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- डॉक्टर से जेल से रंगदारी मांगे जाने के मामले में जेलर की भूमिका संदेह के घेरे में

- जेल से पहले भी मांगी जाती रही है रंगदारी, जेल प्रशासन की मिलीभगत से जेल में पहुंचता है मोबाइल

GORAKHPUR: सीएम के करीबी डॉक्टर को जेल से रंगदारी की कॉल जाने की पुष्टि हो गई है। इसी के साथ मामले में जेलर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जेल में जैमर लगा होने व कड़ी सुरक्षा के बाद भी मोबाइल का पहुंचना व रंगदारी की कॉल जाना बिना जेल प्रशासन की शह के संभव नहीं है। सूत्र बताते हैं कि मंगलवार को जेल पहुंचे एसपी क्राइम ने जेलर को सबके सामने हिदायत दी। कहा जा रहा है कि जेलर पर मुकदमा तक दर्ज कराया जा सकता है। बुधवार को डीआईजी जेल भी मामले की जांच करने गोरखपुर पहुंचेंगे।

जेल से कॉल की पुष्टि

सीएम सिटी में सीएम के करीबी डॉक्टर से रंगदारी मांगे जाने पर पुलिस के पसीने छूट रहे हैं। मंगलवार को पुलिस काफी एक्टिव नजर आई। प्रभावित लोगों को सुरक्षा देते हुए दिनभर जांच-पड़ताल चलती रही। पुलिस, क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की सक्रियता काफी अधिक नजर आई। पुलिस अधिकारी जेल में भी पहुंचे। फोन करने वाले संजय यादव से पूछताछ की। मोबाइल में रिकॉर्ड की गई आवाज और टॉवर के लोकेशन की कई बार गहराई से छानबीन हुई जिसमें संजय यादव के फोन करने की पुष्टि हो गई। पुलिस गोला निवासी संजय यादव के एक कैरियर को उठाकर भी पूछताछ कर रही है। अन्य करीबियों पर भी पुलिस शिकंजा कस रही है।

शिफ्ट किया जाएगा संजय

पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच में यह बात सामने आई है कि राम आसरे यादव से जुड़ा शातिर संजय यादव जेल से भागने की योजना बना रहा था। इसके लिए वह रंगदारी की रकम जुटा रहा था। उसके गुर्गे डॉक्टर और व्यापारियों के मोबाइल नंबर अरेंज करते और संजय उन्हें कॉल करता। बताया जा रहा है कि संजय के खिलाफ चल रहे कई मुकदमों का ट्रायल अंतिम दौर में है। कुछ मामलों में उसे आजीवन कारावास होने तक की संभावना है जिससे वह जेल से भागने के फिराक में था। उसकी यह योजना सामने आने के बाद पुलिस अब उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसी जेल में शिफ्ट करने की तैयारी में लगी है।

किसी काम का नहीं जैमर

जेलों से रंगदारी की कॉल जाने की शिकायत के बाद 29 मार्च 2017 को गोरखपुर और प्रतापगढ़ की जेल में जैमर लगाने के लिए एक करोड़ 21 लाख रुपए का बजट सरकार ने दिया। काम पूरा करने की जिम्मेदारी ईसीआईएल (इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को मिली। जेल के बैरक नंबर 13 और 11 के अहाते में जैमर लगाया गया। अप्रैल माह में जेल अफसरों ने दावा किया कि जैमर लगने से जेल के बैरक नंबर 9,10,11,12,13,14 में मोबाइल काम नहीं करेगा। गोरखपुर जेल 62 एकड़ में फैली है। 15 एकड़ में बंदियों का बैरक और 47 एकड़ में अधिकारियों का आवास व ऑफिस है। इसे कवर करने के लिए आठ जैमर की डिमांड की गई थी। बताया जाता है कि जब जैमर आया था तब टूजी नेटवर्क चल रहा था लेकिन जैमर लगाने में इतनी देर कर दी गई कि तब तक थ्री व फोर-जी नेटवर्क चलने लगे। जिससे जैमर बेकार हो गया।

इतनी सुरक्षा तो कैसे पहुंचा मोबाइल?

