1000 किग्रा तक भार उठाने में सक्षम
इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-3 से सुबह के वक्त इस मिसाइल का टेस्ट किया गया. 350 किमी की मारक क्षमता वाली पृथ्वी-2 अपने साथ 500 से लेकर 1000 किग्रा तक के आयुध ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा इसे संचालक शक्ति देने के लिये इसमें 2 तरल प्रणोदन इंजन लगाये गये हैं. आईटीआर के डायरेक्टर एम.प्रसाद ने बताया, मिसाइल का टेस्ट स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड ने किया और यह पूरी तरह सफल रहा. इसकी सभी गतिविधियों को स्पेशली एसएफसी ने अंजाम दिया और इनकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही थी.

2003 में की गई थी शामिल
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इंडिया के एसएफसी में साल 2003 में पृथ्वी-2 मिसाइल को शामिल किया गया था. जिसका विकास डीआरडीओ ने इंडिया के सबसे फेमस आईजीएमडीपी (एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम) के तहत किया है और इस समय यह एक वैरिफाइड टेक्नोलॉजी है. वहीं सूत्रों ने यह भी बताया कि, मिसाइल की निगारनी के लिये डीआरडीओ के रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. साथ ही तटीय हिस्सों में स्थित टेलीमेटरी स्टेशनों से भी नजर रखी गई थी.

जानें इंडिया की मिसाइलों में कितनी है ताकत -

मिसाइल

निर्माण वर्ष

प्र्रकार

रेंज

प्रयोग

आकाश

2009

जमीन से जमीन

30 किमी

सेना, वायु सेना

नाग

2009

जमीन, हवा, पानी

5 किमी

जल, थल, वायु

पृथ्वी - 1

1994

जमीन से जमीन

150 किमी

जल, थल, वायु

अग्नि – 1

2004

जमीन से जमीन

700 – 1250 किमी

थल

शौर्य

2011

जमीन से हवा

700 – 1900 किमी

थल

ब्रह्मोस

2006

जमीन, हवा, पानी

290 किमी

जल, थल, वायु

अस्त्र

2014

हवा से हवा

60 किमी

वायु

निर्भय

प्रासेस

जमीन, हवा, पानी

1000 – 1500 किमी

जल, थल, वायु

प्रहार

2011

जमीन से हवा

150 किमी

थल, वायु


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