सेंट्रल जेल में खुला खादी उत्पादन केंद्र, कैदी करेंगे कताई-बुनाई

-सूबे भर की जेलों में भी जाएगी कैदियों की बनायी हुई ड्रेस

इन कपड़ों को तैयार करेंगे जेल में बंद कैदी। खादी ग्रामोद्योग मंडलीय की पहल पर सेंट्रल जेल में खुले खादी उत्पादन केंद्र में कैदी कताई-बुनाई कर कुर्ता-पायजामा सहित अन्य कपड़े तैयार करेंगे। ये कपड़े आम लोगों के पास पहुंचेंगे। खुद पहनने के साथ ही दूसरे जेलों के कैदियों को भी पहनाएंगे

 

आगे आए डेढ़ दर्जन से अधिक कैदी

 

सेंट्रल जेल के कैदी फर्निचर, कुल्हड़, मोटर-कार की मरम्मत, वेल्डिंग, आचार-मुरब्बा बनाने का काम पहले से ही करते आ रहे हैं। जिसके एवज में उन्हें जेल प्रशासन की ओर से मेहनताना भी मिलता है। 40 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से कैदियों को मेहनताना मिल रहा है।

अब संगीन अपराध में सजायाफ्ता कैदी जेल के अंदर खादी की ड्रेस भी तैयार करेंगे। कपड़े की बिक्री या तो सूबे भर के जेलों में की जाएगी या फिर खादी ग्रामोद्योग अपने स्तर से उनकी बिक्री पूरे प्रदेश में गांधी आश्रम के जरिये करेगा। फिलहाल इस मामले को लेकर खादी अधिकारियों व जेल अधिकारियों के बीच मंथन जारी है। कताई-बुनाई, रंगाई के लिए डेढ़ दर्जन से अधिक कैदियों ने अपनी जिज्ञासा दिखाई है। उत्पादन केंद्र के जरिये जल्द ही कैदी अपना हुनर दिखाना शुरू कर देंगे।

 

डिजाइनर ड्रेस करेंगे तैयार

 

खादी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सहित राज्य सरकार प्रयासरत है। इस दिशा में लगातार काम भी हो रहे हैं। इसके तहत ही सेंट्रल जेल में खादी उत्पादन केंद्र खेला गया है। उत्पादन केंद्र में कैदियों को कताई-बुनाई सहित रंगाई की ट्रेनिंग देने के लिए खादी एक्सपर्ट्स भी आएंगे। आज के डिमांड के मुताबिक खादी के डिजाइनर ड्रेस तैयार करने की हुनर सिखाया जाएगा।

 

उत्पादन केंद्र खुल चुका है, जेल के अंदर कैदियों द्वारा कताई-बुनाई से तैयार ड्रेस सूबे भर में बेचे जाएंगे। गांधी आश्रम से लेकर सूबे भर के जेल में खादी की बिक्री को लेकर मंथन चल रहा है।

- बलधारी सिंह डायरेक्टर, मंडलीय कार्यालय खादी ग्रामोद्योग