- BHU hospital से इलाज के दौरान कैदी हुआ फरार, तीन बंदीरक्षकों की मौजूदगी के बाद हुई घटना

- पांच दिनों से था भर्ती फिर भी नहीं थी लंका पुलिस को सूचना, बंदीरक्षकों समेत कैदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज, जाते-जाते ले गया बंदीरक्षक का मोबाइल फोन

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: पुलिस की सुस्ती और जेल प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाही का नतीजा शनिवार देर रात बीएचयू अस्पताल के नेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में तब देखने को मिला जब यहां इलाज करा रहा है एक कैदी यहां मौजूद बंदीरक्षकों को चकमा देकर भाग निकला। कैदी के फरार होने के बाद बंदीरक्षकों ने पहले उसे घंटों तलाश किया लेकिन जब उसका कोई पता नहीं चला तो सूचना जेल प्रशासन समेत पुलिस प्रशासन को दी। कैदी के फरार होने की सूचना मिलते ही हर ओर हड़कंप मच गया और देखते ही देखते जेल से लेकर पुलिस और प्रशासन तक की गाडि़यां बीएचयू पहुंच गई। सूचना के बाद पुलिस फास्ट हुई और फरार कैदी की तलाश में जुट गई लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। बाद में फरार कैदी समेत उसकी सुरक्षा में लगाए गए तीनों बंदीरक्षकों के खिलाफ वरिष्ठ जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल संजीव त्रिपाठी की तहरीर पर मुकदमा कायम कर तीनों बंदीरक्षकों से पूछताछ की जा रही है।

थाने को नहीं दी थी सूचना

इस मामले से पुलिस अपना पल्ला ये कहकर झाड़ रही है कि उसको कैदी के भर्ती होने की सूचना दी ही नहीं गई थी और न ही बंदीरक्षकों ने उसे बीएचयू में भर्ती कराने से पहले उसकी आमद थाने में कराई थी। इसलिए सुरक्षा के लिए लोकल पुलिस वहां नहीं थी। पश्चिम बंगाल के कोतवालीकुंच बिहार का रहने वाला जहीरुल हक (फ्भ्) गोरखपुर जेल में एनडीपीएस एक्ट के तहत बंद था। यहां इसे दस साल की सजा सुनाई गई। जिसके बाद क्ख् जनवरी ख्0क्ब् को जहीरुल को बनारस सेंट्रल जेल के भेज दिया गया। यहां किडनी की प्रॉब्लम होने पर उसका जेल में ही इलाज जारी था लेकिन एक जुलाई को उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे बीएचयू स्थित नेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के बेड नंबर पांच में एडमिट कराने गया था। यहां उसका इलाज डॉ आरजी सिंह के अंडर में चल रहा था।

लगे थे तीन बंदीरक्षक

बीएचयू के नेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में भर्ती कैदी की देखरेख के लिए जेल प्रशासन की ओर से तीन बंदीरक्षक कृष्ण मुरारी दूबे, सबीन्द्र मौर्य और रविन्द्र दास को लगाया गया था। डेली की तरह शनिवार की रात तीनों बंदीरक्षक रिलेक्स थे और कैदी जहीरुल अपने बेड पर था। इस बीच भोर में कैदी बाथरूम जाने के बहाने निकला लेकिन लेकिन बंदीरक्षक उसके साथ बाथरूम तक नहीं गए। जिसका फायदा उठाते हुए वह हॉस्पिटल से भाग निकला। कैदी भागने से पहले बंदीरक्षक रविन्द्र दास का मोबाइल फोन भी साथ ले गया। कैदी के भागने की जानकारी होते ही पहले बंदीरक्षकों ने उसे अस्पताल से लेकर बाहर तक खोजा लेकिन जब उसका कोई पता नहीं लगा तो जेल प्रशासन को सूचना दी। जिसके बाद जेल प्रशासन समेत दूसरे अधिकारियों और पुलिस ने मौके पर पहुंच उसकी तलाश की लेकिन उसका कोई पता न लगने पर धारा ख्ख्फ्, ख्ख्ब् और फ्79 के तहत बंदीरक्षकों समेत फरार कैदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर तीनों बंदीरक्षकों से जेल में ही पूछताछ जारी है।

पहले भी हो चुके हैं फरार

कैदियों के फरार होने की ये कोई पहली वारदात नहीं है। इससे पहले भी कई कैदी भाग चुके हैं। कुछ ही दिन पहले चंदौली से पेशी करा कर लौटते वक्त जिला जेल का कैदी सुनील यादव चौकाघाट के पास पुलिस को चकमा देकर भाग निकला था। कबीरचौरा हॉस्पिटल में भी इलाज के दौरान एक कैदी भाग चुका है। इसके अलावा भेलूपुर में पकड़ा गया एक बदमाश कोर्ट जाते वक्त पुलिस कस्टडी से फरार हो चुका है।