल में जैमर लगाना आसान नहीं है। हम लोग रोज बैरक की चेकिंग करते हैं। जेल में कोई मोबाइल यूज नहीं होता। बदमाश पेशी पर जाते हैं, जेल में परिजनों से मिलते हैं, इस दौरान ये लोग प्लानिंग कर सकते हैं। ऐसे में इनको कहां तक रोका जा सकता है.'

- एसएचएम रिजवी, जेल सुप्रीटेंडेंट

'लगता है जेल के अंदर से बदमाश कुछ भी करवा सकता है। बुलंदशहर जेल में बैठे अपराधी ने यहां कत्ल करवा दिया। पुलिस खुद कह रही है कि जेल से प्लानिंग हुई है तो ऐसे में कुछ भी हो सकता है। रंगदारी मांगी जा सकती है और कत्ल भी हो सकते हैं.'

- अरुण वशिष्ठ, संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष

'प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था और संकीर्ण सोच के चलते कोई आशा करना संभव नहीं है। जेल से बैठकर अपराधी कत्ल करवा देता है, जिससे साफ है कि अपराधियों और कानून व्यवस्था पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.'

- लक्ष्मीकांत वाजपयी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष