- छात्र-अभिभावक संघर्ष समिति के बैनर तले पेरेंट्स ने निकाली रैली

- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर कंट्रोल के लिए बने रेग्यूलेटरी बॉडी

- रिटायर्ड जज या गैर राजनीतिक दल का व्यक्ति करे रेग्यूलेटरी बॉडी की अगुआई

- हर साल रीएडमिशन और एक्स्ट्रा एक्टिविटी के नाम पर फी की वसूली बंद होनी चाहिए

PATNA : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बढ़ रही है और पेरेंट्स लागातार परेशान हैं। स्कूलों की मनमर्जी पर कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। नतीजा यह है कि संडे को छात्र-अभिभावक संघर्ष समिति के बैनर तले पेरेंट्स ने पानी टंकी से राजभवन तक मार्च किया। इसमें पटना के विभिन्न हिस्सों से आए पेरेंट्स ने प्राइवेट स्कल मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पेरेंटस ने एक स्वर से कहा कि ऐसा एक भी महीना नहीं है जब हमलोग स्कूल को लेकर अपने बच्चों की प्राब्लम से उबर पाए हों। किताबें, ड्रेस, बस फी, डेवलपमेंट चार्ज, स्पो‌र्ट्स फी, एक्टिविटी चार्ज और न जाने क्या-क्या इनमें शमिल हैं। दूसरी ओर स्कूलों पर कोई नकेल नहीं होने के कारण मनमानी बदस्तूर जारी है।

क्या हैं पेरेंट्स की प्रॉब्लम्स

एक साधारण कमाई से प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना बेहद मुश्किल है। एक बच्चे पर हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहा है। स्कूल फी छोड़कर शायद ही किसी चीज की रसीद दी जाती है, लेकिन बात सिर्फ पैसे की नहीं है। यहां तो स्कूल वाले मानसिक रूप से भी हमलोगों को टार्चर करते हैं। अगर साधारण कैजुअल ड्रेस में बच्चों को लंच दे दें या किसी काम से साधारण कपड़े में पेरेंट स्कूल आते हैं तो उनसे सवाल किया जाता है। ऐसे सवाल उठता है कि क्या प्राइवेट स्कूल वाले पेरेंटृस के लिए भी ड्रेस कोड बनाएंगे? यह कहना है बोरिंग कैनाल रोड निवासी मालती यादव का।

हर निर्णय रेग्यूलेटरी बॉडी तय करे

छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के अध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि हमारी एकसूत्री मांग है कि रेग्यूलेटरी बॉडी बनायी जाए, ताकि प्राइवेट स्कूल वालों पर कुछ अंकुश लगाया जा सके। अगर रेग्यूलेटरी बॉडी बन जाती है तो फीस से लेकर अन्य प्रॉब्लम्स का कुछ ना कुछ सॉल्यूशन निकाला जा सकेगा। हमारी डिमांड है कि रेग्यूलेटरी बॉडी का गठन पेरेंट्स, स्कूल मैनेजमेंट और गवर्नमेंट के रिप्रेजेंटिटिव के सम्मलित सहयोग से किया जाए। इसके अध्यक्ष रिटायर्ड जज या नॉन पॉलिटिकल पर्सन होने चाहिए, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि सभी स्टेट होल्डर एक मंच पर आकर इसका गठन करें। इसके बाद ही यह तय होगा कि इसमें कितने मेंबर्स होंगे और यह किस प्रकार से काम करेगा।

सबकुछ अपने रेट से देते हैं

स्कूलों की मनमानी की हद है। ये किताब-कॉपी, स्कूल ड्रेस, स्कूल बैग, जर्सी, टोपी, जूते और स्मार्ट क्लास सहित कई फैसिलिटी देते हैं, लेकिन सबका अपना-अपना मनमाना रेट है। स्मार्ट क्लास का कोई स्कूल भ्0 रुपए तो कोई क्भ्0 रुपए चार्ज करता है। स्कूल साल भर में अधिक से अधिक क्80 दिन ही खुलते हैं, लेकिन बस फी पूरे साल का लेते हैं। स्कूल में अगर को एक्स्ट्रा एक्टिविटी करा रहे हैं, तो स्कूल मैनेजमेंट इसके नाम पर गार्जियंस की जेब पर डाका डाल रहे हैं। इसका सभी गार्जियंस को विरोध करना चाहिए। गोसाई टोली के अनूप त्रिपाठी ने इस तरह की कंप्लेन करते हुए काफी आक्रोश जताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बिजनेस ही करना है तो दुकान खोल देना चाहिए। हमलोग स्कूल में किताब, कॉपी व अन्य सामान मनमाने रेट पर आखिर कब तक खरीदते रहेंगे।

कमीशनखोरी और शोषण की जड़

छात्र-अभिभावक संघर्ष समिति के अध्यक्ष नीरज सिंह की मानें तो आज के समय में हर मां-बाप सबसे अधिक चिंतित अपने बच्चों के भविष्य को लेकर रहते हैं। इनके फ्यूचर बनाने के नाम पर स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन पेरेंट्स को फ्यूचर के नाम पर बरगलाते हैं। आखिर स्कूल की फीस कैसे जस्टिफायड हो। इन्हीं बातों को लेकर यह मार्च निकाला गया है। हमारी मांग है कि इसके लिए एक रेग्यूलेटरी बॉडी बनायी जाए। यह बॉडी फीस का निर्धारण, रीएडमिशन फी को खत्म करने और स्कूली शिक्षा को बाजार के चंगुल से फ्री करने आदि पर अपना निर्णय रखेगी। इसका सभी प्राइवेट स्कूल वाले पालन करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राइवेट स्कूल खोलकर चांदी काटने के चक्कर में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन से दूर किया जा रहा है। स्कूल से बच्चों को दिए जाने वाले हर सामान में जबरदस्त कमीशनखोरी है। प्राइवेट स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन पैरेंट्स और सप्लाई एजेंसी दोनों से मोटी कमाई करता है और इसमें सबसे अधिक त्रस्त पेरेंट्स होते हैं।

रीएडमिशन का चक्कर क्या है

चूंकि कोई रेग्यूलेशन नहीं है तो प्राइवेट स्कूल हर साल एडमिशन के लिए मोटी रिएडमिशन फी वसूलता है। ऐसा न सिर्फ नए स्टूडेंट्स से वसूला जाता है बल्कि जो बच्चे पहले से उस स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनसे भी लिया जाता है। न्यू एडमिशन और ओल्ड एडमिशन दोनों से ही एक समान फी ली जा रही है। इस बारे में बिहार राज्य न्यायमित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमारी तिवारी ने रैली में शामिल होते हुए कहा कि जब तक पेरेंट्स एकजुट नहीं होंगे तबतक प्राइवेट स्कूल वाले शोषण करते रहेंगे।