- मेरठ जेल में बंद 2900 कैदियों में से एक को भी नहीं है मतदान का अधिकार

- सिर्फ एनएसए के आरोपियों को होता है मतदान का अधिकार, मगर कोई भी लड़ सकता है चुनाव

lekhchand@inext.co.inMeerut : आपने सोशल नेटवर्किग पर एक जोक पढ़ा होगा कि जेल में बंद कैदी वोट नहीं कर सकता है, लेकिन चुनाव लड़ सकता है। हम आपको इसके आगे की बात बताएंगे। जेल में बंद मारपीट या चोरी का आरोपी भी मतदान का अधिकार नहीं रखता है, जबकि एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट) में बंद कैदी मतदान कर सकता है, बशर्ते एनएसए के अलावा कोई अन्य धारा नहीं होनी चाहिए। अब ये लोकतंत्र का मजाक नहीं है तो क्या है? जिस व्यक्ति से राष्ट्र को खतरा है, वह वोट डालने का अधिकार रखता है। मेरठ जेल के एक भी बंदी वोट डालने का अधिकार नहीं है, लेकिन चुनाव सभी लड़ सकते हैं।

ख्900 बंदी

चौधरी चरण सिंह जिला जेल में क्900 की क्षमता के मुकाबले ख्900 कैदी मौजूद हैं। चुनाव आयोग ने जेल अधीक्षक से वोट डालने का अधिकार रखने वाले बंदियों के बारे में जवाब मांगा था, जेल अधीक्षक द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में एक भी बंदी ऐसा नहीं है जो वोट डालने का अधिकार रखता हो।

ये डाल सकते हैं वोट

जीओ के अनुसार वोट डालने का अधिकार एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट) के आरोपी को होता है, लेकिन एनएसए के साथ अगर उस पर और भी आरोप हैं तो वह वोट डालने का अधिकार नहीं रखता। इस वक्त जेल में करीब छह बंदी एनएसए के आरोपी हैं, जिनमें से एक भी बंदी वोट डालने का अधिकार नहीं रखता। क्योंकि इन सभी पर एनएसए के अलावा कई और आरोप भी हैं। इसके चलते ख्900 में से एक भी बंदी ऐसा नहीं बचा जो वोट डाल सके।

ऐसे डालते हैं वोट

अगर कोई बंदी वोट डालने का अधिकार रखता है तो उसके लिए चुनाव आयोग से पोस्टल बैलेट का इंतजाम किया जाता है। वह अपने मताधिकार का प्रयोग करता है। एनएसए के अलावा जो भी किसी आरोप के चलते निरुद्ध होगा, उसको वोट डालने का अधिकार नहीं होता। इसके साथ ही जो पे-रोल पर होता है वह भी अपनी वोट का इस्तेमाल कर सकता है। क्योंकि जेल से बाहर आने पर वह आम आदमी की तरह ही होता है।

पे-रोल प्रबंध

जिला प्रशासन और शासन की रिपोर्ट के बाद कोर्ट के आदेश पर बंदी को पे-रोल मिलता है। यह पे-रोल कभी भी मिल सकता है। इसके लिए बंदी के जमानतदारों और वकील को कारण दिखाने पड़ते हैं। कोई अपनी बेटी की शादी के तो कोई ईलाज के लिए पे-रोल पर बाहर आ सकता है। चुनाव के दौरान अगर किसी व्यक्ति द्वारा दुरुपयोग की आशंका के चलते उसको प्रशासनिक रिपोर्ट के आधार पर वापस जेल बुला लिया जाता है। फिलहाल मेरठ जेल से कोई पेरोल पर भी नहीं है।

क्980 में पास हुआ एनएसए

एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट क्980) चौधरी चरण सिंह की सरकार के दौरान क्980 में पास हुआ था। इस एक्ट के अनुसार सेंट्रल गवर्नमेंट और स्टेट गवर्नमेंट किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार रखती है साथ ही उसको डेंटेंशन में भेज दिया जाता है। इस एक्ट के अनुसार किसी व्यक्ति को ज्यूडिशियल कस्टडी में रखा जा सकता है। अगर आरोपी पर आरोप सिद्ध होता है तो उसको लंबी सजा हो सकती है।

चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी थी। यहां एक भी बंदी ऐसा नहीं है जो वोट डाल सके। एनएसए में निरुद्ध बंदियों को वोट डालने का अधिकार होता है, लेकिन जिन पर एनएसए के साथ दूसरी धाराएं होती हैं तो वह वोट नहीं डाल सकता।

- एसएचएम रिजवी, जेल अधीक्षक जिला जेल

एनएसए में बंद कैदी के लिए यह एक प्रीवेंटिव डेटेंशन पीरियड होता है, जिसके तहत उसे शक के आधार पर जेल में रखा जाता है। उस पर अगर यह दोष सिद्ध होता है तो वह वोट नहीं डाल सकता है, साथ ही सजा का भी भागीदार होता है। इसलिए एनएसए के आरोपी को वोट डालने का अधिकार दिया गया है। अन्य कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं है। जेल से वोट डालने और चुनाव लड़ने का अपना अलग क्राइटेरिया है।

- ओंकार सिंह, एसएसपी

वोट डालने का अधिकार सभी को होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जेल में बंद व्यक्ति वोट डाल सकता है। उसके अधिकार फांसी से पहले तक सुरक्षित हैं। जब एक व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है तो वह वोट क्यों नहीं डाल सकता? यह बड़ी बात है कि जिससे राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा होता है, वह वोट डालने का अधिकार रखता है।

- अनिल बख्शी, वरिष्ठ अधिवक्ता

मतदान का अधिकार तो सबको मिलना चाहिए। जेल में बंद एक व्यक्ति को चुनाव लड़ाया तो जा सकता है, लेकिन जेल में बंद एक व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार नहीं है। सभी को वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए, अगर एनएसए के आरोपी को मतदान का अधिकार दिया गया है तो यह कानून का मजाक है।

- नवीन गुप्ता, संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष

मताधिकार तो सबका अधिकार है। देश की बेहतरी के लिए चुनाव होता है। और जो देश की सुरक्षा में बाधक है, वह वोट डाल सकता है और बाकी वोट नहीं डाल सकते, यह एकदम गलत है। अंडर ट्रायल व्यक्ति को मतदान से वंचित रखना लोकतंत्र का हनन है। जब जेल में रहकर चुनाव लड़ा जा सकता है तो वोट डालने का भी सबको अधिकार मिलना चाहिए। इस मामले को चुनाव आयोग को संज्ञान में लाना चाहिए, ताकि सभी को वोट डालने का अधिकार मिल सके।

- अरुण वशिष्ठ, पूर्व संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष