-जेल में बंदियों को नहीं मिल रहा क्वालिटी बेस्ड भोजन

-सुविधा शुल्क और खुद के पैसों से भरता है बंदियों का पेट

-क्षमता से डबल हैं कैदी, लेकिन नहीं बढ़ा भोजन का मानक

GORAKHPUR: जिला जेल में बंद यदि किसी सजायाफ्ता कैदी और विचाराधीन बंदी के पास पर्याप्त रुपया है तो वह बढि़या भोजन और नाश्ते के साथ बेगार करने से दूर रहता है। ऐसे बंदियों से जेल प्रशासन बैठकी के रूप में 200 रुपए प्रति तीन दिन या फिर 3500 रुपए पक्की बैठकी के साथ बढि़या भोजन की रकम वसूल करता है। यदि किसी बंदी के पास रुपए नहीं है तो उनसे कारागार की सफाई के साथ खेत की जुताई-बुआई कराई जाती है और इसके बाद उन्हें पानी दार दाल व अधपकी रोटी दी जाती है। यह खुलासा मंगलवार को जेल में बंद अपने परिचितों से मिलने आए परिजनों ने किया। उन्होंने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सामने वसूली तक की पोल खोली।

हर बात पर सुिवधा शुल्क

परिजनों ने बताया कि परिचितों से मिलने जाता है और मिठाई, सेब, पान मसाला की पुडि़या आदि लेकर जेल में जाता है तो बंदी रक्षक 10 रुपए से लेकर वापस तक 40 रुपए वसूल कर लेते हैं। तीमारदारों की मानें तो खानपान में दाल में अरहर की दाल तो दिखती ही नहीं, सिर्फ पीला मटमैला पानी ही देखता है। रोटी अधपकी होती हैं और सब्जी देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उबाल कर दे दी गई हो। बंदी इसकी शिकायत कई बार जेल प्रशासन से कर चुके हैं। अंदर हंगामा भी करते हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरती।

क्षमता से डबल हैं कैदी

वर्तमान समय में जिला जेल में विभिन्न आरोपों में करीब 1800 विचाराधीन बंदी और सजायाफ्ता कैदी हैं। जिन्हें 18 बैरकों में रखा गया है। महिला बंदियों के बैरक अलग हैं। जबकि, जेल की क्षमता महज 822 बंदियों की ही है। परिजनों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब कोई बंदी पहली बार जेल जाता है तो उससे राइटर 310 रुपए ले लेता है। फिर मनपसंद बैरक में जाने के लिए 300 रुपए देना पड़ता है और बैरक के भीतर जाते ही सफाई दार को जमीन लेने के लिए 300 रुपए देने पड़ते हैं। इतना ही नहीं यदि बंदी काम नहीं करना चाहता तो उससे 3500 रुपए जमा कराए जाते हैं।

बंदियों के भोजन के मीनू पर नजर

नाश्ता चाय-गुड़ व दलिया- उबले चना

दोपहर 270 ग्राम आटे में 8 रोटी

45 ग्राम दाल (अरहर, मसूर, उर्द, मूंग, राजमा)

115 ग्राम सब्जी आलू (गोभी, बैगन, पालक, पत्ता गोभी, चौराई)

देर शाम 150 ग्राम आटे की 4 रोटी

50 ग्राम चावल

45 ग्राम दाल

आलू-बैगन की सब्जी

नोट- आलू के साथ जेल में उगाई जाने वाली पत्ता गोभी, बैगन, पालक, चौराई, कद्दू, लौकी पकाई जाती है।

यह है वसूली का सिस्टम

-बैरक जाने के पूर्व राइटर लेते 310 रुपए

-मनपसंद बैरक के लिए 300 रुपए

-बेगार न करने को सुविधा शुल्क 3500 रुपए जमा होते

-बैरक में लेटने को अच्छी जमीन 300 रुपए

-अच्छी रोटी के लिए बंदीरक्षक को 100 रुपए महीने

-भोजन बनाने वाले बंदीरक्षक को 500 रुपए महीने

-मिलने जाने पर बंदीरक्षक लेते 20 से 30 रुपए

-खाद्य सामग्री ले जाने पर बंदीरक्षक लेते 20 रुपए

-मिलाने वाला गुटखा ले गया तो 10 रुपए वसूली

वर्जन

सुविधा शुल्क का आरोप मनगढ़ंत व बेबुनियाद है। कारागार में जो भोजन कैदी बनाते हैं वही भोजन जेल स्टाफ खाता है तो घटिया भोजन का सवाल ही नहीं उठता। तिमाही व मासिक न्यायिक व प्रशासनिक अफसरों का निरीक्षण भी होता है यदि ऐसा होता तो बंदी शिकायत जरूर करते।

रामकुबेर सिंह, जेलर, जेल प्रशासन