- जेल में चार बंदियों में टीबी निकलने से मचा हड़कंप

- छूआछूत की बीमारी कहकर बीमारों को उलहाना दे रहे कैदी

- जेल प्रशासन का दावा, बीमारी कैदियों को अलग बैरक में रखा

GORAKHPUR: जेल में बंद चार बंदियों के टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने से अन्य बंदी व कैदी इन दिनों काफी डरे और सहमे हुए हैं। जेल में सजा काटने के साथ ही अब उन्हें अपने सेहत की चिंता सताने लगी है। छूआछूत के डर से जेल में बंद अन्य कैदी व बंदी अब जेल में खाने-पीने से भी डर रहे हैं। हालांकि जेल प्रशासन का दावा है कि एतिहात के तौर पर टीबी से ग्रसित बंदियों को अलग बैरक में रखा गया है, लेकिन जेल सूत्रों के मुताबिक उनके साथ अन्य कैदी भी हैं। जोकि उनकी बीमारी से काफी परेशान हैं। हालांकि बीमार चार बंदियों में से एक जमानत पर जेल से बाहर आ चुका है। जबकि तीन शेष अभी जेल में हैं।

बीमारों के सामने भी खड़ी हुई समस्या

ऐसा नहीं है कि इन बंदियों में टीबी की बीमारी मिलने से सिर्फ सामान्य कैदी व बंदी परेशान हैं, बल्कि बीमार बंदियों की हालत तो और भी खराब हो गई है। एक तरफ वह टीबी जैसी गंभीर समस्या झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी इस बीमारी को लेकर बैरक में साथ रह रहे अन्य बंदी उनके साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इसे लेकर कैदी व बंदी बीमारों को उलाहना भी दे रहे हैं। इससे उनकी बीमारी के साथ उनके सामने एक नई परेशानी खड़ी हो गई है। हालांकि इसकी जानकारी होते ही अन्य कैदी व बंदियों ने जेल प्रशासन से बीमार बंदियों को पूरी तरह अलग रखने की मांग की है। ताकि उनके इन्फेक्शन से अन्य बंदियों में यह बीमारी न फैले

बलगम जांच में हुई थी पुष्टि

मंडलीय कारागार में बंदियों के बलगम की जांच के बाद आई रिपोर्ट के मुताबिक चार बंदी टीबी से ग्रसित पाए गये हैं। इन बंदियों में बशारतपुर का बिपिन उर्फ बंटी, सहजनवा निवासी रामलखन, तिवारीपुर निवासी श्रीराम और गोला निवासी बाबूराम शामिल हैं। इन सभी बंदियों को जेल प्रशासन ने बैरक नंबर 6 में रखा है। जांच में टीबी रोग की पुष्टि होने के बाद चारो बंदियों का इलाज शुरू हो चुका है। इन बंदियों में से बशारतपुर का रहने वाला बंदी बिपिन रिहा हो चुका है। फिर भी उसके रूटीन चेकिंग और इलाज का क्रम जारी है। डॉक्टरों की सलाह पर जेल में बीमार तीनों बंदियों को पौष्टिक भोजन जैसे अंडा, मांस आदि मुहैया कराया जा रहा है। उधर जिला क्षय रोग विभाग भी अपनी तरफ से 18 जून से जेल के बैरकों में टीबी रोग के लिए विशेष अभियान चलायेगा। रामलखन पिछले ढाई वर्ष से, श्रीराम फरवरी से और बाबूराम अप्रैल से जेल में बंद हैं।

वर्जन

चार बंदियों में टीवी रोग की पुष्टि के बाद उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। समय-समय पर इनको पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, और इलाज भी कराया जा रहा है। एतिहात के तौर पर उन्हें अलग बैरक में रखा गया है। ताकि इससे किसी अन्य बंदी या कैदी को समस्या न हो। बीमार बंदियों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।

डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, गोरखपुर