जेल के अंदर मोबाइल पहुंचने पर जेल प्रशासन जांच के घेरे में आ गया है। सवाल उठता है कि इतनी कड़ी सुरक्षा होने के बाद भी जेल में मोबाइल कैसे पहुंचा? जेल की संवेदनशीलता को देखते हुए पूर्व में ही सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जेल गेट पर शाहपुर पुलिस की पुलिस चौकी बनाई गई है तो पीएसी जवान भी तैनात किए गए हैं। इतना ही नहीं, बंदियों से मिलने जाने वाले मुलाकातियों को सघन चेकिंग होती है। पीएसी जवानों की जांच से गुजरने के बाद जेल की तलाशी गेट पर बंदी रक्षक भी हर मुलाकाती की तलाशी लेते हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी जेल में मोबाइल पहुंचना सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा कर रहा है।

बंदी रक्षक बेलगाम, बंदियों की चांदी

सूत्र बताते हैं कि इस समय जेल की सुरक्षा व्यवस्था काफी खराब है। बंदी रक्षक बेलगाम हैं तो बंदियों की चांदी कट रही है। इन सबके पीछे भी जेलर की भूमिका ही घेरे में है। जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल, तन्हाई बैरक में टीवी चलने का मामला सामने आने के बाद यहां के जेलर राम कुबेर सिंह को हटा दिया गया था। इस बीच दूसरे जेलर यूपी सिंह आए लेकिन दो माह पहले ही फिर से उसी राम कुबेर सिंह को गोरखपुर जेल की जिम्मेदारी दे दी गई, जिन पर तमाम आरोपों के चलते हटाया गया था। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद से एक बार फिर जेल में मोबाइल का खुलेआम इस्तेमाल शुरू हो गया। इसी बीच जेल सुपरिटेंडेंट का तबादला हुआ तो बंदी रक्षक बेलगाम होने लगे और बंदियों की मौज हो गई। जेल प्रशासन की मिलीभगत से जेल में मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी।

जेल से मिलते रहे हैं मोबाइल

24 मई 2016: डीआईजी जेल का छापा, हाई सिक्योरिटी बैरक में सात बंदियों के पास से मच्छरदानी बरामद

13 मई 2016: जेल में डीएम और एसएसपी का छापा, चाकू, मोबाइल चार्जर, कलर टीवी, सेटअप बाक्स बरामद

24 फरवरी 2016: जिला कारागार में छापेमारी के दौरान छह मोबाइल सेट, सिमकाडज्, चाकू सहित कई आपत्तिजनक सामान बरामद

16 अप्रैल 2015: जेल में छापेमारी के दौरान गांजा सहित कई आपत्तिजनक चीजें मिली।

08 जून 2015: जेल में छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन बरामद हुआ।

14 मई 2016: जेल की तलाशी में चाकू, लाइटर, फोन चार्जर, कैंची बरामद हुई।

12 नवंबर 2016: जेल में छापेमारी के दौरान 120 मोबाइल फोन बरामद हुए।

जेल से मांगी जाती रही है रंगदारी

02 जुलाई 2017: झंगहा एरिया के प्रधान को फोन किया गया।

29 जून 2017: बेलीपार एरिया के बिजनेसमैन को फोन किया गया।

28 जून 2017: सिटी के फेमस डॉक्टर से रंगदारी मांगी गई।

06 दिसंबर 2016: मेयर डॉक्टर सत्या पांडेय को जानमाल की धमकी दी गई।

10 नवंबर 2016: पीपीगंज एरिया के ज्वेलरी कारोबारी को जेल से फोन किया गया।

18 मई 2016: बड़हलगंज एरिया के एक डॉक्टर को फोन किया गया।

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13 अक्टूबर को हुआ था बवाल

जेल में 13 अक्टूबर 2016 को बंदी की मौत के बहाने जेल में जमकर बवाल हुआ था। बंदी रक्षकों और बंदियों में मारपीट हो गई थी और बंदी रक्षकों को बंधक बना लिया गया था। जेल के अधिकारी भी बंदियों के निशाने पर आ गए थे। इन सबके पीछे भी जेल की सुरक्षा में लापरवाही और वहां व्याप्त अव्यवस्था ही जिम्मेदार थी।

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वर्जन

शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट: एसएसपी

एसएसपी आरपी पांडेय ने बताया कि जेल की बैरक से संजय यादव लोगों को फोन कर रहा था। मंगलवार को हुई जांच में इसकी पुष्टि हो गई है इसलिए उसे जल्द ही दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। वहीं संजय यादव की मदद करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। जेल में लगा जैमर काम नहीं कर रहा है। यह बात भी सामने आई है कि जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल भीतर जा रहा है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।